India-pakistan War: ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. ऐसे में नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार ने भारतीय सेना प्रमुख को टेरिटोरियल ऑर्मी या प्रादेशिक सेना के सदस्यों को बुलाने के लिए अधिकृत किया है. केंद्र ने सेना प्रमुख को प्रादेशिक सेना के कर्मियों को सक्रिय ड्यूटी के लिए बुलाने का अधिकार दिया है. देश में रक्षा की यह दूसरी पंक्ति कई सालों से एक मुख्य आधार रही है. यह जरूरत के समय नियमित सेना को सहायता प्रदान करती है. इस रिजर्व सेना में कुछ मशहूर हस्तियां भी शामिल हैं, जैसे कि क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी, एक्टर मोहनलाल और पॉलिटिशियन अनुराग ठाकुर.
यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब भारत पाकिस्तान की ओर से मिसाइल और ड्रोन हमलों सहित लगातार सीमा पार से उकसावे का सामना कर रहा है. भारत और पाकिस्तान के बीच आज (शनिवार) चौथे दिन भी सीमा पर जंग जैसे हालात हैं. पाकिस्तान की ओर से राजस्थान से लेकर पंजाब और जम्मू-कश्मीर से सटी सीमाओं पर उकसावे की कार्रवाई की गई है. पाकिस्तान के ड्रोन जैसलमेर, अमृतसर, फिरोजपुर, होशियारपुर, पठानकोट, पुंछ, जम्मू और कठुआ में देखे गए. जवाब में भारत ने भी पाकिस्तान के वायुसेना के ठिकानो नूर खान एयर बेस, मुरीद और शोरकोट पर हमला किया है. पाकिस्तान के इन तीनों स्थानों में ब्लास्ट हुए हैं.
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बढ़ते सैन्य तनाव के बीच इस पर नजर डालते हैं कि प्रादेशिक सेना वास्तव में क्या है और इसका उद्देश्य क्या है.
कैसे बनती है प्रादेशिक सेना?
प्रादेशिक सेना (TA) अंशकालिक स्वयंसेवकों का एक सहायक सैन्य संगठन है, जो भारतीय सेना को सहायता प्रदान करता है. इसे देश की दूसरी रक्षा पंक्ति के रूप में भी जाना जाता है. यह एक अंशकालिक बल है जो गैर-लड़ाकू कामों को संभालने, आपात स्थितियों में सहायता करने और आवश्यक सेवाओं को बनाए रखने में भारतीय सेना की मदद करता है. इसकी अपनी वेबसाइट के अनुसार, इसकी प्राथमिक भूमिका नियमित सेना को स्टेटिक ड्यूटी से मुक्त करना और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में नागरिक प्रशासन की सहायता करना है. ऐसी स्थितियों में आवश्यक सेवाओं का रखरखाव करना है, जिससे आम नागरिक जन जीवन प्रभावित होता है या देश की सुरक्षा को खतरा होता है. साथ ही जरूरत पड़ने पर सेना के लिए यूनिट्स प्रदान करना है.
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प्रादेशिक सेना में 50,000 कर्मी
मौजूदा समय में प्रादेशिक सेना में लगभग 50,000 कर्मी हैं.इनमें 65 विभागीय इकाइयां (जैसे, रेलवे, आईओसी, ओएनजीसी) और गैर-विभागीय पैदल सेना और इंजीनियर बटालियन शामिल हैं. इकोलॉजिकल टास्क फोर्सेस जैसी विशेष इकाइयां वनरोपण और स्वच्छ गंगा मिशन जैसी पर्यावरणीय परियोजनाओं के लिए काम करती हैं. प्रादेशिक सेना में अधिकारी बनने के इच्छुक व्यक्ति के पास भारतीय नागरिकता होनी चाहिए और साथ की उसकी आयु 18 से 42 वर्ष के बीच होनी चाहिए. इसके अलावा वह किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक होना चाहिए, शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होना चाहिए और लाभकारी रोजगार में लगा होना चाहिए.
