Kurd: तुर्की पिछले चार दशकों से कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (PKK) के विद्रोहियों का सामना कर रहा है. उग्रवादी ग्रुप PKK देश में कुर्द अल्पसंख्यकों के लिए ज्यादा अधिकारों की मांग को लेकर अड़ा हुआ है. हालांकि अब PKK के संस्थापक अब्दुल्ला ओकालान ने कुर्द लड़ाकों से हथियार डालने की अपील की है, लेकिन यह अभी साफ नहीं है कि उनकी इस अपील का कितना असर होगा और क्या तुर्की सरकार इसके बदले में कोई रियायत दे रही है.
PKK कौन है?
कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (PKK) ने 1980 के दशक की शुरुआत में तुर्की सरकार के खिलाफ मुहिम छेड़ी थी. शुरुआत में उनका मकसद कुर्द लोगों के लिए एक आजाद देश बनाना था. PKK ने पूर्वी और दक्षिणी तुर्की के पहाड़ी इलाकों से हमले शुरू किए. उन्होंने तुर्की फौज के ठिकानों और पुलिस स्टेशनों तक को भी नहीं छोड़ा, उनपर भी खूब हमले किए. सेना और पुलिस पर हमलों के बाद सरकार ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी. दोनों के बीच मामला बढ़ता चला और गया धीरे-धीरे पूरे देश में फैल गया. PKK बम के धमाकों में कई बेकसूर लोगों की भी मौत हुई.
PKK के नेता को मिली फांसी की सजा
1999 में तुर्की ने PKK के नेता अब्दुल्ला ओकालान को पकड़ लिया और उन्हें एक आतंकवादी संगठन का नेतृत्व करने के जुर्म में मुजरिम करार दिया गया. उन्हें पहले मौत की सजा दी गई थी, हालांकि बाद में इसे उम्रकैद में बदल दिया गया था. कैद में रहने के दौरान PKK के प्रमुख ओकालान ने संगठन की विचारधारा में थोड़ा बदलाव किया और आजाद देश की मांग छोड़ दी. इसके बाद PKK ने कुर्द समुदाय के अधिकारों के लिए आवाज उठाना शुरू कर दी. पिछले एक दशक में तुर्की की सेना ने PKK के लड़ाकों को प्रमुख कुर्द शहरों से बाहर खदेड़ दिया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक तुर्की की कुल जनसंख्या का 15% या उससे ज्यादा कुर्द समुदाय से हैं.
कुर्द कौन हैं?
कुर्द एक जातीय समूह हैं जिनकी आबादी आबादी 40 मिलियन (चार करोड़) के आसपास है. ये मुख्य तौर पर ईरान, इराक, सीरिया और तुर्की में रहते हैं. इनमें से अधिकांश सुन्नी मुस्लिम हैं. कुर्द लोग अलग-अलग बोलियां बोलते हैं, हालांकि उनकी भाषा तुर्की या अरबी से संबंधित नहीं है. पहले विश्व युद्ध के बाद वैश्विक शक्तियों ने कुर्दों को अपना अलग राष्ट्र देने का वादा किया था, लेकिन यह कभी पूरा नहीं हुआ. इसके बाद कई देशों में कुर्द विद्रोह हुए, लेकिन उन्हें अपनी भाषा और संस्कृति पर सरकारी पाबंदियों का सामना करना पड़ा.
कई बार हो चुका सीजफायर?
तुर्की और PKK के बीच संघर्ष को खत्म करने के लिए कई बार कोशिश की गई है. सबसे पहला संघर्ष विराम (सीजफायर) 1993 में हुआ था, लेकिन यह कामयाब नहीं रहा. इसके बाद कई बार संघर्ष कम और ज्यादा होता रहा, लेकिन 2011 में दोनों पक्षों के बीच एक नई शांति वार्ता शुरू हुई. हालांकि 2015 के मध्य में यह बातचीत भी नाकाम हो गई और दोनों पक्षों ने इसके लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराया.
अब जबकि ओकालान ने फिर से PKK लड़ाकों से हथियार डालने की अपील की है यह देखना बाकी है कि तुर्की सरकार इसके बदले में कोई रियायत देती है या नहीं और शांति प्रक्रिया कितनी सफल होती है.