क्यों प्रेग्नेंसी टूरिज्म से जोड़ा जाने लगा लद्दाख, आती हैं विदेशी महिलाएं

2 weeks ago

Last Updated:October 07, 2025, 14:48 IST

Pregnancy Tourism: लेह - लद्दाख का नाम लंबे समय से एक खास तरह के प्रेग्नेंसी टूरिज्म से जोड़ा जाने लगा है. कहा जाता है कि यहां शुद्ध आर्य नस्ल के लोग रहते हैं और विदेशी महिलाएं उनसे प्रेग्नेंट होने के लिए यहां आती हैं.

क्यों प्रेग्नेंसी टूरिज्म से जोड़ा जाने लगा लद्दाख, आती हैं विदेशी महिलाएं

आपने कई तरह पर्यटन के बारे में सुना होगा, क्या प्रेग्नेंसी टूरिज्म जैसा टर्म भी कभी आपके कानों में पड़ा है. भारत के लेह लद्दाख को लेकर इसी तरह की चर्चाएं की जाती रही हैं. जानते हैं कि क्या वास्तव में यूरोप से महिलाएं यहां रहने वाले शुद्ध आर्य नस्ल के पुरुषों से गर्भवती होने के लिए आती हैं. लद्दाख में गर्भावस्था पर्यटन आखिर है क्या?

हालांकि इसके बारे में खुलकर बात कम ही की जाती है, लेकिन हमेशा ये कहा जाता रहा है कि यूरोप से महिलाएं खासकर जर्मनी की युवतियां यहां केवल घूमने घामने नहीं आतीं बल्कि कोई और इरादा लेकर आती हैं.

दरअसल लद्दाख की सुदूर घाटियों में बसा एक अनोखा समुदाय है, जिसे शुद्ध आर्य कहा जाता है. ये ब्रोक्पा जनजाति के लोग हैं. जिनकी नस्ल एकदम अलग और बहुत खूबसूरत लगती है. इसने ना केवल शोधकर्ताओं बल्कि पर्यटकों को भी आकर्षित किया है. इनके रहस्य और आकर्षण की चर्चाएं खूब रहती हैं. इन्हें अक्सर “भारत के अंतिम आर्य” भी कहा जाता है.

ऊंचा कद, गोरी त्वचा और हल्के रंग की आंखें

ब्रोक्पा मुख्य रूप से लद्दाख के दाह, हनु, गरकोन और आस-पास के गांवों में रहते हैं. ये लोग अपनी ऊंची कद-काठी, गोरी त्वचा और हल्के रंग की आंखों के साथ-साथ अपनी अनूठी संस्कृति, फूलों से सजे सिर के परिधान और ब्रोक्सकट नामक भाषा के लिए जाने जाते हैं. ये लोग भारतीय कम यूरोपीय मूल के ज्यादा लगते हैं.

लद्दाख के बाकी हिस्सों के विपरीत ये लोग जीववादी मान्यताओं और बौद्ध धर्म के एक प्राचीन मिश्रण का पालन करते हैं. इन लोगों ने सदियों पुराने रीति-रिवाजों पर बाहरी प्रभाव नहीं पड़ने दिया है.

शुद्ध आर्य पुरुषों से गर्भवती होने आती हैं विदेशी महिलाएं

हालांकि ये भी कहा जाता है कि लद्दाख के इन गांवों में गर्भवस्था पर्यटन भी होता है. बाहर से विदेशी महिलाएं इसीलिए यहां आती हैं ताकि शुद्ध आर्य नस्ल के पुरुषों से गर्भवती हो सकें. तो असल में ये प्रेग्नेंसी टूरिज्म है क्या. कुछ रिपोर्टों से पता चलता है कि ये विदेशी महिलाएं कथित तौर पर ब्रोक्पा पुरुषों के साथ बच्चे पैदा करने में रुचि रखती हैं ताकि उनके गुण उनकी संतानों में भी आ सकें.

सच कहें तो लद्दाख में ऐसे सेक्स पर्यटन की वास्तविकता अब भी साफ नहीं है. इस बात का कोई आधिकारिक दस्तावेज या सत्यापित प्रमाण नहीं है कि ऐसी घटनाएं कभी किसी भी पैमाने पर हुई हों. अधिकांश स्थानीय लोग इस बात का खंडन भी करते हैं. लेकिन ये भी सवाल है कि ऐसी बात क्यों फैली.

