Illegal Drug Trade: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में कांग्रेस को सौंपे गए एक ‘प्रेसीडेंट डिटरमिनेशन’ में भारत को अवैध ड्रग्स का उत्पादन करने और उनका ट्रांजिट करने वाले प्रमुख देशों में शामिल किया गया है. एक रिपोर्ट के अनुसार ट्रंप ने जोर देकर कहा कि अवैध पदार्थों का निर्माण और तस्करी अमेरिका और उसके नागरिकों की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बनी हुई है. अमेरिकी विदेश विभाग के अनुसार, यह सूची भौगोलिक, व्यापारिक और आर्थिक कारकों के आधार पर तैयार की जाती है, जो ड्रग्स की तस्करी या उत्पादन को बढ़ावा देते हैं।
अवैध ड्रग्स और केमिकल्स की तस्करी में संलिप्तता के लिए पहचाने गए देशों की सूची कई महाद्वीपों में फैली हुई है. एशिया में इसमें अफगानिस्तान, बर्मा, चीन, भारत और पाकिस्तान शामिल हैं. अन्य देशों में बहामास, बेलीज, बोलीविया, कोलंबिया, कोस्टा रिका, डोमिनिकन गणराज्य, इक्वाडोर, अल सल्वाडोर, ग्वाटेमाला, हैती, होंडुरास, जमैका, लाओस, मेक्सिको, निकारागुआ, पनामा, पेरू और वेनेज़ुएला शामिल हैं.
खास तौर से अफगानिस्तान की आलोचना
इन 23 देशों में से अफगानिस्तान, बोलीविया, बर्मा, कोलंबिया और वेनेजुएला सहित पांच देशों को ट्रंप ने पिछले वर्ष के दौरान अपने अंतरराष्ट्रीय मादक पदार्थ विरोधी प्रतिबद्धताओं को बनाए रखने या नशीली दवाओं के उत्पादन और तस्करी के खिलाफ पर्याप्त उपायों को लागू करने में ‘स्पष्ट रूप से विफल’ होने के लिए चिह्नित किया था. उन्होंने उत्पादन और व्यापार पर सार्वजनिक प्रतिबंध के बावजूद चल रही मादक पदार्थों की गतिविधियों के लिए विशेष रूप से अफगानिस्तान की आलोचना की.
विनाशकारी प्रभावों पर भी बात की
ट्रंप ने सिंथेटिक ओपिओइड, खासकर फेंटेनाइल के विनाशकारी प्रभावों पर भी बात की. जिसके बारे में उन्होंने कहा कि ये अमेरिका में एक गंभीर जन स्वास्थ्य संकट का कारण बन रहे हैं. राष्ट्रपति ट्रंप ने इन ड्रग्स से निपटने की तत्काल जरूरत पर बल दिया जो 18 से 44 वर्ष की आयु के अमेरिकियों में मृत्यु का प्रमुख कारण बनी हुई हैं. साथ ही भारत-पाकिस्तान सीमा पर ड्रोन से मादक पदार्थों की तस्करी के मामलों में तेजी से वृद्धि देखी गयी.
अवैध ड्रग्स का उत्पादन और तस्करी
भारत की भौगोलिक स्थिति इसे ड्रग्स की तस्करी का एक महत्वपूर्ण केंद्र बनाती है. यह दो प्रमुख अफीम-उत्पादक क्षेत्रों ‘गोल्डन क्रिसेंट’ (पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान) और ‘गोल्डन ट्राएंगल’ (म्यांमार, लाओस, थाईलैंड) के बीच स्थित है. ये क्षेत्र भारत में ड्रग्स की तस्करी के मुख्य स्रोत हैं. भारत में अवैध ड्रग्स का उत्पादन भी होता है. रिपोर्टों के अनुसार देश के कुछ राज्य, जैसे महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, दिल्ली-एनसीआर और पूर्वोत्तर राज्य, सिंथेटिक ड्रग्स (जैसे मेथामफेटामाइन और मेफेड्रोन) के अवैध निर्माण के केंद्र बन गए हैं.
