टैगोर के बाद अब सत्यजीत रे, बांग्लादेश ने ढहाई एक और विरासत; भारत ने कहा...

7 hours ago

Last Updated:July 15, 2025, 23:27 IST

Satyajit Ray House Demolish: बांग्लादेश में सत्यजीत रे के पैतृक घर को ढहा दिया गया है, जिससे बंगाली संस्कृति की विरासत को नुकसान पहुंचा है. भारत सरकार ने इसे फिर से बनाने में सहयोग की पेशकश की है.

टैगोर के बाद अब सत्यजीत रे, बांग्लादेश ने ढहाई एक और विरासत; भारत ने कहा...

बांग्लादेश में सत्यजीत रे के पैतृक घर को ढहा दिया गया है.

हाइलाइट्स

सत्यजीत रे के पैतृक घर को बांग्लादेश ने ढहा दिया.भारत ने पुनर्निर्माण में सहयोग की पेशकश की है.भारत ने कहा कि बंगाली संस्कृति की विरासत को नुकसान पहुंचा है.

नई दिल्ली. बांग्लादेश में एक-एक कर उन सभी सांस्कृतिक विरासत को तबाह किया जा रहा है, जिसका संबंध ना सिर्फ भारत से है, बल्कि बंगाली संस्कृति से उससे जुड़ी है. पहले रवींद्रनाथ टैगोर के घर को तोड़ दिया गया और अब सत्यजीत रे के पैतृक घर को भी बांग्लादेश ने ढहा दिया. उपेंद्र किशोर राय चौधरी (सत्यजीत रे के दादा) का पैतृक घर, जिसे मैमनसिंह में पूर्णलक्ष्मी भवन के नाम से जाना जाता था (जिसे पहले मैमनसिंह शिशु अकादमी के नाम से जाना जाता था), दुर्भाग्य से पिछले एक दशक से खंडहर में तब्दील हो गया है.

1989 के आसपास इसे छोड़ दिए जाने के बाद, इसकी दीवारें ढह गईं, दरवाजे और खिड़कियां चोरी हो गईं और बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ हुई. हाल की रिपोर्टों से पुष्टि होती है कि अब इस जगह को एक नए हाउ-कंक्रीट ढांचे के निर्माण के लिए ध्वस्त किया जा रहा है, जिससे बंगाल की सांस्कृतिक विरासत से जुड़ी एक गहन ऐतिहासिक महत्व की इमारत प्रभावी रूप से मिट गई है. भारत सरकार का कहना है कि वह सत्यजीत रे की पैतृक संपत्ति की मरम्मत और पुनर्निर्माण के लिए बांग्लादेश सरकार के साथ सहयोग करने को तैयार है.

भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि गहरी खेद के साथ यह संज्ञान में लिया गया है कि प्रसिद्ध फिल्म निर्माता और साहित्यकार सत्यजीत रे की बांग्लादेश के मैमनसिंह में स्थित पैतृक संपत्ति, जो उनके दादा एवं प्रसिद्ध साहित्यकार उपेंद्रकिशोर रे चौधरी की थी, ध्वस्त की जा रही है और यह संपत्ति वर्तमान में बांग्लादेश सरकार के स्वामित्व में है और जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है.

नई दिल्ली ने कहा, “बांग्ला सांस्कृतिक पुनर्जागरण के प्रतीक, इस इमारत की ऐतिहासिक स्थिति को देखते हुए, इसके विध्वंस पर पुनर्विचार करना और इसकी मरम्मत व पुनर्निर्माण के विकल्पों पर विचार करना बेहतर होगा ताकि इसे साहित्य संग्रहालय और भारत-बांग्लादेश की साझा संस्कृति के प्रतीक के रूप में विकसित किया जा सके. भारत सरकार इस उद्देश्य के लिए सहयोग देने को तैयार है.”

Rakesh Ranjan Kumar

राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...और पढ़ें

राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...

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New Delhi,Delhi

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