Last Updated:February 28, 2025, 11:18 IST
DK Shivakumar News: डीके शिवकुमार ने कोयंबटूर में जग्गी वासुदेव और अमित शाह के साथ मंच साझा किया, इससे कांग्रेस में विवाद हुआ. शिवकुमार ने इसे धार्मिक यात्रा बताया. वह मुख्यमंत्री बनने के लिए प्रयासरत हैं.

कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने महाकुंभ में उनकी भागीदारी के आलोचकों को चुप करा दिया. (फोटो PTI)
हाइलाइट्स
डीके शिवकुमार ने कोयंबटूर में जग्गी वासुदेव और अमित शाह के साथ मंच साझा किया.शिवकुमार ने इसे धार्मिक यात्रा बताया, कांग्रेस में विवाद हुआ.शिवकुमार मुख्यमंत्री बनने के लिए प्रयासरत हैं.नई दिल्ली: कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने बुधवार को कोयंबटूर के पास आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ मंच साझा किया. आधिकारिक तौर पर, यह शिवरात्रि उत्सव था और शिवकुमार ने इसमें शामिल होने के अपने फैसले का बचाव करते हुए दावा किया कि वह एक कट्टर हिंदू हैं.
अगले दिन, बेंगलुरु में हंगामा मच गया, क्योंकि कांग्रेस के कई लोगों ने जग्गी वासुदेव और शाह के साथ मंच साझा करने के उनके फैसले पर सवाल उठाना शुरू कर दिया, जिन्होंने कांग्रेस पर खुलकर हमला किया. विपक्षी भाजपा ने दावा किया कि शिवकुमार कांग्रेस छोड़कर उनकी पार्टी की मदद से वैकल्पिक सरकार बना सकते हैं. बवाल के बीच शिवकुमार बेफिक्र दिखे और उन्होंने यह कहते हुए अपने फैसले का बचाव किया कि यह पूरी तरह से धार्मिक यात्रा थी, न कि राजनीतिक.
लेकिन शिवकुमार जो मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज हैं ऐसी हरकतें कर रहे हैं, जिससे लोगों की भौंहें तन गई हैं. वह नई दिल्ली में पार्टी के आकाओं को बार-बार याद दिला रहे हैं कि उन्हें मौजूदा सिद्धारमैया की जगह मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए. शिवकुमार को लगता है कि कांग्रेस ने उन्हें अच्छा इनाम दिया है. वह दावा कर रहे हैं कि मई 2023 में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद सत्ता साझा करने का समझौता हुआ था और अब राज्य में सर्वोच्च पद पर आसीन होने की बारी उनकी है.
क्या कर रहा है सिद्धारमैया खेमा?
सिद्धारमैया खेमा ऐसे समझौतों को खारिज करता रहा है और कहता रहा है कि वह पांच साल का पूरा कार्यकाल पूरा करेंगे. पिछले कुछ हफ़्तों में मुख्यमंत्री के करीबी कम से कम एक दर्जन मंत्रियों ने शिवकुमार के दावों पर खुलकर सवाल उठाए हैं. यह कोई रहस्य नहीं है कि बेहद महत्वाकांक्षी शिवकुमार इस बात से बेहद परेशान हैं कि पार्टी उन्हें सीएम पद के लिए विचार नहीं कर रही है, जबकि उन्होंने सिद्धारमैया के साथ मिलकर लगभग दो साल पहले पार्टी को बड़ी जीत दिलाई थी. उनके अनुसार यह उनका अधिकार है और कांग्रेस की तरफ से कोई दान नहीं है.
कर्नाटक कांग्रेस को तोड़ना नहीं आसान
हालांकि, कांग्रेस को तोड़ना इतना आसान नहीं है. क्योंकि 224 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा में पार्टी के पास 140 विधायक हैं. BJP और JDS के संयुक्त विपक्ष के पास सिर्फ 84 विधायक हैं, इनमें से कुछ अपनी ही पार्टी से नाराज हैं. कांग्रेस के अधिकांश विधायक अभी भी सिद्धारमैया का समर्थन करते हैं और अगर शिवकुमार कांग्रेस के साथ अपने 40 साल के रिश्ते को तोड़ने का फैसला करते हैं, तो वे इतनी आसानी से पाला नहीं बदल सकते.
शिवकुमार के लिए कई मुश्किलें
दूसरी ओर, जेडीएस का गौड़ा परिवार शिवकुमार को नापसंद करता है और उनका भाजपा में जाना उनके हित में नहीं है. अगर कुछ भी अकल्पनीय होता है, तो गौड़ा परिवार अपने विकल्पों पर पुनर्विचार कर सकता है. एक अनुभवी राजनेता और एक जबरदस्त आयोजक, शिवकुमार ऐसी व्यावहारिक कठिनाइयों से अवगत हैं और शायद कोई जल्दबाजी में निर्णय न लें. कुछ अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, शिवकुमार ने कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष पद को बचाने के लिए अपनी ही पार्टी पर अप्रत्यक्ष हमला किया है. उनका पांच साल का कार्यकाल पहले ही समाप्त हो चुका है और पार्टी में कई लोग मांग कर रहे हैं कि उनकी जगह किसी और को लाया जाए. इससे शिवकुमार बेहद नाराज़ हैं और वे दावा कर रहे हैं कि वे केपीसीसी अध्यक्ष बने रहेंगे.
उन्होंने हाल ही में एक बयान दिया कि वे 2028 में होने वाले अगले विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस का नेतृत्व करेंगे. शिवकुमार के एक मंत्री सहयोगी का कहना है कि उनमें कई बार सामान्य ज्ञान की कमी होती है और वे बेवकूफ़ाना गलतियां करते हैं जो बाद में उनके खिलाफ काम करती हैं. वे इस बात से सहमत हैं कि शिवकुमार के पास असीमित संसाधन और शानदार संगठन क्षमता है जिसका उपयोग उन्हें कांग्रेस में सीएम का पद हासिल करने के लिए करना चाहिए.
शिवकुमार के करीबी लोगों ने बताया कि वे वास्तव में इस बात से परेशान हैं कि दशकों तक कांग्रेस के लिए अथक काम करने के बाद भी उन्हें सीएम पद के लिए सचमुच भीख मांगनी पड़ रही है. ज्योतिष में दृढ़ विश्वास रखने वाले और एक कट्टर हिंदू शिवकुमार का मानना है कि अगर उन्हें विधानसभा के मौजूदा कार्यकाल के दौरान मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया, तो वे अपने जीवनकाल में यह पद नहीं पा सकेंगे. सबसे प्रतिष्ठित पद खोने के डर ने उन्हें चरम कदम उठाने के लिए मजबूर कर दिया है.
कांग्रेस इस संकट से कैसे निपटेगी?
शिवकुमार को सीएम बनाने से सिद्धारमैया खेमा निश्चित रूप से परेशान होगा, जो पार्टी में किसी भी अन्य गुट की तुलना में संख्यात्मक रूप से मजबूत और विविधतापूर्ण है. शिवकुमार होंने अतीत में कर्नाटक और महाराष्ट्र और हिमाचल प्रदेश सहित अन्य राज्यों में कांग्रेस से भाजपा में किसी भी दलबदल को रोकने की कोशिश की है. उनके हर कदम पर कांग्रेस और भाजपा दोनों की कड़ी नजर रहेगी. सभी की निगाहें कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री के अगले कदम पर टिकी हैं.
First Published :
February 28, 2025, 11:18 IST