जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ FIR दर्ज करने की याचिका SC ने क्यों खारिज कर दी?

8 hours ago

Last Updated:May 21, 2025, 14:15 IST

Justice Yashwant Verma Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ FIR दर्ज करने की याचिका पर सुनवाई से इनकार किया. आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजी गई थी.

जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ FIR दर्ज करने की याचिका SC ने क्यों खारिज कर दी?

सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ FIR याचिका खारिज की.

हाइलाइट्स

सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ FIR याचिका खारिज की.आंतरिक जांच रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजी गई.जस्टिस वर्मा को दिल्ली से इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर किया गया.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट के जज रहे यशवंत वर्मा के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया. यह याचिका राजधानी में जज के आधिकारिक आवास से नकदी मिलने के मामले में दायर की गई थी.

जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुयान (जज भुइयां) की बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से 8 मई को जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है कि भारत के चीफ जस्टिस ने जज के जवाब के साथ आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट राष्ट्रपति और भारत के प्रधानमंत्री को भेज दी है.

बेंच ने कहा, ‘आदेश की मांग करने वाली याचिका दायर करने से पहले याचिकाकर्ता को उचित प्राधिकरण के समक्ष प्रतिवेदन दायर कर अपनी शिकायत का निवारण करना होगा. इसलिए हम इस रिट याचिका पर सुनवाई करने से इनकार करते हैं. इस स्तर पर अन्य याचिकाओं पर गौर करना जरूरी नहीं है.’

आंतरिक जांच पैनल की ओर से जस्टिस यशवंत वर्मा को दोषी ठहराए जाने के बाद पूर्व CJI संजीव खन्ना ने उन्हें इस्तीफा देने के लिए कहा था. संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था. यह पत्र जस्टिस वर्मा की ओर से इस्तीफा देने से इनकार करने के बाद लिखा गया था. जस्टिस वर्मा को इस विवाद के बीच दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया था.

एडवोकेट मैथ्यूज नेदुम्पारा और तीन अन्य लोगों की ओर से दायर याचिका में आपराधिक कार्यवाही शुरू करने की मांग की गई थी. इसमें कहा गया था कि आंतरिक समिति ने जज के खिलाफ लगे आरोपों को पहली नजर में सच पाया है. याचिका में कहा गया है कि आंतरिक जांच से न्यायिक अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है, लेकिन यह लागू कानूनों के तहत आपराधिक जांच का विकल्प नहीं है.

मार्च में इन्हीं याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. उस समय आंतरिक जांच को चुनौती देते हुए औपचारिक पुलिस जांच की मांग की गई थी. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने आंतरिक कार्यवाही लंबित होने का हवाला देते हुए याचिका को समय से पहले खारिज कर दिया था. जांच पूरी होने के साथ ही याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि आपराधिक कार्रवाई में देरी अब उचित नहीं है.

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Shankar Pandit

Shankar Pandit has more than 10 years of experience in journalism. Before News18 (Network18 Group), he had worked with Hindustan times (Live Hindustan), NDTV, India News Aand Scoop Whoop. Currently he handle ho...और पढ़ें

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