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कैसे हुआ प्रादेशिक सेना का गठन?
प्रादेशिक सेना की उत्पत्ति 1857 के भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी है, जब एक स्वयंसेवी बल का गठन किया गया था. बाद में भारत में सेना के कमांडर-इन-चीफ ब्रिटेन के सर चार्ल्स मोनरो ने 27 अगस्त 1920 को भारतीय विधान परिषद में भारतीय प्रादेशिक सेना के गठन के लिए एक विधेयक पेश किया, जिसे विधिवत पारित कर दिया गया. सर चार्ल्स मोनरो ने कहा था कि प्रशिक्षित कर्मियों की कमी और पूरी की जाने वाली मांगों को देखते हुए नियमित सेना की दूसरी रक्षा पंक्ति के रूप में एक प्रादेशिक बल का गठन किया जाना चाहिए.
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1948 में हुआ अधिनियम पारित
भारत के आजाद होने के बाद 1948 में प्रादेशिक सेना अधिनियम पारित किया गया. 9 अक्टूबर 1949 को भारत के पहले गवर्नर जनरल सी राजगोपालाचारी द्वारा औपचारिक रूप से प्रादेशिक सेना का उद्घाटन किया गया. उल्लेखनीय है कि अतीत में प्रादेशिक सेना की इकाइयां भारत के पिछले अभियानों में शामिल रही हैं. जिनमें 1962 का चीन युद्ध और 1971 का बांग्लादेश युद्ध शामिल है. प्रादेशिक सेना ने 1993 में महाराष्ट्र के लातूर में आए भूकंप, 2001 में गुजरात के भुज भूकंप और 2013 में उत्तराखंड में आई बाढ़ के दौरान राहत कार्य में मदद की थी.
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इससे जुड़ी हैं कई मशहूर हस्तियां
पिछले कुछ सालों में कई नेता, खिलाड़ी और मशहूर हस्तियां प्रादेशिक सेना के सदस्य रहे हैं. इसका एक सबसे बड़ा उदाहरण पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का है. उन्हें 2011 में शामिल किया गया था और लेफ्टिनेंट कर्नल (मानद) का पद दिया गया था. प्रादेशिक सेना में एक और प्रसिद्ध खिलाड़ी कपिल देव हैं, जिन्हें 2008 में शामिल किया गया था. नेताओं में कांग्रेस के सचिन पायलट और भारतीय जनता पार्टी के अनुराग ठाकुर दोनों प्रादेशिक सेना के अधिकारी हैं. दक्षिण भारतीय अभिनेता मोहनलाल भी प्रादेशिक सेना के जाने-माने चेहरों में से एक हैं. मोहनलाल को 2009 में लेफ्टिनेंट कर्नल का मानद रैंक दिया गया था.
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आदेश में क्या कहा गया है?
पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के मद्देनजर, शुक्रवार (9 मई) को रक्षा मंत्रालय ने सेना प्रमुख को प्रादेशिक सेना को संगठित करने के लिए अधिकार प्रदान किए. प्रादेशिक सेना नियम 1948 के नियम 33 के अनुसार सरकार ने सेना प्रमुख को प्रादेशिक सेना के प्रत्येक अधिकारी और नामांकित कर्मियों को आवश्यकतानुसार गार्ड ड्यूटी के लिए या नियमित सशस्त्र बलों का समर्थन करने के लिए बुलाने का अधिकार दिया है. केंद्र के आदेश ने प्रादेशिक सेना की मौजूदा 32 इन्फैंट्री बटालियनों में से 14 को भारतीय सेना के सभी प्रमुख कमांडों में तैनाती के लिए मंजूरी दे दी है. जिनमें दक्षिणी, पूर्वी, पश्चिमी, मध्य, उत्तरी, दक्षिण पश्चिमी, अंडमान और निकोबार और सेना प्रशिक्षण कमान (एआरटीआरएसी) शामिल हैं. यह आदेश 10 फरवरी 2025 से 9 फरवरी 2028 तक तीन सालों के लिए प्रभावी रहेगा.