'मेरा जो सपना था...' CJI बीआर गवई ने बताई माता-पिता की ऐसी बात, भर आई सबकी आंख

3 hours ago

Last Updated:June 28, 2025, 12:00 IST

CJI BR Gavai News: सीजेआई गवई ने नागपुर में अपने माता-पिता के संघर्षों का जिक्र करते हुए भावुक होकर बताया कि उन्होंने पिता की इच्छा पूरी करने के लिए वास्तुशास्त्री बनने का सपना छोड़ा और वकील बने.

'मेरा जो सपना था...' CJI बीआर गवई ने बताई माता-पिता की ऐसी बात, भर आई सबकी आंख

जस्टिस बीआर गवई ने भारत के 52वें सीजीआई हैं. (फाइल फोटो)

हाइलाइट्स

सीजेआई गवई ने नागपुर में अपने माता-पिता के संघर्षों की भावुक कहानी सुनाई.उन्होंने पिता की इच्छा पूरी करने के लिए आर्किटेक्ट बनने का सपना छोड़ा.उन्होंने न्यायपालिका की भूमिका पर जोर देते हुए न्यायिक सक्रियता की आवश्यकता बताई

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई (CJI BR Gavai) शुक्रवार को अपने जीवन से जुड़े निजी अनुभव साझा करते-करते भावुक हो गए. नागपुर जिला न्यायालय बार एसोसिएशन की तरफ से उनके सम्मान में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने अपने माता-पिता के संघर्षों का जिक्र किया और बताया कि उनके पिता की आकांक्षाओं ने कैसे उनके जीवन की दिशा तय की.

सीजेआई गवई ने कहा कि वे वास्तुशास्त्री बनना चाहते थे, लेकिन उनके पिता चाहते थे कि वे वकील बनें. यह सपना उनके पिता का था, जिसे वे खुद पूरा नहीं कर सके क्योंकि स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने की वजह से उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था. गवई ने बताया कि उन्होंने अपने पिता की इच्छा पूरी करने के लिए अपना सपना छोड़ दिया और कानून की पढ़ाई की. वे एक संयुक्त परिवार में पले-बढ़े, जहां जिम्मेदारी उनकी मां और चाची पर थी.

गवई जब हाईकोर्ट में न्यायाधीश बनने वाले थे, तब उनके पिता ने कहा था कि अगर वे केवल वकील बने रहते तो शायद पैसे के पीछे भागते, लेकिन जज बनकर वे डॉ. आंबेडकर के बताए रास्ते पर चल सकते हैं और समाज की सेवा कर सकते हैं. उनके पिता चाहते थे कि उनका बेटा एक दिन देश का प्रधान न्यायाधीश बने, लेकिन वह यह देखने के लिए जीवित नहीं रहे. गवई ने कहा कि हालांकि उनके पिता 2015 में चल बसे, पर उन्हें इस बात की खुशी है कि उनकी मां आज भी उनके साथ हैं.

इस कार्यक्रम के दौरान माहौल भावुक हो गया, जिसे हल्का करने के लिए उन्होंने एक पुरानी घटना सुनाई. उन्होंने बताया कि एक बार नागपुर की अदालत में अभिनेत्री हेमा मालिनी के खिलाफ चेक बाउंस का मामला आया था. उस दिन अदालत में हेमा मालिनी को देखने के लिए भारी भीड़ जमा हो गई थी. उस मामले में वह और पूर्व मुख्य न्यायाधीश शरद बोबड़े हेमा मालिनी की ओर से वकील थे. उन्होंने हंसते हुए कहा कि उस दिन वे भी उस भीड़ के बीच एक झलक पाने में पीछे नहीं रहे.

कार्यक्रम में उन्होंने न्यायपालिका की भूमिका पर भी बात की. उन्होंने कहा कि न्यायिक सक्रियता बनी रहनी चाहिए, लेकिन यह न्यायिक दुस्साहस या आतंकवाद नहीं बननी चाहिए. भारतीय लोकतंत्र के तीनों अंगों विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका की सीमाएं तय हैं और सभी को कानून के तहत ही काम करना चाहिए. अगर संसद कानून से बाहर जाती है, तो न्यायपालिका को हस्तक्षेप करना चाहिए, लेकिन यह हस्तक्षेप जिम्मेदारी से होना चाहिए.

Saad Omar

An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें

An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...

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Location :

Nagpur,Maharashtra

homenation

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