Last Updated:February 19, 2025, 12:35 IST
What Is Fecal Bacteria: प्रयागराज में इस समय महाकुंभ चल रहा है. गंगा और यमुना नदियों में फीकल कोलीफार्म बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ने से पानी नहाने लायक नहीं रहा. सीपीसीबी ने एनजीटी को रिपोर्ट दी है, जिससे स्वास्थ...और पढ़ें

प्रयागराज में गंगा-यमुना में कई स्थानों पर फीकल कोलीफार्म बैक्टीरिया का स्तर काफी बढ़ गया है.
हाइलाइट्स
प्रयागराज में गंगा-यमुना का पानी नहाने लायक नहींपानी में फीकल कोलीफार्म बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ीसीपीसीबी की एनजीटी को दी रिपोर्ट में हुआ खुलासाWhat Is Fecal Bacteria: प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में गंगा और यमुना का पानी कई जगहों पर नहाने लायक नहीं है. दरअसल संगम पर कई स्थानों पर फीकल कोलीफार्म बैक्टीरिया का स्तर काफी बढ़ गया है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने रिपोर्ट दायर कर यह जानकारी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को दी है. सीपीसीबी के अनुसार फीकल कोलीफार्म सीवेज प्रदूषण का संकेतक है. रिपोर्ट के अनुसार, जब से महाकुंभ चल रहा है तब से प्रयागराज में अलग-अलग जगहों पर फीकल कोलीफॉर्म का लेवल नहाने के लिए जल गुणवत्ता के हिसाब से ज्यादा मिला है. महाकुंभ में अब तक 50 करोड़ से अधिक लोगों ने गंगा में डुबकी लगाई है.
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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट में बताया गया है कि पानी में फीकल कोलीफॉर्म की मात्रा 100 मिलीलीटर पानी में 2,500 यूनिट से बहुत ज्यादा मिली है. प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों में सीवेज के बहाव को रोकने को लेकर अभी एनजीटी सुनवाई कर रहा है. महाकुंभ मेले में सीवेज प्रबंधन योजना को लेकर एनजीटी यूपी सरकार को निर्देश भी दे चुका है. एनजीटी ने अपनी सख्त टिप्पणी में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) को फटकारते हुए कहा, “आपने 50 करोड़ लोगों को सीवेज के दूषित पानी से नहला दिया. वो पानी जो नहाने लायक भी नहीं था, उससे लोगों को आचमन तक करना पड़ा.”
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क्या है फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया?
फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया गर्म रक्त वाले जानवरों और मनुष्यों की आंतों में पाए जाते हैं. इन्हें आमतौर पर पानी में संभावित प्रदूषण के संकेतक के रूप में माना जाता है. उनकी मौजूदगी से पता चलता है कि पानी में हानिकारक रोगाणु भी हो सकते हैं, जैसे वायरस, परजीवी या अन्य बैक्टीरिया, जो जानवरों और मनुष्यों की आंतों से निकलने वाले मल से पैदा होते हैं. पानी की गुणवत्ता जांचने के लिए अक्सर फीकल कोलीफॉर्म की जांच की जाती है. ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि पानी पीने, तैराकी या अन्य गतिविधियों के लिए सुरक्षित है या नहीं.
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क्या हो सकती हैं दिक्कतें?
फीकल कोलीफॉर्म प्रदूषण, फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की मौजूदगी के कारण होता है, जो गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है. ये बैक्टीरिया मतली, उल्टी, दस्त और अधिक गंभीर संक्रमण सहित कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं. नतीजतन, स्नान करने वालों के बीच अधिक जागरूकता महत्वपूर्ण है. सीपीसीबी ने रिपोर्ट दी है कि नदी मुख्य रूप से नट्रीटेड सीवेज के कारण फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया से ज्यादा प्रदूषित है.
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फीकल कोलीफॉर्म कितना हानिकारक?
वर्तमान में चल रहे महाकुंभ मेले के दौरान, सीपीसीबी की रिपोर्ट बताती है कि फीकल कोलीफॉर्म का स्तर प्रति 100 मिलीलीटर 2,500 यूनिट की सुरक्षित सीमा से कहीं अधिक है, जिससे नदी में प्रवेश करने वालों के लिए यह विशेष रूप से खतरनाक हो गई है. इससे प्रयागराज में लाखों तीर्थयात्रियों के आने से जलजनित बीमारियों का खतरा काफी बढ़ गया है. आस-पास के इलाकों से अनट्रीटेड सीवेज के निकलने से स्थिति और भी खराब हो गई है, जिससे पानी सीधे संपर्क के लिए असुरक्षित हो गया है. इस दूषित जल के संपर्क में आने से कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें पाचन संबंधी संक्रमण, त्वचा पर चकत्ते, आंखों में जलन, टाइफाइड और हेपेटाइटिस ए जैसी गंभीर बीमारियां शामिल हैं.
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हो सकता है कैंसर का भी खतरा
इसके अतिरिक्त, दूषित पानी को सांस के माध्यम से अंदर लेने से श्वसन संक्रमण हो सकता है. खास रूप से बुजुर्गों और छोटे बच्चों में, क्योंकि उनकी इम्युनिटी कमजोर होती है. तीर्थयात्रियों के लिए तत्काल जोखिम के अलावा, यह प्रदूषण स्थानीय निवासियों के लिए भी एक बड़ा खतरा है जो अपनी दैनिक जरूरतों के लिए गंगा पर निर्भर हैं. पानी में मल बैक्टीरिया के लगातार संपर्क में रहने से संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है, जिससे त्वचा, पाचन तंत्र और श्वसन स्वास्थ्य प्रभावित होता है. लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में रहने से मूत्राशय और कोलन कैंसर सहित कुछ प्रकार के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
February 19, 2025, 12:35 IST