ट्रंप-पुतिन मुलाकात में होगा रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म होने का ऐलान? जंग का 360 डिग्री डीएनए टेस्ट

5 days ago

Russia Ukraine War: रूसी राष्ट्रपति पुतिन अलास्का पहुंच गए हैं. यहां दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच होने वाली मुलाकात से यूक्रेन युद्ध के ख़त्म होने की उम्मीद पूरी दुनिया लगा रही है. जंग भले ही 2 देशों के बीच चल रही है, लेकिन इसका खामियाजा पूरी दुनिया भुगत रही है. दुनिया भर में इस युद्ध का मानवीय, आर्थिक और भू-राजनीतिक असर देखने को मिल रहा है.

रूस-यूक्रेन युद्ध के साइड इफेक्ट

इस युद्ध की शुरुआत 24 फरवरी 2022 को हुई जब रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने यूक्रेन के ख़िलाफ़ स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन का एलान किया. इसकी वजह से द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप में सबसे बड़ा युद्ध छिड़ गया. इस युद्ध की वजह से भारी तबाही हुई है. लाखों सैनिकों की जान गई है और यूक्रेन की एक-चौथाई आबादी को अपना घर-बार छोड़ना पड़ा है. ट्रंप और पुतिन की बातचीत से युद्ध ख़त्म हो गया तो क्या होगा और युद्ध जारी रहा तो क्या होगा. इस पर बात करने से पहले युद्ध की वजह से हुई बर्बादी के आंकड़ों पर नज़र डाल लेते हैं. सबसे पहले बात सैन्य नुक़सान की. 

अमेरिका के थिंक टैंक सेंटर फॉर स्ट्रैटजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज़ की जून महीने की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ युद्ध में रूस के लगभग 2.5 लाख सैनिक मारे गए हैं जबकि 7 लाख सैनिक घायल हुए हैं. यूक्रेन की बात करें तो 60 हज़ार से 1 लाख सैनिक मारे गए हैं जबकि 3 लाख से ज़्यादा सैनिक घायल हुए हैं.

हालांकि सैनिकों के हताहत होने का ये आंकड़ा सिर्फ़ एक अनुमान है क्योंकि न तो रूस, न ही यूक्रेन इतनी संख्या में अपने सैनिकों के मारे जाने की पुष्टि करता है. युद्ध में सिर्फ़ सैनिक ही हताहत नहीं हुए हैं बल्कि आम लोग भी गोला-बारूद का शिकार बने हैं. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार यूक्रेन में 12,300 से ज्यादा आम लोग युद्ध में मारे गए हैं. इनमें 650 से ज्यादा बच्चे भी हैं.

हालांकि मारे गए आम लोगों की वास्तविक संख्या इससे कहीं ज़्यादा हो सकती है क्योंकि युद्ध से प्रभावित क्षेत्रों तक स्वतंत्र संस्थानों की पहुंच बेहद सीमित है. युद्ध की वजह से बड़ी संख्या में लोगों को अपना घर भी छोड़ना पड़ा है, ख़ास तौर पर यूक्रेन के लोगों को काफ़ी दिक़्क़तों का सामना करना पड़ रहा है. 

युद्ध छिड़ने के बाद से यूक्रेन के लगभग 60 लाख नागरिकों को अपना देश छोड़कर यूरोप के दूसरे देशों में शरण लेनी पड़ी है. जबकि यूक्रेन के लगभग 40 लाख लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हैं. सैनिकों और आम लोगों की मौत के अलावा युद्ध की वजह से दोनों देशों को भारी आर्थिक नुकसान भी हुआ है. एक अनुमान के मुताबिक़ रूस को युद्ध पर हर दिन 500 मिलियन से लेकर 1 अरब अमेरिकी डॉलर तक खर्च करना पड़ रहा है. यानी एक दिन का खर्च 44 अरब रुपये से लेकर 88 अरब रुपये के बीच है. 

दूसरी तरफ़ यूक्रेन की एक संसदीय समिति के प्रमुख के मुताबिक़ यूक्रेन को युद्ध पर रोज़ 140 मिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च करना पड़ रहा है. यानी एक दिन का खर्च 12 अरब रुपये से ज़्यादा है. अब आप अनुमान लगा सकते हैं कि लगभग 1,270 दिनों के युद्ध में दोनों देशों को कितना आर्थिक नुकसान हुआ होगा. अगर इतने पैसे का इस्तेमाल लोगों की भलाई और अपने-अपने देश के विकास के लिए होता तो स्थिति कुछ और होती. लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि ये पैसा विनाश पर खर्च किया जा रहा है. इस युद्ध का असर सिर्फ़ रूस और यूक्रेन पर ही नहीं पड़ा है बल्कि इसकी वजह से दुनिया भी मुश्किल में है. 

- युद्ध की वजह से दुनिया का विकास 1 प्रतिशत धीमा हो गया है.

- दुनिया में महंगाई 2.5 प्रतिशत बढ़ी है.

- दुनिया भर में तेल और गैस का दाम बढ़ा है.

- युद्ध के कारण रूस और यूक्रेन से अनाज के निर्यात में भी रुकावट आई है.

युद्ध की वजह से बर्बादी के आंकड़े जानने के बाद अब उम्मीदें अलास्का में ट्रंप और पुतिन की मुलाक़ात से. अगर ट्रंप और पुतिन की मुलाक़ात से युद्ध थम जाता है तो रूस और यूक्रेन के अलावा दुनिया के बाक़ी देश भी चैन की सांस लेंगे. युद्ध थमने से

- अमेरिका और यूरोपीय यूनियन के साथ रूस के संबंधों में सुधार हो सकता है.

- पश्चिमी देश रूस से आर्थिक पाबंदियां धीरे-धीरे हटा सकते हैं. 

- युद्ध रुकने का फायदा यूरोपीय देशों को भी होगा जो रूस से ऊर्जा आयात में कमी के कारण परेशानी से जूझ रहे हैं...

- यूक्रेन की अर्थव्यवस्था भी स्थिर हो सकेगी जो युद्ध के कारण भारी नुकसान झेल रही है

- रूस और यूक्रेन के बीच शांति बहाल होने से दुनिया में स्थिरता बढ़ सकती है.

- दूसरे देशों में शरण लेने वाले यूक्रेन के शरणार्थी वापस अपने देश आ सकेंगे.

अब बात उस स्थिति की जब ट्रंप और पुतिन की मुलाक़ात नाकाम हो जाती है और युद्ध पहले की तरह ही जारी रहता है. 

-अगर युद्ध जारी रहता है तो रूस पर पाबंदियां और सख़्त होंगी. अमेरिका के साथ-साथ यूरोपीय संघ भी ये संकेत दे चुका है.

-युद्ध जारी रहने पर दुनिया में तनाव बढ़ सकता है और तीसरे विश्व युद्ध की स्थिति भी बन सकती है. 

उधर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने बातचीत से कुछ ही घंटे पहले साफ कर दिया है कि अगर पुतिन युद्ध ख़त्म करने के लिए राजी नहीं होते हैं तो इसके गंभीर नतीजे होंगे. 

हालांकि ट्रंप ने ये साफ नहीं किया कि उनके कहने का मतलब नए प्रतिबंध हैं या टैरिफ. हालांकि ये भी सच है कि अमेरिकी प्रतिबंधों और टैरिफ का रूस पर कुछ ख़ास असर नहीं होगा क्योंकि दोनों देशों के बीच बहुत कम व्यापार होता है.

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