जान तो बचा लेते हैं पर...प्राइवेट अस्‍पतालों पर SC की नजर क्‍यों हुई टेढ़ी?

4 hours ago

Last Updated:March 04, 2025, 22:09 IST

Private Hospital News: प्राइवेट अस्‍पताल में इलाज कराने वाले लोगों को सरकारी अस्‍पताल की तुलना में ज्‍यादा पैसे चुकाने होते हैं. निजी अस्‍पतालों की ओर से जरूरत से ज्‍यादा फीस लेने से जुड़ी खबरें अक्‍सर सामने आत...और पढ़ें

जान तो बचा लेते हैं पर...प्राइवेट अस्‍पतालों पर SC की नजर क्‍यों हुई टेढ़ी?

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को प्राइवेट हॉस्पिटल पर लगाम लगाने के लिए नई पॉलिसी बनाने को कहा है.

हाइलाइट्स

सुप्रीम कोर्ट का प्राइवेट हॉस्पिटल पर बड़ा अदेशसरकार को मुकम्‍मल नीति बनाने का दिया निर्देशनिजी अस्‍पतालों में लूट को रोकने की कवायद

नई दिल्‍ली. प्राइवेट हॉस्पिटल की मनमानी से देशभर के लोग वाकिफ हैं. निजी अस्‍पतालों की जरूरत से ज्‍यादा पैसे वसूलने के मामले अक्‍सर सामने आते रहते हैं. प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती होने के बाद आमलोगों को फीस की ही चिंता सताती रहती है. कई बार तो लोगों को खेत या फिर गहने बेचकर अस्‍पतालों की भारी-भरकम फीस चुकानी पड़ती है. एक रिपोर्ट की मानें तो सरकारी की तुलना प्राइवेट अस्‍पताल एक-दो नहीं बल्कि सात गुना तक ज्‍यादा पैसा वसूलता है. अब निजी अस्‍पतालों की इस मनमानी पर रोक लगने की उम्‍मीद बढ़ी है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्‍य सरकारों को प्राइवेट अस्‍पतालों को लेकर नई नीति बनाने का निर्देश दिया है.

प्राइवेट अस्पतालों में इलाज करवाने वाले आम लोगों के लिए एक बड़ी खबर है. निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों और परिवारों के शोषण को रोकने के लिए जल्द ही नई नीति बनाने की संभावना प्रबल हो गई है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार को अहम निर्देश दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र और राज्यों से निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों और उनके परिवारों के शोषण को रोकने के लिए एक नीति बनाने को कहा है. प्राइवेट अस्‍पताल अपनी ही दवा दुकानों से दवा खरीदने को मजबूर करते हैं. इसके अलावा ट्रांसप्‍लांट और मेडिकल इक्विपमेंट के नाम पर मरीजों और उनके परिजनों को लूटा जाता है.

सुप्रीम कोर्ट ने किया आगाह
जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि सरकारों को अनुचित आरोपों और शोषण के बारे में भी संवेदनशील होना चाहिए. हालांकि,‌ सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों को निजी अस्पतालों के खिलाफ सख्त या अनुचित रुख न अपनाने को लेकर भी आगाह किया है. कोर्ट ने कहा कि यदि ऐसा होता है तो इससे वे प्राइवेट इन्‍वेस्‍टर्स इस सेक्‍टर से दूर हो सकते हैं जो इसमें अहम भूमिका निभाते हैं. सिद्धार्थ डालमिया के रिट पिटिशन पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. डालमिया ने अपनी याच‍िक में बताया कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से शोषण का दंश तब महसूस किया था, जब एक रिश्तेदार का एक प्राइवेट अस्‍पताल में इलाज हुआ था.

प्राइवेट अस्‍पतालों की लूट
भारत में निजी और सरकारी अस्पतालों में इलाज की लागत में महत्वपूर्ण अंतर देखा जाता है. NSO की रिपोर्ट (2017-18) के अनुसार, सरकारी अस्पतालों में एक बार भर्ती होने पर औसत खर्च ₹4,452 था, जबकि निजी अस्पतालों में यह खर्च ₹31,845 तक पहुंच जता है. सरकारी अस्पतालों की तुलना में यह खर्च लगभग सात गुना अधिक है. आईआईटी जोधपुर के एक अध्ययन में पाया गया कि सरकारी अस्पतालों में एक दिन का कुल खर्च ₹2,833 है, जबकि निजी अस्पतालों में यह ₹6,788 तक होता है. सरकारी अस्पतालों की तुलना में यह लगभग तीन गुना अधिक है. आयुष्मान भारत योजना के तहत किए एक अध्ययन में पाया गया कि इस योजना के तहत सरकारी और निजी अस्पतालों में इलाज के खर्च में भारी अंतर है. कुछ मामलों में यह अंतर 200 फीसद से भी अधिक है. यह तब है जबकि सरकार ने इलाज के लिए पैकेज फिक्स किए हैं.

Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

March 04, 2025, 22:09 IST

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