जमीन सौदा रद्द करने के लिए पार्थ पवार की कंपनी को देने होंगे 42 करोड़ रुपए

2 hours ago

पुणे.  पुणे में एक भूखंड को लेकर अजित पवार के बेटे पार्थ पवार की कंपनी द्वारा किए गए बिक्री विलेख को रद्द करने की महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री की घोषणा के बाद यह बात सामने आई है कि अमाडिया एंटरप्राइजेज एलएलपी को अब रद्दीकरण के लिए दोगुना स्टांप शुल्क देना होगा, जो 42 करोड़ रुपये है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि भूमि सौदा मामले में कानून के अनुसार कार्रवाई की जा रही है और किसी को बचाने का कोई सवाल ही नहीं है.

फडणवीस से जब एफआईआर में पार्थ का नाम न होने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हस्ताक्षरकर्ताओं और विक्रेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है और जांच में दोषी पाए जाने वालों पर मामला दर्ज किया जाएगा. उन्होंने कहा, ‘जो लोग यह भी नहीं समझते कि एफआईआर क्या होती है, वही लोग बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं. जब प्राथमिकी दर्ज होती है, तो वह संबंधित पक्षों के खिलाफ दर्ज की जाती है. इस मामले में, प्राथमिकी कंपनी और उसके अधिकृत हस्ताक्षरकर्ताओं के खिलाफ दर्ज की गई है.’

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने अपने पोते पार्थ पवार की कंपनी से कथित तौर पर जुड़े विवादास्पद भूमि सौदे की जांच का समर्थन किया. कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने मांग की कि राज्य सरकार पुणे और मुंबई में भूमि लेन-देन पर एक ‘श्वेतपत्र’ जारी करे तथा विधानसभा के आगामी शीतकालीन सत्र के दौरान इस मुद्दे पर पूरे दिन की चर्चा कराए.

पंजीयन एवं स्टांप विभाग ने पार्थ पवार के रिश्ते के भाई और अमाडिया एंटरप्राइजेज एलएलपी के साझेदार दिग्विजय अमरसिंह पाटिल को सूचित किया है कि कंपनी को पहले की सात प्रतिशत स्टांप ड्यूटी (महाराष्ट्र स्टांप अधिनियम के तहत पांच प्रतिशत, एक प्रतिशत स्थानीय निकाय कर और एक प्रतिशत मेट्रो उपकर) का भुगतान करना होगा क्योंकि उसने यह दावा करके छूट मांगी थी कि भूमि पर एक डेटा सेंटर प्रस्तावित है.

विभाग के अधिकारियों ने बताया कि रद्दीकरण विलेख को निष्पादित करने के लिए कंपनी को सात प्रतिशत अतिरिक्त स्टांप शुल्क भी देना होगा. विभाग के अनुसार, कंपनी ने बिक्री विलेख के समय यह कहते हुए स्टांप शुल्क में छूट का दावा किया था कि भूखंड पर एक डेटा सेंटर स्थापित किया जाएगा, लेकिन अब प्रस्तुत रद्दीकरण विलेख से पता चलता है कि योजना रद्द कर दी गई है. बृहस्पतिवार को, मुंधवा इलाके में अमाडिया एंटरप्राइजेज को 40 एकड़ सरकारी ज़मीन की बिक्री का मामला ज़रूरी मंज़ूरी न मिलने के कारण सवालों के घेरे में आ गया. विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया कि इसका बाज़ार मूल्य 1,800 करोड़ रुपये है.

रजिस्ट्रार कार्यालय के महानिरीक्षक द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर पिंपरी चिंचवड पुलिस ने दिग्विजय पाटिल, शीतल तेजवानी (जिन्होंने पावर ऑफ अटॉर्नी के माध्यम से भूमि के 272 ‘मालिकों’ का प्रतिनिधित्व किया था) और उप-रजिस्ट्रार (पंजीयक) आर बी तारू के खिलाफ कथित गबन और धोखाधड़ी को लेकर प्राथमिकी दर्ज की. अजित पवार ने शुक्रवार को दावा किया कि पार्थ को इस बात की जानकारी नहीं थी कि उनकी फर्म द्वारा खरीदी गई जमीन सरकार की है और उन्होंने बताया कि 300 करोड़ रुपये का यह सौदा अब रद्द हो चुका है.

संयुक्त उप पंजीयक (वर्ग द्वितीय) ए पी फुलवारे ने अपने आदेश में कहा, ‘‘सात प्रतिशत की दर से स्टांप शुल्क का भुगतान करना आवश्यक है (महाराष्ट्र स्टांप अधिनियम के तहत पांच प्रतिशत, एक प्रतिशत स्थानीय निकाय कर और एक प्रतिशत मेट्रो उपकर) इसलिए बिक्री विलेख से संबंधित घाटा स्टांप शुल्क और जुर्माना स्टांप पुणे शहर के जिलाधिकारी के पास जमा किया जाना चाहिए और उक्त दस्तावेज पर विधिवत स्टांप होनी चाहिए.’’

अधिकारी ने इसी पत्र में कहा कि उक्त भूमि का निरस्तीकरण विलेख निष्पादित कराने के लिए कंपनी को अतिरिक्त सात प्रतिशत स्टांप शुल्क का भुगतान करना होगा. पत्र की एक प्रति में स्पष्ट किया गया है कि स्टांप शुल्क का भुगतान करने के बाद ही विलेख रद्द किया जाएगा. पार्थ पवार और उनके चचेरे भाई दिग्विजय पाटिल की सह-स्वामित्व वाली फर्म अमाडिया एंटरप्राइजेज ने शीतल तेजवानी के साथ एक समझौता किया और 300 करोड़ रुपये में बिक्री विलेख निष्पादित किया.

यह सौदा तब जांच के घेरे में आया, जब यह पता चला कि यह ज़मीन ‘मुंबई सरकार’ की है, और सौदे को अंजाम देते समय, फर्म ने कथित तौर पर सब-रजिस्ट्रार आर बी तारू, जिन्होंने सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में सौदे को अंजाम दिया था, के साथ मिलीभगत करके सात प्रतिशत स्टांप शुल्क माफ करवा लिया था. 300 करोड़ रुपये के सौदे के लिए सात प्रतिशत स्टांप शुल्क 21 करोड़ रुपये बैठता है.

स्टांप एवं पंजीकरण के संयुक्त महानिरीक्षक राजेंद्र मुठे ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बात करते हुए कहा कि अमाडिया ने स्टांप शुल्क में छूट की मांग की थी और कहा था कि जमीन पर एक डाटा सेंटर प्रस्तावित है. शरद पवार अपनी बेटी और राकांपा सांसद सुप्रिया सुले की पार्थ पर की गई टिप्पणी से भी असहमत दिखे. सुले ने कहा था कि उन्हें नहीं लगता कि पार्थ कुछ गलत करेंगे. शरद पवार ने कहा, ‘यह उनका (सुप्रिया का) विचार हो सकता है.’ उन्होंने कहा, ‘एक परिवार के तौर पर हम (पवार) एक हैं, लेकिन वैचारिक रूप से हम बंटे हुए हैं. मेरे एक पोते ने अजित पवार के खिलाफ चुनाव लड़ा था और अजित पवार की पत्नी ने मेरी बेटी के खिलाफ चुनाव लड़ा था.’

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