Last Updated:September 18, 2025, 14:20 IST
राहुल गांधी ने ज्ञानेश कुमार और निर्वाचन आयोग पर वोट चोरी के आरोप लगाए, तेजस्वी यादव और अखिलेश यादव के साथ अभियान चलाया, बिहार में एनडीए को चुनौती दी जा रही है.

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और निर्वाचन आयोग के बीच तकरार चरम पर है. गुरुवार को राहुल ने एक बार फिर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि कर्नाटक और महाराष्ट्र की कई सीटों पर कॉल सेंटरों के जरिए वोटरों के नाम काटे गए और सीईसी ऐसे अपराधियों को बचा रहे हैं. उन्होंने इसे वोट चोरी फैक्ट्री करार दिया, जहां सॉफ्टवेयर के माध्यम से व्यवस्थित रूप से अल्पसंख्यकों और दलितों के वोट हटाए जा रहे हैं. हालांकि ईसीआई ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया.
यह तकरार केवल आज की नहीं, बल्कि राहुल के नेतृत्व में छेड़े गए एक व्यापक अभियान का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाकर विपक्ष को मजबूत करना है. यह अभियान बिहार विधानसभा चुनावों के संदर्भ में और भी महत्वपूर्ण हो जाता है, जहां नवंबर में मतदान होने हैं. बीते अगस्त में राहुल ने बिहार में 16 दिनों की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ निकाली, जो 1,300 किलोमीटर लंबी थी. राजनीतिक के जानकार बताते हैं कि सासाराम से शुरू हुई यह यात्रा काफी सफल रही. इस यात्रा की सफलता में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) नेता तेजस्वी यादव का अहम योगदान रहा. तेजस्वी ने यात्रा में शामिल होकर इसे जन-जन तक पहुंचाया और लालू प्रसाद यादव ने भी बीजेपी पर संविधान को नष्ट करने का आरोप लगाया. जानकारों के अनुसार राहुल का ‘वोट चोर, गद्दी छोड़’ नारा अब जमीन पर उतर चुका है. बिहार के गांवों में इसकी चर्चा हो रही है और सोशल मीडिया पर कांग्रेस के पोस्ट्स को लाखों व्यूज मिल रहे हैं.
राहुल इस अभियान को अकेले नहीं चला रहे. उनके दो प्रमुख स्तंभ हैं – उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) के अखिलेश यादव और बिहार में तेजस्वी यादव. इन दोनों हिंदी पट्टी राज्यों में कांग्रेस की हालत खस्ता है. वह सपा और आरजेडी पर निर्भर है. राहुल को यह अच्छी तरह पता है इसलिए दिल्ली से वे केंद्रीय स्तर पर मोर्चाबंदी कर रहे हैं. इसके के लिए वह प्रेस कॉन्फ्रेंस, सोशल मीडिया कैंपेन और सुप्रीम कोर्ट में याचिकाओं का सहारा ले रहे हैं. वहीं, अखिलेश और तेजस्वी जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं. अखिलेश ने यूपी में महोबा जैसे इलाकों में वोट चोरी के उदाहरण दिए, जहां एक मकान में हजारों वोटर दिखाए गए. तेजस्वी ने बिहार में रैलियों के जरिए नारे को लोकप्रिय बनाया. इंडिया गठबंधन की यह रणनीति प्रभावी साबित हो रही है, क्योंकि इससे विपक्ष एकजुट दिख रहा है. चुनावी प्रभाव की बात करें तो यह अभियान बिहार में एनडीए (बीजेपी-जेडीयू) को चुनौती दे रहा है.
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First Published :
September 18, 2025, 14:20 IST