Last Updated:February 26, 2025, 17:02 IST
Delimitation Explained: देशभर में एक बार फिर परीसीमन कराए जाने की तैयारी है. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इस परिसीमन को दक्षिणी राज्यों के सिर पर लटकती तलवार बताया है. उन्होंने सभी दक्षिणी राज्यों से...और पढ़ें

अमित शाह ने दक्षिणी राज्यों को आश्वासन दिया कि परिसीमन से सीटों की संख्या में कोई कमी नहीं होगी. (फाइल फोटो)
हाइलाइट्स
अमित शाह ने कहा परिसीमन से सीटों की संख्या में कमी नहीं होगी.2026 की जनगणना के बाद ही परिसीमन होगा.स्टालिन ने परिसीमन का विरोध करने की अपील की.गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को तमिलनाडु में एक महत्वपूर्ण बयान दिया. उन्होंने यहां सभी दक्षिणी राज्यों के लोगों को आश्वासन दिया कि परिसीमन से सीटों की संख्या में कोई कमी नहीं होगी. गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी वादा किया है कि परिसीमन से किसी भी दक्षिणी राज्य पर असर नहीं पड़ेगा.
शाह का यह आश्वासन तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के उस बयान के बाद आया है, जिसमें उन्होंने 5 मार्च को सभी दलों की बैठक बुलाकर परिसीमन के खिलाफ विरोध करने की बात कही थी. स्टालिन ने आशंका जताई थी कि यह परिसीमन दक्षिणी राज्यों के हित में नहीं होगा, जिन्होंने जनसंख्या को नियंत्रित किया है. रिपोर्ट्स के अनुसार, परिसीमन के बाद तमिलनाडु की लोकसभा सीटें 39 से घटकर 31 हो सकती हैं.
2026 में जनगणना के बाद होगा परिसीमन
सूत्रों के अनुसार, परिसीमन केवल 2026 में जनगणना के बाद ही किया जा सकता है. 2026 में उपलब्ध होने वाले ताजा जनगणना डेटा का उपयोग पूरे देश में परिसीमन के लिए किया जाएगा. इसके लिए जो परिसीमन आयोग स्थापित किया जाएगा, उसमें सभी दलों के प्रतिनिधि होंगे, ताकि वे अपने विचार पेश कर सकें. यह संभवतः 2029 के लोकसभा चुनावों का आधार बनेगा. केंद्र का कहना है कि दक्षिणी राज्यों को जनसंख्या नियंत्रण के लिए दंडित नहीं किया जाएगा और उनकी लोकसभा सीटों की संख्या में कमी नहीं होगी.
स्टालिन ने परिसीमन को दक्षिणी राज्यों के सिर पर लटकती तलवार बताया है और अन्य दक्षिणी राज्यों से भी केंद्र के इस निर्णय के खिलाफ विरोध करने की अपील की है. दक्षिण के बीआरएस और कांग्रेस ने भी इस कदम का विरोध किया है. यह मुद्दा महत्वपूर्ण है, क्योंकि उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे उत्तरी राज्यों में पिछले कुछ दशकों में जनसंख्या में भारी वृद्धि हुई है और उनकी लोकसभा सीटों की संख्या वर्तमान में 80 और 40 से काफी बढ़ सकती है.
एमके स्टालिन ने कहा है कि तमिलनाडु की सीटों की संख्या कम करना तमिलनाडु के अधिकारों के हनन के समान है और यह न केवल राज्य बल्कि पूरे दक्षिण भारत को प्रभावित करता है. उन्होंने दक्षिण के विभिन्न राजनीतिक दलों को इस कदम का विरोध करने के लिए पत्र भी लिखा है.
परिसीमन क्या है?
परिसीमन अभ्यास का उद्देश्य सभी राज्यों में लोकसभा और विधानसभाओं के लिए सीटों की संख्या और क्षेत्रीय सीमाओं को तय करना है. एससी-एसटी आरक्षित सीटें भी इसी के अनुसार निर्धारित की जाती हैं. अंतिम परिसीमन आयोग 2002 में स्थापित किया गया था, जबकि अंतिम परिसीमन अभ्यास 1976 में पूरा हुआ था. परिसीमन का निर्धारण प्रत्येक राज्य की जनसंख्या के आधार पर लोकसभा में सीटों के आवंटन के फार्मूले से किया गया है. इसलिए, सीटों को जनसंख्या में बदलाव के अनुसार समायोजित किया जाना चाहिए.
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 81 कहता है कि लोकसभा में सीटों का आवंटन विभिन्न राज्यों के बीच इस प्रकार किया जाना चाहिए कि ‘उस संख्या और राज्य की जनसंख्या के बीच का अनुपात, जहां तक संभव हो, सभी राज्यों के लिए समान हो’.
परिसीमन पर क्या कहता है संविधान?
प्रत्येक राज्य में क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों को लेकर संविधान कहता है कि उन्हें ‘इस प्रकार विभाजित किया जाना चाहिए कि प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र की जनसंख्या और उसे आवंटित सीटों की संख्या के बीच का अनुपात, जहां तक संभव हो, पूरे राज्य में समान हो’.
लेकिन जनसंख्या में बदलाव होता रहता है और इसलिए विभिन्न विधायी और निर्वाचित निकायों के लिए सीटों के आवंटन में समय-समय पर समीक्षा और उचित समायोजन होना चाहिए. यही परिसीमन का कार्य है, जिसे भारत में परिसीमन आयोग द्वारा निष्पादित किया जाता है.
केंद्र ने अब वादा किया है कि दक्षिणी राज्यों को वर्षों से जनसंख्या नियंत्रण के कारण नुकसान नहीं होगा. अमित शाह बुधवार को कोयंबटूर में थे और उन्होंने दक्षिणी राज्य में कुछ बीजेपी कार्यालयों का उद्घाटन किया. उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि अगले साल तमिलनाडु चुनावों में बीजेपी सत्ता में आएगी.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
February 26, 2025, 17:02 IST