चुनाव से पहले लालू क्यों पहुंचे HC? सिब्बल की दलील पर CBI बोली- जानबूझकर...

6 hours ago

Last Updated:September 08, 2025, 20:49 IST

Lalu Land for jobs Case: नौकरी के बदले जमीन देने के मामले में सोमवार को लालू प्रसाद यादव ने सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है. इस याचिका में लालू की तरफ से कपिल सिब्बल ने दलील देते हुए सीबीआई की ...और पढ़ें

चुनाव से पहले लालू क्यों पहुंचे HC? सिब्बल की दलील पर CBI बोली- जानबूझकर...लालू प्रसाद यादव ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की

नई दिल्ली: आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट में जमीन के बदले नौकरी घोटाला मामले में सीबीआई की एफआईआर को रद्द कराने के लिए पहुंचे. लालू प्रसाद यादव की तरफ से यह याचिका जाने माने वकील कपिल सिब्बल ने दायर की और उन्होंने हाईकोर्ट को दलील दी कि यह एफआईआर बिना आवश्यक अनुमति के दर्ज की गई थी. लालू प्रसाद यादव की यह याचिका बिहार चुनाव से पहले दायर की गई है और अब देखना होगा कि अदालत इस मामले में फैसला कब तक देती है.

लालू प्रसाद यादव के वकील ने न्यायमूर्ति रविंदर डुडेजा के समक्ष दलील दी कि सीबीआई जांच ‘अवैध’ थी. कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि सीबीआई ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अनिवार्य अनुमति के बिना एफआईआर दर्ज की. इससे पूरी जांच अवैध हो जाती है. अनुमति के बिना जांच शुरू नहीं हो सकती थी और पूरी कार्यवाही गलत है. सिब्बल ने कहा कि अनुमति आवश्यक थी क्योंकि यादव उस समय रेल मंत्री के रूप में आधिकारिक कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे थे.

सिब्बल की दलीलों पर क्या बोली सीबीआई?

सिब्बल ने आगे दलील में कहा कि हम अनुमति के अभाव को चुनौती दे रहे हैं. वे एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू नहीं कर सकते थे. इस बीच, सीबीआई ने यादव पर निचली अदालत में आरोपों पर अपनी दलीलें ‘जानबूझकर’ पूरी न करने का आरोप लगाया. सीबीआई के वकील ने कहा कि कल निचली अदालत में दलीलें पूरी होंगी. वे जानबूझकर निचली अदालत में अपनी दलीलें पूरी नहीं कर रहे हैं. जस्टिस ने कहा कि मंजूरी न मिलने का यह नियम अगर स्वीकार भी कर लिया जाता है, तो केवल पीसी एक्ट के तहत अपराधों पर लागू होगा, आईपीसी पर नहीं.

अब कब होगी अगली सुनवाई

सीबीआई के वकील और कपिल सिब्बल के बीच जोरदार बहस हुई और इसके बाद अदालत अब इस मामले की अगली सुनवाई 25 सितंबर को जारी रहेगी. सुप्रीम कोर्ट ने 18 जुलाई को इस मामले में निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था, इससे पहले 29 मई को हाईकोर्ट ने कार्यवाही पर रोक लगाने का कोई ‘मजबूत कारण’ नहीं पाया था.

क्या है मामला?

यह मामला 2004 से 2009 के बीच यादव के रेल मंत्री रहने के दौरान मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित भारतीय रेलवे के पश्चिम मध्य क्षेत्र में ग्रुप डी की नियुक्तियों से संबंधित है, जो कथित तौर पर राजद सुप्रीमो के परिवार या सहयोगियों के नाम पर नियुक्तियों द्वारा उपहार में दी गई या हस्तांतरित की गई ज़मीन के बदले में की गई थीं. यादव और उनकी पत्नी, दो बेटियों, अज्ञात सरकारी अधिकारियों और निजी व्यक्तियों सहित अन्य के खिलाफ 18 मई, 2022 को मामला दर्ज किया गया था. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सीबीआई की प्रारंभिक पूछताछ और जांच सक्षम अदालत में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने के बाद बंद होने के बावजूद, लगभग 14 साल की देरी के बाद, 2022 में एफआईआर दर्ज की गई है.

याचिका में कहा गया है कि पिछली जांच और उसकी क्लोजर रिपोर्ट को छिपाकर नई जांच शुरू करना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि निष्पक्ष जाँच के उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन करते हुए उन्हें एक ‘अवैध, प्रेरित जांच’ के माध्यम से कष्ट सहना पड़ रहा है. यादव ने इसे ‘शासन के प्रतिशोध और राजनीतिक प्रतिशोध’ का एक परिदृश्य बताया क्योंकि बिना अनुमति के जांच शुरू करने से शुरू से ही पूरी कार्यवाही दूषित हो गई और यह एक ‘क्षेत्राधिकार संबंधी त्रुटि’ थी.

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Location :

Delhi,Delhi,Delhi

First Published :

September 08, 2025, 20:49 IST

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