देश के प्रमुख वैदिक ऋषियों अगस्त्य और वशिष्ठ के जन्म के बारे में कम लोग जानते होंगे. उनका जन्म एक रहस्य से जुड़ा है. जन्म की वजह अप्सरा उर्वशी थीं. जिनके सामने आते ही दो देवता खुद को संभाल नहीं पाए. मोहित और असयंमित होकर उन्होंने एक साथ अपना वीर्य एक छोटे आकार के घड़े यानि कुंभ में इकट्ठा करना पड़ा. इसी से अगस्त्य और वशिष्ठ ऋषि पैदा हुआ. इन दोनों ऋषियों को दो पिताओं की संतान भी कहा जाता है.
ये कैसे हुआ, इसकी भी रोचक कहानी है. वशिष्ठ और अगस्त्य का पिता संयुक्त तौर पर दो देवताओं मित्र और वरुण को बताया जाता है.मित्र विश्व व्यवस्था के देवता हैं तो वरुण हवा के देव. शास्त्र कहते हैं कि दोनों के संयुक्त वीर्य से भरे एक घड़े (कुंभ) से ये दोनों महान ऋषि पैदा हुआ. दोनों देवता अप्सरा को देखते ही मोहित हो गए थे.
कौन थे अगस्त्य और वशिष्ठ ऋषि
अगस्त्य और वशिष्ठ दोनों ऋषियों को वैदिक काल में काफी सम्मानीय ऋषि माना गया. वशिष्ठ को सप्तऋषियों (सात महान ऋषियों) में एक के रूप में रखा गया. वे इक्ष्वाकु वंश के कुलगुरु थे. रामायण में वही भगवान राम को अपने साथ वन ले गए थे, जिससे राम असुरों का नाश कर सकें और ऋषि मुनि अपनी साधना कर सकें. अगस्त्य भी कुछ परंपराओं में सप्तऋषि हैं. वैदिक काल उन्होंने समुद्र का पानी पी लिया था तो विंध्य पर्वत को दक्षिण की ओर जाने के लिए कहा था.
जब दो देवताओं के सामने मोहक सुंदर अप्सरा उर्वशी आई तो दोनों उसको देखते ही मुग्ध हो गए. (News18 AI)
कौन थी ऋषि अगस्त्य की पत्नी
अगस्त्य को दक्षिण भारत में वैदिक धर्म और संस्कृति के प्रचार का श्रेय दिया जाता है. मत्स्य पुराण और रामायण के अनुसार, उन्होंने दक्षिण की यात्रा की और तमिल परंपराओं को प्रभावित किया. लोपामुद्रा उनकी पत्नी थीं. वह सुंदर और विदुषी होने के साथ कवियित्री भी थीं. वह विदर्भ के राजा की पुत्री थीं. कुछ कथाओं में, लोपामुद्रा को अगस्त्य की तपस्या और दक्षिण भारत में उनके मिशन में सहायिका बताया गया है.
कौन थे ऋषि वशिष्ठ
वशिष्ठ रामायण में राम और उनके भाइयों के गुरु थे. उन्होंने भगवान राम से जुड़े इक्ष्वाकु राजवंश को धर्म और शासन के सिद्धांतों पर मार्गदर्शन किया. उनकी पत्नी का नाम अरुंधती था. अरुंधती भी विद्वान महिला थीं.
ऋषि वशिष्ठ और ऋषि अगस्त्य के पिता देवता मित्र और वरुण को एकसाथ कहा जाता है. (News18 AI)
पौराणिक ग्रंथ उनके जन्म के बारे में क्या कहते हैं
पौराणिक और वैदिक विवरण दोनों के इस तरह के जन्म की तसदीक करते हैं. भागवत पुराण (स्कंध 6, अध्याय 18), मत्स्य पुराण और विष्णु पुराण बताते हैं कि मित्र और वरुण देवता के सामने एक दिन जब अनायास अप्सराओं में सबसे अधिक सुंदर उर्वशी आईं तो वो दोनों मोहित हो गए. शास्त्र कहते हैं कि इससे उनका वीर्य अनायास निकल गया. इसे उन्होंने एक घड़े (कुंभ) में इकट्ठा करके रख दिया.
वीर्य के घड़े से एक साथ पैदा हुए
इस घड़े से दो असाधारण लोग पैदा हुए, अगस्त्य और वशिष्ठ. कुछ जगहों पर कहा गया कि घड़ा खुद ही “फट गया”. इस तरह दोनों ऋषि एकसाथ मित्र और वरुण देवताओं के संयुक्त वीर्य से पैदा हुए. इसलिए उन्हें कभी-कभी मैत्रावरुणि (मित्र और वरुण के पुत्र) कहा जाता है. वशिष्ठ को बड़ा भाई और अगस्त्य को छोटा भाई माना जाता है. ऋग्वेद (7.33.11, 13) भी उनके दैवीय उत्पत्ति के बारे में बताता है.
उर्वशी के बारे में कहा जाता है कि उसे देखकर अच्छे खासे ऋषियों की तपस्या भी भंग हो जाती थी. वह अप्सराओं में सबसे रूपवती और मोहिनी मानी जाती थीं. (News18 AI)
कैसा था उर्वशी का सौंदर्य
मत्स्य पुराण कहता है उर्वशी का सौंदर्य इतना प्रभावशाली था कि इसने इन दो देवताओं की संयमशीलता को भंग कर दिया. भागवत पुराण (स्कंध 6, अध्याय 18) स्पष्ट रूप से उर्वशी के मोहित करने पर मित्र और वरुण देवताओं के वीर्य से एक घड़े में अगस्त्य और वशिष्ठ के जन्म के बारे में कहता है. विष्णु पुराण भी इस बारे में बताता है.
उर्वशी के बारे में कहा जाता है कि उसे देखकर अच्छे खासे ऋषियों की तपस्या भी भंग हो जाती थी. वह अप्सराओं में सबसे रूपवती और मोहिनी मानी जाती थीं. उनकी सुंदरता इतनी अद्भुत और तपस्या भंग करने वाली थी कि महान ऋषि भी उनके सम्मोहन से बच नहीं पाते थे. उसे खासतौर पर देवताओं द्वारा धरती पर ऋषियों की तपस्या भंग करने के लिए विशेष रूप से भेजा जाता था. ऋषि भी मनुष्य ही थे और इंद्रियों पर नियंत्रण साधना हमेशा आसान नहीं होता.
बनारस में इस जगह को अगस्त्य कुंड कहते हैं
कृष्णकोश जैसी प्रामाणिक साइट महाभारत और अन्य ग्रंथों का हवाला देते हुए बताती है कि अगस्त्य और वशिष्ठ का जन्म काशी में एक स्थान पर हुआ, जिसे अब अगस्त्यकुंड के नाम से जाना जाता है.