Last Updated:September 08, 2025, 10:08 IST
10 लाख के इनामी नक्सली अमित हांसदा उर्फ अपटन की मौत के बाद झारखंड पुलिस और सुरक्षा बलों ने राहत की सांस ली है. वह एक शीर्ष नक्सली कमांडर था और उसकी गतिविधियों से क्षेत्र में सुरक्षा के लिए खतरा बना हुआ था. बता ...और पढ़ें

चाईबासा. कोल्हान के जंगल में पुलिस और भाकपा माओवादी नक्सलियों के बीच रविवार (7 सितंबर) की सुबह मुठभेड़ हुई जिसमें एक नक्सली कमांडर मारा गया. यह मुठभेड़ गोईलकेरा थानाक्षेत्र के रेला के पास जंगल हुई जिसमें 10 लाख का इनामी जोनल कमांडर अमित हांसदा उर्फ अपटन ढेर कर दिया गया. एसपी राकेश रंजन ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि क्षेत्र में पुलिस और सुरक्षा बलों का सर्च ऑपरेशन जारी है. बता दें कि अमित हांसदा ने 2008 से कोल्हान, सारांडा और पोड़ाहाट के जंगलों में सक्रिय भूमिका निभानी शुरू की थी. वह पश्चिमी सिंहभूम के साथ सरायकेला-खरसावां जिलों में कुल मिलाकर 96 से अधिक आपराधिक मामलों में शामिल था.
अमित हांसदा उर्फ अपटन अमित हांसदा बोकारो जिले के चतोरचट्टी थाना इलाके के ढोड़ी (ढो़ड़ी) गांव का निवासी था और उनके पिता का नाम गुड्डू हांसदा था. 1985 की पैदाइश अमित हांसदा बचपन से ही गरीबी और सामाजिक असमानता का शिकार रहा था जिसने उसके जीवन को प्रभावित किया. स्थानीय रिपोर्ट्स के अनुसार, वह कम पढ़ा-लिखा था और उसने शुरुआती दिनों में ही स्कूल की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी. बता दें कि उसका गांव सं एक पिछड़ा ग्रामीण इलाका है और यहां अधिकतर लोग खेती-बारी पर निर्भर हैं. गरीबी से घिरे इलाके के लोगों के बीच नक्सली गतिविधियों का प्रभाव इस क्षेत्र में लंबे समय से रहा है और अमित का यहीं से नक्सलवाद की ओर झुकाव शुरू हुआ.
अमित हांसदा उर्फ अपटन एक शीर्ष नक्सली कमांडर था, जो भाकपा माओवादी संगठन से जुड़ा था. वह झारखंड के चाईबासा जिले में सक्रिय था और पुलिस ने उस पर 10 लाख रुपये का इनाम घोषित किया था. अमित हांसदा उर्फ अपटन नक्सली संगठन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा था.
अमित हांसदा के बारे में जानिये
अमित हांसदा उर्फ अपटन पर कई नक्सली गतिविधियों में शामिल होने का आरोप था. वह मिसिर बेसरा, अनल, अनमोल, अश्विन, पिंटु लोहरा, चंदन लोहरा जैसे शीर्ष नक्सली नेताओं के साथ जुड़ा हुआ था. अमित हांसदा उर्फ अपटन पर सुरक्षा बलों को नुकसान पहुंचाने और आईईडी ब्लास्ट जैसी घटनाओं में शामिल होने का आरोप था. – वह झारखंड के चाईबासा जिले के सारंडा जंगल में सक्रिय था, जहां उसने कई नक्सली गतिविधियों को अंजाम दिया था.अमित हांसदा उर्फ अपटन की मौत के बाद, पुलिस और सुरक्षा बलों ने राहत की सांस ली है, क्योंकि वह एक शीर्ष नक्सली कमांडर था और उसकी गतिविधियों से क्षेत्र में सुरक्षा के लिए खतरा बना हुआ था. वहीं, गांव के लोग अमित हांसदा को एक शांत स्वभाव का युवक बताते हैं, लेकिन इस बात का भी जिक्र करते हैं कि गरीबी ने उसे गुमराह कर दिया और नक्लवाद की तरफ उसका झुकाव हो गया. परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण अमित को मजदूरी करनी पड़ती थी. परिवार नक्सलवाद से दूर रहना चाहता था, लेकिन क्षेत्रीय प्रभाव के कारण अमित इसमें फंस गया. मुठभेड़ के बाद उसके परिवार ने दुख जताया और कहा कि वे नक्सलवाद का समर्थन नहीं करते. परिवार अब सरकारी सहायता की उम्मीद कर रहा है.
अमित हांसदा नक्सली कैसे बना?
जानकारी के अनुसार, 2005 के आसपास नक्सली संगठन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएलएफआई) से जुड़ा. वह शुरू में एक साधारण कैडर के रूप में भर्ती हुआ, लेकिन अपनी बहादुरी और नेतृत्व क्षमता के कारण जल्दी ही जोनल कमांडर बन गया. गरीबी, बेरोजगारी और आदिवासी अधिकारों के नाम पर वह लगातार अपनी गतिविधियों को अंजाम देता रहा. वर्ष 2010 तक वह अत्यधिक सक्रिय हो गया और हथियारबंद संघर्ष में शामिल हो गया.जानकारों के अनुसार, स्थानीय नक्सली नेताओं ने उसे भर्ती किया और वह दुमका-जामताड़ा क्षेत्र में सक्रिय रहा.
