Last Updated:June 28, 2025, 07:27 IST
Study Tips: इन दिनों बच्चे अपना ज्यादातर वक्त टैब, मोबाइल और लैपटॉप जैसे डिवाइसेस के साथ बिताने लगे हैं. स्क्रीन टाइम बढ़ने से उनका पढ़ाई में मन लगना भी कम हो गया है.

Study Tips: बच्चों का स्क्रीन टाइम कम करना बहुत जरूरी है
नई दिल्ली (Study Tips). यूपी, बिहार, एमपी, राजस्थान, दिल्ली समेत ज्यादातर राज्यों की समर वेकेशन खत्म होने वाली है. कई बच्चों ने गर्मी की छुट्टियां फोन, लैपटॉप, टीवी, टैब और वीडियो गेम के साथ ही बिता दी होंगी. कुछ ही बच्चों ने स्कूल से मिला होमवर्क खत्म करने के बाद अलग से पढ़ाई होगी. आज के डिजिटल युग में बच्चों का स्क्रीन टाइम एक गंभीर मुद्दा बन गया है. स्मार्टफोन, टैबलेट, टीवी और कंप्यूटर बच्चों की रूटीन लाइफ का बड़ा हिस्सा बन चुके हैं. इससे उनकी फिजिकल, मेंटल और सोशल हेल्थ पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 5-17 साल के बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम 2 घंटे प्रतिदिन से ज्यादा नहीं होना चाहिए. लेकिन भारत में कई बच्चे इससे कहीं ज्यादा समय स्क्रीन पर बिताते हैं. मोबाइल गेम्स, सोशल मीडिया और ऑनलाइन कॉन्टेंट की लत न केवल उनकी पढ़ाई को प्रभावित करती है, बल्कि नींद की कमी, आंखों की समस्याएं और सोशल डिस्ट्रैक्शन इश्यू भी पैदा करती है. खासकर कोविड-19 के बाद ऑनलाइन टीचिंग ने स्क्रीन टाइम को और बढ़ा दिया है. स्कूल खुलने से पहले स्क्रीन टाइम को कंट्रोल करना जरूरी है.
स्क्रीन टाइम बढ़ने के नुकसान
एजुकेशन और एंटरटेनमेंट जैसे क्षेत्रों में टेक्नोलॉजी के फायदों को नकारा नहीं जा सकता है. लेकिन बहुत ज्यादा स्क्रीन टाइम बच्चों की क्रिएटिविटी, फिजिकल एक्टिविटीज और फैमिली बॉन्डिंग टाइम को सीमित करता है. माता-पिता और शिक्षकों को बच्चों को बैलेंस्ड लाइफस्टाइल के लिए प्रेरित करना चाहिए. स्क्रीन टाइम को कंट्रोल करने के लिए सही नियम, ऑप्शनल एक्टिविटीज और जागरूकता जरूरी है. नीचे दिए गए प्रैक्टिकल उपाय बच्चों का स्क्रीन टाइम कम करने में मदद कर सकते हैं.
1- तय करें स्पष्ट नियम और सीमाएं: बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम की लिमिट निर्धारित करें (जैसे 1-2 घंटे) और इसे सख्ती से लागू करें. स्कूल से संबंधित डिजिटल कामों को इस लिमिट से अलग रखें. उदाहरण के लिए, वीकेंड पर एंटरटेनमेंट के लिए 1 घंटा और पढ़ाई के लिए अलग समय निर्धारित करें. बच्चों के साथ मिलकर ही नियम बनाएं ताकि वे इसे आसानी से स्वीकार करें. टाइम टेबल बनाकर स्क्रीन टाइम को मैनेज करें, जैसे रात 8 बजे के बाद कोई डिवाइस यूज़ नहीं करने दें.
2- काम आएंगी ऑप्शनल एक्टिविटीज: बच्चों को स्क्रीन से दूर रखने के लिए रुचिकर एक्टिविटीज में व्यस्त रखना जरूरी है. उन्हें क्रिकेट, बैडमिंटन या साइकिलिंग जैसे आउटडोर गेम्स और पेंटिंग, चेस या किताबें पढ़ने जैसी इनडोर एक्टिविटीज में उन्हें व्यस्त रख सकते हैं. किसी लोकल क्लब या कोचिंग में उनका एडमिशन करवा दें, जहां वे नई स्किल्स सीख सकें. परिवार के साथ समय बिताने के लिए बोर्ड गेम्स या कहानी सेशन आयोजित करें. इससे काफी मदद मिलेगी.
3- माता-पिता से सीखते हैं बच्चे: इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि बच्चे माता-पिता की आदतों की नकल करते हैं. अगर आप खुद फोन पर ज्यादा समय बिताते हैं तो आपकी देखादेखी बच्चे भी ऐसा करेंगे. लंच या डिनर के समय या फैमिली डिस्कशन के दौरान फोन से दूरी बनाकर रखें. इससे बच्चों के सामने सही एग्जाम्पल सेट करने में मदद मिलेगी. बच्चों के साथ समय बिताकर उनकी रुचियों को समझें और उन्हें प्रेरित करें. इससे आपसी रिश्ते भी बेहतर होंगे.
4- घर में बनाएं स्क्रीन फ्री जोन: घर में डाइनिंग टेबल और बेडरूम जैसे कुछ क्षेत्रों को स्क्रीन-फ्री घोषित कर दें. रात में सोने से पहले डिवाइस बंद करने का नियम बनाएं क्योंकि नीली रोशनी नींद की क्वॉलिटी को प्रभावित करती है. इसके साथ ही Google Family Link, Qustodio या डिवाइस के इन-बिल्ट पैरेंटल कंट्रोल फीचर्स का इस्तेमाल करें. ये टूल्स स्क्रीन टाइम, ऐप यूज़ और कॉन्टेंट को कंट्रोल करते हैं. उदाहरण के लिए, गेमिंग ऐप्स को सीमित समय के लिए अनलॉक करें.
5- जागरूकता और ओपन कम्युनिकेशन: बच्चों को स्क्रीन का ज्यादा इस्तेमाल करने के नुकसानों (आंखों की थकान, तनाव, कम एकाग्रता) के बारे में समझाएं. उनकी रुचियां जानें और स्क्रीन के बजाय उन रुचियों को बढ़ावा दें. उदाहरण के लिए, अगर बच्चा गेमिंग पसंद करता है तो उसे कोडिंग सीखने के लिए प्रेरित करें. आप चाहें तो बच्चों को स्क्रीन-फ्री टाइम के लिए पुरस्कार भी दे सकते हैं, जैसे पसंदीदा एक्टिविटी या छोटा गिफ्ट. इससे बच्चे नियमों का पालन करने के लिए इंस्पायर होंगे.
Having an experience of 9 years, she loves to write on anything and everything related to lifestyle, entertainment and career. Currently, she is covering wide topics related to Education & Career but she also h...और पढ़ें
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