चागोस द्वीप अब मॉरीशस का, ब्रिटेन से डील में PM मोदी का क्या रोल? Inside Story

5 hours ago

Last Updated:May 23, 2025, 01:25 IST

Chagos Islands Deal: ब्रिटेन ने चागोस द्वीपसमूह की संप्रभुता मॉरीशस को सौंपने वाली डील साइन कर दी है. मॉरीशस के PM नवीन रामगुलाम ने समर्थन के लिए भारत और PM मोदी का आभार जताया है.

चागोस द्वीप अब मॉरीशस का, ब्रिटेन से डील में PM मोदी का क्या रोल? Inside Story

60 साल बाद ब्रिटेन ने छोड़ा चागोस आइलैंड. (File Pics)

हाइलाइट्स

ब्रिटेन ने 60 साल बाद चागोस द्वीपसमूह मॉरीशस को सौंपा.इस ऐतिहासिक समझौते में PM मोदी की भूमिका निर्णायक रही.मॉरीशस के प्रधानमंत्री ने भारत और PM मोदी का आभार जताया.

नई दिल्ली: 60 साल पुराने उपनिवेशवाद के जख्म पर आखिरकार मरहम लगा. ब्रिटेन ने चुपचाप चागोस द्वीपसमूह पर से कब्जा हटाने का फैसला किया. मॉरीशस को उसकी ऐतिहासिक जमीन लौटा दी गई. लेकिन इस बड़ी कामयाबी के पीछे एक और देश खामोशी से खड़ा रहा, भारत. हमारी तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका बेहद निर्णायक रही, हालांकि बिना शोर-शराबे के. गुरुवार को ब्रिटेन और मॉरीशस के प्रधानमंत्रियों- कीर स्टार्मर और नवीन रामगुलाम ने डिजिटल समारोह में उस समझौते पर हस्ताक्षर किए. इसी के तहत चागोस द्वीपसमूह, जिसमें रणनीतिक रूप से अहम डिएगो गार्सिया भी है, मॉरीशस को सौंप दिया गया. इस सौदे को ऐतिहासिक बताते हुए मॉरीशस ने भारत और प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद कहा. भारत के विदेश मंत्रालय ने इस समझौते को ‘लंबे समय से चले आ रहे चागोस विवाद का शांतिपूर्ण और अंतरराष्ट्रीय कानून पर आधारित समाधान’ बताया.

क्या है चागोस आइलैंड का इतिहास?

यह समझौता सिर्फ कागज पर दस्तखत नहीं है. यह उपनिवेशवाद के उस दौर का अंत है, जब बिना पूछे ज़मीनें छीनी जाती थीं और स्थानीय लोगों को बेदखल किया जाता था. 1965 में जब मॉरीशस को स्वतंत्रता मिली, उससे ठीक पहले ब्रिटेन ने चागोस द्वीपसमूह को उससे अलग कर लिया था. द्वीप के हजारों निवासियों को निकाला गया और डिएगो गार्सिया पर अमेरिका ने बमवर्षक और नौसैनिक अड्डा बना लिया. अब यह अड्डा मॉरीशस की जमीन पर होगा, हालांकि ब्रिटेन इसे 99 साल की लीज पर फिर से ले सकेगा.

आखिरकार मॉरीशस का हुआ चागोस आइलैंड. (File Pic)

समझौते से पहले एक हाई वोल्टेज ड्रामा भी हुआ. दो स्थानीय महिलाओं ने ब्रिटिश अदालत में याचिका दायर की कि उन्हें डर है कि मॉरीशस को द्वीप सौंपे जाने के बाद वे कभी वापस नहीं जा पाएंगी. अदालत ने कुछ घंटों के लिए अस्थायी रोक भी लगाई. लेकिन सुनवाई के बाद यह रोक हटा दी गई और समझौते पर शाम तक दस्तखत हो गए.

UK-मॉरीशस की डील में PM मोदी का क्या रोल?

अब सवाल ये कि इस पूरी प्रक्रिया में भारत और प्रधानमंत्री मोदी की भूमिका क्या रही?

दरअसल, अक्टूबर 2024 में ब्रिटेन और मॉरीशस के बीच जो प्रारंभिक सहमति बनी थी, उसमें भारत की चुपचाप कूटनीतिक मौजूदगी थी. भारत ने लगातार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मॉरीशस के दावे का समर्थन किया. भारत के लिए यह मामला सिर्फ एक सहयोगी देश के हक की लड़ाई नहीं थी, बल्कि हिंद महासागर में अपने सामरिक संतुलन और ‘ग्लोबल साउथ’ की आवाज को मजबूत करने का एक अहम कदम भी था.

मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम ने सीधे तौर पर PM मोदी का नाम लेते हुए आभार प्रकट किया. उन्होंने कहा कि भारत की लगातार कूटनीतिक सहायता और भरोसे ने इस संघर्ष को मुकाम तक पहुंचाया. चागोस द्वीपसमूह की वापसी मॉरीशस के लिए आत्म-सम्मान की वापसी है. भारत के लिए यह एक नैतिक जीत है, जो उपनिवेशवाद के खिलाफ उसकी ऐतिहासिक सोच को दोहराती है.

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Deepak Verma

Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...और पढ़ें

Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...

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