'गंगा जल' के लिए भारत के आगे गिड़गिड़ा रहा बांग्लादेश, 1996 का हवाला दे रही ढाका से आई टीम

7 hours ago

Bangladesh delegation in West Bengal’s Farakka: भारत और बांग्लादेश के बीच जारी तनावपूर्ण संबंधो के बीच ढाका की एक टीम फरक्का पहुंची. ये टीम अगले साल होने वाले गंगा जल संधि के नवीनीकरण के सिलसिले में संयुक्त नदी आयोग (JRC) की ओर से जरूरी चर्चा करेगी. इस सिलसिले में एक बांग्लादेशी प्रतिनिधिमंडल सोमवार को पश्चिम बंगाल पहुंचा, उसने फरक्का में गंगा (Farakka Ganga basin) का दौरा किया. पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में स्थित फरक्का बैराज के कार्यों में एक गंगा जल बंटवारे पर भारत-बांग्लादेश संधि, 1996 के अनुसार बांग्लादेश के लिए पानी का विनियमन करना है.

रिवर कमीशन की अहम बैठक

संधि के प्रावधानों के अनुसार, संयुक्त समिति की 86वीं बैठक और भारत-बांग्लादेश संयुक्त नदी आयोग रूपरेखा के तहत तकनीकी बैठक छह और सात मार्च को कोलकाता में होगी.

पश्चिम बंगाल सिंचाई एवं जलमार्ग विभाग के एक अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘संयुक्त नदी आयोग (JRC) का बांग्लादेशी प्रतिनिधिमंडल आज सुबह कोलकाता पहुंचा और तत्काल फरक्का में गंगा नदी के पास संयुक्त निरीक्षण स्थल के लिए रवाना हो गया. आयोग पांच मार्च तक फरक्का में रहेगा.’

54 नदियां भारत और बांग्लादेश दोनों देशों से गुजरती हैं

उन्होंने कहा कि यह प्रतिनिधिमंडल फिर दो दिवसीय बैठक के लिए कोलकाता लौटेगा. पश्चिम बंगाल सरकार के अधिकारियों के अनुसार, संयुक्त नदी आयोग में भारत, बांग्लादेश और राज्य सरकार के सदस्य शामिल हैं तथा आयोग सीमा पार नदी से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए वर्ष में एक बार बैठक करता है.

जल शक्ति मंत्रालय के अनुसार, 54 नदियां भारत और बांग्लादेश दोनों देशों से गुजरती हैं.

भारत और बांग्लादेश के संयुक्त नदी आयोग का गठन 1972 में साझा, सीमावर्ती और सीमापार नदियों पर आपसी हित के मुद्दों के समाधान के लिए एक द्विपक्षीय तंत्र के रूप में किया गया था.

गंगा जल संधि पर 12 दिसंबर, 1996 को तत्कालीन प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा और उनकी बांग्लादेशी समकक्ष शेख हसीना ने हस्ताक्षर किए थे. जून, 2024 में प्रधानमंत्री के तौर पर शेख हसीना की भारत की आखिरी यात्रा के दौरान दोनों पक्षों ने घोषणा की थी कि तकनीकी टीम बातचीत के लिए मिलेंगी. शेख हसीना की सरकार अगस्त 2024 में गिर गयी थी.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के गंगा नदी जल बंटवारा संधि का नवीनीकरण करने के प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है. यह तब हो रहा है, जब वह तीस्ता नदी जल बंटवारा समझौते का विरोध कर रही हैं, जबकि भारत और बांग्लादेश दोनों ही 2011 में इसके मसौदे पर सहमत हो गए थे.

पिछले साल बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक पत्र लिखकर दावा किया था कि गंगा जल संधि को नवीनीकृत करने का प्रयास ‘एकतरफा’ है और इस बारे में पश्चिम बंगाल सरकार से परामर्श नहीं किया गया.

हालांकि, केंद्र सरकार के अधिकारियों ने स्पष्ट किया था कि जुलाई 2023 में जल शक्ति मंत्रालय द्वारा गठित एक आंतरिक समिति में बिहार और पश्चिम बंगाल दोनों सरकारों के प्रतिनिधि थे. ये वे दो राज्य हैं, जिनसे होते हुए गंगा बांग्लादेश पहुंचती है.

पश्चिम बंगाल ने अगस्त 2023 में इस आंतरिक समिति में अपना प्रतिनिधि नामित किया था और समिति की चार बैठकों में से तीन में भाग लिया था. (भाषा)

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