लद्दाख में गर्भावस्था पर्यटन की अवधारणा ने दुनियाभर में जिज्ञासा, अटकलों और विवादों को जन्म दिया है. इस पर कई डॉक्युमेंट्री, रिपोर्ट्स और सोशल साइट्स पर काफी कुछ लिखा गया है. एक तरह से ये पूरी बात किसी रहस्य की तरह हो चुकी हैं.

डेक्कन हेराल्ड समाचार पत्र ने ये रिपोर्ट छापी थी कि विदेशी महिलाएं खासकर जर्मन महिलाएं लद्दाख के आर्य गांवों में आ रही हैं और वो कथित तौर पर शुद्ध आर्य वंश को जारी रखने के विचार से आकर्षित हुई हैं.

क्या वास्तव में महिलाएं आर्यन शिशु पैदा करने आती हैं

इन रिपोर्टों ने लद्दाख में यौन पर्यटन की वास्तविकता पर चर्चा को और तेज़ कर दिया. इस पर बनी एक डॉक्युमेंट्री “द आर्यन सागा” बहुत चर्चित हो रही है, जिसमें जर्मन महिलाओं के ब्रोक्पा जनजाति के पुरुषों से मिलने की कहानियां हैं, जिसमें कहा गया कि ये महिलाएं अछूते आर्य वंश से संतान पैदा करना चाहती थीं. रेडिट जैसे प्लेटफ़ॉर्म इस बात पर चर्चा से भरे पड़े हैं कि क्या ऐसी चीज यहां होती है. वैसे यहां पर कुछ निवासी तो कहते हैं कि विदेशी महिलाएं सचमुच “आर्यन शिशु” पैदा करने आई थीं, जबकि कुछ इन कहानियों को सिरे से खारिज करती हैं.

कौन हैं ब्रोकपा जनजाति के लोग

ब्रोकपा लोगों की विशेषताएं विशिष्ट हैं. लंबा शरीर, गोरी त्वचा और हल्के रंग की आंखें, जो उन्हें हमेशा से अलग बनाती हैं. स्थानीय लोककथाओं में उन्हें “अंतिम शुद्ध आर्य” कहा गया है, जिनके बारे में कहा जाता है कि वे सिकंदर महान के साथ मार्च करने वाले सैनिकों के वंशज हैं. हालांकि आनुवांशिकीविद और इतिहासकार इसे व्यापक तौर पर खारिज करते हैं कि वो आर्यों की शुद्ध नस्ल से जुड़े हैं. इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. ब्रोक्पा समुदाय को ड्रोग्पा या ड्रोक्पा भी कहा जाता है. ये हिमालय के गांवों में रहते हैं और दावा करते हैं कि वे सीधे आर्य वंशज हैं

तो यहां पर्यटक क्यों आते हैं

लद्दाख और दाह-हनो जैसे गांव अपनी अनूठी संस्कृति, पारंपरिक पोशाक, त्योहारों और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध हैं. विदेशी पर्यटक यहां फोटोग्राफी, सांस्कृतिक अध्ययन और ट्रेकिंग के लिए आते हैं, न कि किसी नस्लीय कारण से.

वैसे गर्भावस्था पर्यटन क्या होता है

गर्भावस्था पर्यटन से तात्पर्य किसी दूसरे देश में विशेष रूप से बच्चे को जन्म देने के लिए यात्रा करने की प्रथा से होता है ताकि बच्चा वहां की नागरिकता पा ले या जन्मस्थान या वंश से जुड़ा कोई अन्य लाभ पा ले.
आमतौर पर, गर्भावस्था पर्यटन “जन्म पर्यटन” से जुड़ा होता है, जहां गर्भवती माताएं संयुक्त राज्य अमेरिका या कनाडा जैसे देशों की यात्रा करती हैं. ये देश अपनी धरती पर जन्मे किसी भी बच्चे को जूस सोली (भूमि का अधिकार) के सिद्धांत के आधार पर नागरिकता प्रदान करते हैं.

Sanjay Srivastavaडिप्टी एडीटर

लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...और पढ़ें

लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...

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Location :

Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh

First Published :

October 07, 2025, 14:46 IST

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