क्या वसुंधरा राजे BJP में अकेली पड़ गई हैं? अजमेर में क्यों छलका दर्द

4 hours ago

Last Updated:July 08, 2025, 11:37 IST

Vasundhara Raje : क्या राजस्थान में बीजेपी की दिग्गज नेता और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे पार्टी में अकेली पड़ गई हैं? क्या राजे के समर्थकों ने पाला बदलना शुरू कर दिया है? राजे की ओर से दो दिन पहले अजमेर...और पढ़ें

क्या वसुंधरा राजे BJP में अकेली पड़ गई हैं? अजमेर में क्यों छलका दर्द

वसुंधरा राजे ने कहा कि आजकल मौसम और इंसान कब बदल जाते हैं भरोसा नहीं. लोग अब राजनीति में नई दुनिया बसा लेते हैं.

हाइलाइट्स

राजे ने अजमेर में भाषण में दर्द जताया.राजे के समर्थक धीरे-धीरे पाला बदल रहे हैं.राजे की सियासी ताकत कमजोर हो रही है.

Vasundhara Raje News : क्या राजस्थान बीजेपी में सबकुछ ठीक चल रहा है या अंदरखाने कोई खींचतान हो रही है? क्या वसुंधराराजे राजस्थान बीजेपी में अकेली पड़ रही हैं? क्या राजे के समर्थकों ने पाला बदलना शुरू कर दिया है? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो राजस्थान की राजनीति में बीते दो दिन से चर्चा में है. इसके पीछे वजह राजे की ओर से दो दिन पहले रविवार को पूर्व मंत्री सांवरलाल जाट की मूर्ति अनावरण समारोह में उनके गांव सिरोंज में दिया गया भाषण है. यहां राजे ने सांवरलाल जाट को खुद का सच्चा सिपाहसालार बताते हुए कहा था कि अब मौसम और इंसान कब बदल जाते हैं भरोसा नहीं. लोग राजनीति में आजकल नई दुनिया बसा लेते हैं. एक चेहरे पर कई चेहरा लगा लेते हैं लेकिन सांवरलाल ऐसे नहीं थे.

राजे के इस स्पीच से राजस्थान बीजेपी में बड़ी हलचल और थोड़ी बेचैनी है. यह पहला मौका नहीं है जब राजे ने बिना किसी का नाम लिए इस तरह के तंज कसे हैं. इससे पहले भी राजे कई मौकों पर इस तरह की गहरे सियासी मायनों वाली बातें कह चुकी हैं. इस भाषण में राजे ने खुद को और सांवरलाल को पूर्व उप राष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत की स्कूल का विद्यार्थी बताया. तीसरी बार सीएम बनने से वंचित रही राजे के समर्थकों को लेकर अब सवाल ये उठ रहे हैं क्या वे धीरे-धीरे उनसे दूर हो रहे हैं? क्या ये समर्थक एक-एक कर उनका साथ छोड़ रहे हैं? क्या राजे के पार्टी के अंदर समर्थक उन्हें धोखा दे रहे हैं? क्या राजे की सियासी ताकत कमजोर हो रही है?

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अधिकतर समर्थक अब पाला बदल चुके हैं
खुद राजे का दर्द जिस तरह छलक रहा है उससे ये ही लग रहा है कि इन सवालों में ज्यादा नहीं तो थोड़ा तो दम है. सांवरलाल राजे के भरोसेमंद और नजीदीकी नेताओं में से एक जाट नेता थे. अब सवाल यह कि राजे का ये दर्द क्यों झलका? साल 2023 के विधानसभा चुनाव के नतीजों तक करीब तीन दर्जन विधायक राजे के वफादारों में गिने जाते थे. लेकिन इनमें से अधिकतर अब पाला बदल चुके हैं या फिर राजे के साथ दूसरे नेताओं के खेमें में भी गिने जाने लगे हैं.

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राजे के इस दर्द और नाराजगी की दो वजह है
इनमें जोधपुर, कोटा और अजमेर संभाग के कई विधायकों के नाम शामिल हैं. कुछ राजे समर्थक तो मंत्री बनने की उम्मीद में राजे का साथ छोड़ मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के कैंप में जा चुके हैं. इसी वजह से राजे ने पूर्व उप राष्ट्रपति भैंरो सिंह शेखावत और दिवंगत हो चुके अपने कुछ पुराने वफादार नेताओं का नाम लेते हुए कहा कि अगर शेखावत जिंदा होते तो आज वो मेरी मदद करने से पीछे नहीं हटते. राजे के इस दर्द और नाराजगी की दो वजह है. मुख्यमंत्री की रेस में मात खाने के बाद राजे के अधिकतर समर्थकों को मंत्रीमंडल में जगह नहीं मिली थी. वहीं राजे के समर्थक भी अपनी सियासी जमानी बचाने और सत्ता में भागीदारी के लिए धीरे धीरे पाला बदलने लगे हैं.

Sandeep Rathore

संदीप ने 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की शुरुआत की. कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर भी रह चुके हैं. 2017 से News18 से जुड़े हैं.

संदीप ने 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की शुरुआत की. कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर भी रह चुके हैं. 2017 से News18 से जुड़े हैं.

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