Last Updated:May 15, 2025, 08:35 IST
Delhi High Court News: दिल्ली हाईकोर्ट में जजों की कमी का मसला एक बार फिर से सामने आई है. हाईकोर्ट में जजों की स्वीकृत संख्या 60 है, जबकि सिर्फ 36 जजों से ही काम चलाया जा रहा है. इस बाबत एक याचिका पर सुनवाई ...और पढ़ें

दिल्ली हाईकोर्ट ने जजों की कमी पर बड़ी टिप्पणी की है. (फाइल फोटो)
हाइलाइट्स
दिल्ली हाईकोर्ट में स्वीकृत पद 60 हैं, पर 36 जज ही हैं नियुक्तहाईकोर्ट बोला- जजों की नियुक्ति सामान्य रिक्रूटमेंट से है अलगASG की दलील पर सीनियर एडवोकेट को याचिका वापस लेनी पड़ीनई दिल्ली. टॉप कोर्ट से लेकर ट्रायल और लोअर कोर्ट तक में जजों की काफी कमी है. देशभर के विभिन्न हाईकोर्ट भी जजों की कमी का सामना कर रहे हैं. दिल्ली हाईकोर्ट इसका अपवाद नहीं है. यहां जजों की कुल स्वीकृत संख्या 60 है, जबकि दिल्ली हाईकोर्ट को महज 36 जजों से ही काम चलाना पड़ रहा है. जजों की कमी को लेकर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दाखिल की गई थी. इस मामले में उचित दिशा-निर्देश देने की मांग की गई थी. याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की पीठ ने अहम टिप्पणी की है. एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) चेतन शर्मा की ओर से ठोस दलील पेश की गई. इसके बाद याची ने अपनी याचिका वापस ले ली.
दिल्ली हाईकोर्ट ने जजों की रिक्तियों से संबंधित एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया पब्लिक सर्विस में नॉर्मल रिक्रूटमेंट की तरह नहीं है. जजों की रिक्तियों और नियुक्तियों का मामला संवैधानिक है. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीके उपाध्याय की पीठ सीनियर वकील अमित साहनी द्वारा दायर जनहित याचिका पर विचार कर रही थी. अमित साहनी ने दिल्ली हाईकोर्ट में जजों की कमी के मसले पर कोर्ट से निर्देश देन की मांग कर रहे थे. उन्होंने अपनी याचिका में बताया कि वर्तमान में हाईकोर्ट 60 स्वीकृत पदों के मुकाबले 36 जजों की संख्या के साथ काम कर रहा है.
60 फीसद जजों के साथ काम कर रहा दिल्ली हाईकोर्ट
अमित साहनी ने यह भी बताया कि दिल्ली हाईकोर्ट के एक जज ने हाल ही में एक आदेश में न्यायाधीशों की कमी को उजागर किया था. दिल्ली उच्च न्यायालय अपनी स्वीकृत क्षमता के 60% पर काम कर रहा है. उन्होंने आगे कोर्ट को बताया कि हाईकोर्ट ने 25 अप्रैल को एक आदेश में जजों की कमी की बात को स्वीकार करते हुए कहा था कि पॉपुलेशन और लिटिगेशन की संख्या को देखते हुए जजों की संख्या कम है. इस वजह से समय पर मामले को निपटाने में समस्या आती है. सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश जस्टिस उपाध्याय ने टिप्पणी की, ‘ज्यूडिशियल सिस्टम से जुड़े सभी लोग इस स्थिति (जजों की कमी) से अवगत हैं. ऐसा नहीं है कि इस दिशा में प्रयास नहीं किए जा रहे हैं.’
ASG की दलील
बहस में हिस्सा लेते हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल जनरल चेतन शर्मा ने पीठ को यह भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट पहले से ही जजों की नियुक्ति से संबंधित मामले पर विचार कर रहा है. इसके बाद साहनी ने याचिका वापस ले ली. हाईकोर्ट ने इसके साथ ही उन्हें सुप्रीम कोर्ट के संबंधित मामले में एक पक्ष के रूप में शामिल होने की अनुमति दे दी. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने इस मामले को निपटा दिया. टाटा ट्रस्ट द्वारा इंडियन जस्टिस रिपोर्ट- 2025 के अनुसार, दिल्ली में प्रति 10 लाख की आबादी पर हाईकोर्ट में एक से भी कम जज हैं. रिपोर्ट के अनुसार, लोअर कोर्ट में हालात फिर भी बेहतर हैं. 10 लाख की आबादी पर निचली अदालतों में 36 जज हैं.
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
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