Last Updated:May 22, 2025, 12:30 IST
Maharashtra Political News: महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों नई हवा बह रही है. सबके मन में एक ही सवाल है कि क्या चाचा-भतीजे की हिट जोड़ी फिर से एक साथ दिखेगी.

अजित पवार और शरद पवार के एक होने की चर्चा तेज है. (फोटो: पीटीआई)
हाइलाइट्स
अजित पवार और शरद पवार की पार्टी के एक होने की चर्चा तेजएनसीपी (अजित गुट) के नेता के बयान से कयासबाजी जोरों परशरद पवार कही थी ऐसी बात, मर्जर की होने लगी जोरों से चर्चामुंबई. महाराष्ट्र की राजनीति क्या नया करवट लेने वाली है? देश की राजनीति में अपना छाप छोड़ने वाली शरद पवार और अजित पवार की जोड़ी फिर से एक मंच पर दिखेंगे? ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जिनकी चर्चा आजकल महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारों में खूब हो रही है. कुछ दिनों पहले ही एनसीपी (अजित पवार गुट) के एक नेता ने दोनों धड़ों के बीच एकता की बात को खारिज नहीं किया था. उन्होंने कहा था कि वे दोनों पार्टियों के एक होने के प्रस्ताव के खिलाफ नहीं हैं. एनसीपी (शरद पवार गुट) न हालांकि मर्जर की बात को सिरे से खारिज कर दिया था, लेकिन कुछ दिनों पहले ही शरद पवार के एक बयान को महाराष्ट्र की जनता अभी नहीं भूली है. शरद पवार ने कहा था कि पार्टी की वर्किंग प्रेसिडेंट सुप्रिया सुले और अजित पवार इस मसले पर निर्णय लेंगे.
शरद पवार की एनसीपी का जुलाई 2023 में विभाजन हुआ था. अब एक बार फिर दोनों गुटों के विलय की अटकलें तेज हो गई हैं. एनसीपी (एसपी) प्रमुख जयंत पाटिल और अन्य नेताओं ने इन अटकलों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि पार्टी में ऐसा कोई औपचारिक प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है. एनसीपी (अजित पवार गुट) के प्रवक्ता आनंद परांजपे ने कहा था, ‘मीडिया रिपोर्टें केवल अटकलबाज़ी हैं. एनसीपी (एसपी) ने विलय का कोई प्रस्ताव नहीं रखा है. अगर कोई औपचारिक अनुरोध आता है, तो अजित पवार, प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे जैसे नेता कोर समिति के वरिष्ठ नेताओं के साथ इस पर चर्चा करेंगे.’
स्वीकार नहीं तो इनकार भी नहीं
परांजपे ने यह भी स्पष्ट किया था कि एनसीपी किसी भी ऐसे दल से हाथ मिलाने को तैयार है जो अजित पवार के नेतृत्व को स्वीकार करे. दूसरी ओर, एनसीपी (एसपी) के सीनियर लीडर अनिल देशमुख ने नागपुर में कहा था कि विलय को लेकर न तो कोई बातचीत हुई है और न ही ऐसा कोई विचार पार्टी के भीतर है. पार्टी की राज्य कार्यकारिणी की बैठक में जयंत पाटिल ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि मीडिया की अटकलों पर सफाई देने की आवश्यकता नहीं है. उन्होंने कहा कि पार्टी को स्थानीय निकाय चुनावों और जाति जनगणना जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. बैठक में यह निर्णय लिया गया कि पार्टी अपने संगठन को बूथ स्तर तक मजबूत करेगी और नए स्वयंसेवकों को जोड़कर युवाओं और महिलाओं तक अपनी पहुंच बढ़ाएगी. एनसीपी (एसपी) प्रवक्ता महेश तापसे ने भी स्पष्ट किया कि विलय की खबरें सिर्फ मीडिया की चर्चा हैं. उन्होंने कहा कि पार्टी आम जनता के मुद्दों जैसे बेरोजगारी, किसानों की बदहाली और महंगाई को लेकर प्रतिबद्ध है.
लोकसभा-विधानसभा चुनाव परिणाम
एनसीपी की स्थापना 1999 में शरद पवार ने की थी. जुलाई 2023 में अजित पवार ने एनसीपी से अलग होकर भाजपा-शिवसेना गठबंधन वाली महायुति सरकार में उपमुख्यमंत्री के रूप में शामिल होकर पार्टी को दो भागों में बांट दिया था. साल 2024 लोकसभा चुनाव से पहले अजित पवार को एनसीपी का नाम और चुनाव चिन्ह मिल गया, जबकि शरद पवार को अपनी पार्टी को एनसीपी (शरदचंद्र पवार) के नाम से रजिस्टर्ड कराना पड़ा. पिछले वर्ष हुए विधानसभा चुनावों में अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी को 41 सीटें मिलीं, जबकि शरद पवार का गुट काफी हद तक पिछड़ गया था. इससे पहले हुए लोकसभा चुनावों में शरद पवार खेमे को अजित पवार के मुकाबले ज्यादा सीटें मिली थीं.
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
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