Last Updated:July 17, 2025, 19:34 IST
विदेश मंत्री एस. जयशंकर की बीजिंग यात्रा के बाद कूटनीतिक हलचल तेज हो गई है. चीन और रूस ने भारत के साथ फिर से अलायंस की इच्छा जताई है. अगर ये हुआ तो अमेरिका के लिए टेंशन देने वाली बात होगी.

रूस-चीन फिर भारत के साथ एक ग्रैंड अलायंस की तैयारी में जुट गए हैं. (PTI)
हाइलाइट्स
जयशंकर की चीन यात्रा के बाद एशिया में कूटनीतिक समीकरण बदलने लगे.रूस ने भारत-चीन से RIC को फिर शुरू करने के लिए बातचीत तेज की.चीन ने भी त्रिपक्षीय सहयोग पर सहमति जताई, अमेरिका की चिंता बढ़ी.विदेश मंत्री एस. जयशंकर की बीजिंग यात्रा के कुछ ही दिन बाद रूस और चीन ने एक साथ भारत की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया है. दोनों देशों ने रूस-भारत-चीन ( RIC) त्रिकोण को फिर से शुरू करने की वकालत की है. चीन ने गुरुवार को साफ कहा कि यह त्रिपक्षीय सहयोग न सिर्फ तीनों देशों के हित में है, बल्कि पूरी दुनिया की शांति और स्थिरता के लिए जरूरी है. ये बयान अमेरिका को परेशान करने वाले हैं. भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस पर नपा तुला जवाब दिया. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, रूस, भारत और चीन का त्रिपक्षीय संवाद एक महत्वपूर्ण मंच है, जहां तीनों देश वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा करते हैं. यह तंत्र लंबे समय के बाद फिर से सक्रिय हो रहा है. जब यह बैठक आयोजित की जाएगी, तो उसे सभी पक्षों की सुविधा के अनुसार तय किया जाएगा. हम आपको इसकी जानकारी समय पर उपलब्ध कराएंगे.
रूस के उप विदेश मंत्री आंद्रेई रुडेंको ने रूसी मीडिया से कहा, RIC को फिर से शुरू करने को लेकर हमारी भारत और चीन से बातचीत चल रही है. यह तीनों देश ब्रिक्स के संस्थापक हैं और दुनिया में इनकी धाक है. चीन के विदेश मंत्रालय ने इस पहल पर सहमति जताई. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा, हम भारत और रूस के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार हैं. यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत-चीन संबंधों में लद्दाख विवाद के बाद पहली बार स्थिरता लौट रही है.
अमेरिका को क्यों हो सकती है चिंता?
भारत, चीन और रूस तीनों देश मिलकर अगर RIC को दोबारा शुरू करते हैं, तो इससे एशिया में एक नया रणनीतिक संतुलन बनेगा. खास बात यह है कि भारत पहले ही QUAD (भारत, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया) में शामिल है, जिसमें ज्यादातर पश्चिमी देश हैं. चीन को लगता है कि QUAD उसकी घेराबंदी करने के लिए बनाया गया है. अमेरिका इसमें अपनी मनमर्जी चलाता है. अब अगर भारत RIC का हिस्सा बनता है, अमेरिका के लिए कूटनीतिक तौर पर बड़ा झटका होगा.
लद्दाख से कजान तक बदलते समीकरण
पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन सैन्य टकराव के बाद RIC की गतिविधियां रुक गई थीं. लेकिन पिछले साल रूस के कजान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद रिश्तों में बदलाव आया. जयशंकर की बीजिंग यात्रा, राजनाथ सिंह और अजित डोभाल की चीन यात्राओं से दोनों देशों के बीच धीरे-धीरे संवाद फिर शुरू हो चुका है.
China-Russia-India cooperation benefits all three countries, and regional and global peace, security, stability and progress. China stands ready to maintain communication with Russia and India on advancing the trilateral cooperation. pic.twitter.com/A7lomEd3Kf
— CHINA MFA Spokesperson 中国外交部发言人 (@MFA_China) July 17, 2025
रूस की कूटनीति और भारत की स्थिति
रूस लगातार इस फॉर्मेट की बहाली की वकालत कर रहा है. रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने मई में कहा था कि रूस वास्तव में चाहता है कि RIC फिर एक्टिव हो. इस मंच ने पहले ब्रिक्स और न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) जैसी संस्थाओं को जन्म दिया था. भारत के लिए यह एक संतुलन साधने का मौका हो सकता है. जहां एक ओर वह अमेरिका और यूरोप के साथ रणनीतिक साझेदारी निभा रहा है, वहीं दूसरी तरफ रूस और चीन जैसे पुराने सहयोगियों के साथ संपर्क बनाए रखना भी अहम है.
Mr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18.com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for 'Hindustan Times Group...और पढ़ें
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