अमित हांसदा का पैतृक गांव झारखंड के बोकारो जिले के चिलगु टोली (चिलगु, टोधी टोला) के अंतर्गत आता है जो चतराचट्टी थाना क्षेत्र में है. यह एक आदिवासी बहुल ग्रामीण इलाका है जहां खनन और जंगलों का प्रभाव है. बोकारो नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण यहां नक्सली गतिविधियां आम हैं. कुछ रिपोर्ट्स में धोदी गांव का भी जिक्र है, लेकिन मुख्य रूप से चिलगु टोली ही उनका मूल स्थान माना जाता है.
अमित हांसदा की पारिवारिक पृष्ठभूमि़
अमित हांसदा का परिवार गरीब आदिवासी किसान परिवार से था. पिता गुड्डू हांसदा बचपन में ही चल बसे थे. परिवार मुख्य रूप से खेती पर निर्भर था. अमित बचपन से मजदूरी करता था और क्षेत्रीय गरीबी और बेरोजगारी ने उसे नक्सलवाद की ओर धकेल दिया. परिवार नक्सल गतिविधियों से दूर रहना चाहता था, लेकिन अमित 2008 में सीपीआई (माओवादी) से जुड़ गया.
अपटन का आपराधिक इतिहास
अमित हांसदा उर्फ अपटन पर 10 लाख रुपये का इनाम था और उसके खिलाफ 96 से अधिक मामले दर्ज थे. वह 2008 से सक्रिय था और कोल्हान क्षेत्र (चाईबासा, सरायकेला-खरसावां) में जोनल कमांडर के रूप में सक्रिय रहा. मुख्य अपराधों में दिसंबर 2014 में चाईबासा जेल ब्रेक कर उसने कई नक्सलियों को आजाद कराया था. इसके अतिरिक्त जून 2019 में सरायकेला के कुकड़ू में पुलिस पर हमला, जिसमें 5 पुलिसकर्मी मारे गए और हथियार लूट लिए गए थे. इसके अतिरिक्त जनवरी 2022 में पूर्व विधायक गुरुचरण नायक पर हमला जिसमें 2 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए.
अमित हांसदा की क्राइम कुंडली
मार्च 2023 में बालजोड़ी हथियार लूटकांड. मई 2019 में राय सिंदरी हिल (कुचाई) में हमला. अगस्त 2023 में हुसिपी मुठभेड़ और तुंबाहाका में पुलिस पर हमला, जिसमें 1 पुलिस अधिकारी और 1 जवान शहीद. सितंबर 2023 में सारजोमबुरू में आईईडी विस्फोट. मई 2025 में ओडिशा के बांको में विस्फोटक लूट. जनवरी 2023 में प्रताप हेम्ब्रम की हत्या (पुलिस मुखबिर होने के आरोप में). मई 2023 में चारू पुरती की हत्या. 2023 में रोंडो सुरिन और वैध सुपाई मुटकान की हत्याएं. सितंबर 2023 में सेवानिवृत्त आर्मी कर्मी सुक्लाल पुरती की हत्या.अमित हांसदा के नेतृत्व में दर्जनों आईईडी विस्फोट, हत्याएं, लूट और पुलिस हमले हुए, जिसमें 12 से अधिक सुरक्षाकर्मी और कई नागरिक मारे गए. अगस्त 2023 में रोदो सुरिन (Rodo Surin alias Dryber) की हत्या या फिर आत्महत्या या गला घोंटकर हत्या का मामला भी उसपर था. अगस्त 2023 में ही वाइच सुपया मुत्कन (Vaich Supaya Mutkan) की हत्याकांड में शामिल था. बता दें कि अमित हांसदा उर्फ अपटन के नेतृत्व में संगठन बड़े हमलों की योजना भी बना रहा था. आईईडी विस्फोट और नए कैडर की भर्ती के लिए भी वह सक्रिय था. बीते 7 सितंबर 2025 को चाईबासा के गोइलकेरा क्षेत्र के रेला जंगल में मुठभेड़ में वह ढेर हो गया जहां से एसएलआर राइफल और कारतूस बरामद हुए.
बता दें कि कुछ दिनों पहले बीते 13 अगस्त को भी चाईबासा के गोईलकेरा थाना क्षेत्र में ही दुगुनिया, पोसैता, तुम्बागाड़ा के आस-पास जंगली पहाड़ी क्षेत्र में सर्च ऑपरेशन के दौरान पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी, जिसमें माओवादी एरिया कमांडर अरूण उर्फ वरूण उर्फ निलेश मदकम मारा गया था. मृतक नक्सली छत्तीसगढ़ के सुकमा जिला के कोन्टा थानाक्षेत्र का निवासी था.पुलिस और सुरक्षा बलों को हाल के दिनों में सर्च ऑपरेशन में लगातार सफलता मिल रही है. गोईलकेरा थानाक्षेत्र में एक महीने के भीतर दूसरी मुठभेड़ है. पुलिस और सुरक्षा बलों ने इस क्षेत्र में एक महीने के भीतर एंटी नक्सल सर्च ऑपरेशन में दो नक्सली कमांडरों को मुठभेड़ में मार गिराया है. (इनपुट- रूपेश कुमार प्रधान)
पत्रकारिता क्षेत्र में 22 वर्षों से कार्यरत. प्रिंट, इलेट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन. नेटवर्क 18, ईटीवी, मौर्य टीवी, फोकस टीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, हमार टीवी, ब्लूक्राफ्ट डिजिट...और पढ़ें
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Location :
Chaibasa,Pashchimi Singhbhum,Jharkhand
First Published :
September 08, 2025, 10:08 IST