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किन रास्तों से होती है तस्करी
पंजाब, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर की सीमा से पाकिस्तान से हेरोइन की तस्करी की जाती है. ड्रोन का इस्तेमाल करके भी सीमा पार ड्रग्स भेजे जाने के कई मामले सामने आए हैं. पूर्वोत्तर राज्यों (विशेषकर मणिपुर, मिजोरम और नागालैंड) के रास्ते म्यांमार से ड्रग्स की तस्करी होती है. मुंबई, गुजरात, केरल और तमिलनाडु जैसे तटीय क्षेत्रों का उपयोग सिंथेटिक ड्रग्स और उनके कच्चे माल की तस्करी के लिए किया जाता है. भारत में डार्कनेट के माध्यम से भी ड्रग्स का कारोबार तेजी से बढ़ा है, जिसमें क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग किया जाता है.
भारत ने क्या की है कार्रवाई
भारत सरकार और उसकी एजेंसियां, जैसे नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ड्रग्स के अवैध व्यापार के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही हैं. 2024 में विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने भारी मात्रा में नशीली दवाएं जब्त कीं, जिनमें भांग, हेरोइन और सिंथेटिक ड्रग्स शामिल थीं. दिल्ली और महाराष्ट्र जैसे राज्य कोकीन जब्ती के प्रमुख केंद्र के रूप में उभरे हैं. ड्रग्स के अवैध उत्पादन और तस्करी में शामिल कई गिरोहों को भी गिरफ्तार किया गया है.
हर साल कितने रुपये का कारोबार?
भारत में अवैध ड्रग्स का कारोबार का अनुमान लगाना मुश्किल है. इसकी वजह यह है कि यह एक गुप्त और अवैध अर्थव्यवस्था का हिस्सा है. हालांकि कुछ रिपोर्टों और सरकारी आंकड़ों से इसके पैमाने का अंदाजा लगाया जा सकता है. सरकार और कानून प्रवर्तन एजेंसियां, जैसे नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो हर साल भारी मात्रा में ड्रग्स जब्त करती हैं. जब्त किए गए ड्रग्स के मूल्य से कारोबार के पैमाने का कुछ अंदाजा मिलता है. 2024 में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि अकेले साल 2024 में 16,914 करोड़ रुपये के नशीले पदार्थ जब्त किए गए, जो अब तक की सबसे बड़ी जब्ती थी.
नवंबर 2023 तक विभिन्न एजेंसियों ने 30 हजार करोड़ रुपये से अधिक की ड्रग्स जब्त की थी. जून 2022 से मार्च 2023 के बीच 7,117 करोड़ रुपये की ड्रग्स जलाई गईं. एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार इसी अवधि में कुल 22,000 करोड़ रुपये की ड्रग्स जब्त की गईं. ये आंकड़े केवल जब्त की गई ड्रग्स के हैं. अवैध कारोबार का वास्तविक मूल्य इससे कई गुना ज्यादा हो सकता है. क्योंकि जब्त की गई मात्रा कुल कारोबार का एक छोटा सा हिस्सा ही होती है. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह कारोबार कई लाख करोड़ रुपये का हो सकता है.
अवैध ड्रग्स से होने वाली मौतें
नशीली दवाओं के इस्तेमाल से होने वाली मौतों के सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं. क्योंकि कई मौतें सीधे तौर पर ड्रग्स के ओवरडोज या आत्महत्या के रूप में दर्ज नहीं होती हैं. हालांकि, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) और अन्य रिपोर्टों से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य सामने आए हैं. 2019 के NCRB के आंकड़ों के अनुसार हर दिन औसतन 21 लोग ड्रग्स या शराब की लत के कारण आत्महत्या कर लेते हैं. उस साल 7,860 से अधिक लोगों ने इसी वजह से आत्महत्या की थी. ओवरडोज के कारण भी बड़ी संख्या में मौतें होती हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार 2017 में अवैध ड्रग्स के कारण भारत में 22,000 से अधिक मौतें हुईं. पंजाब जैसे राज्यों में, जहां नशीली दवाओं का दुरुपयोग एक बड़ी समस्या है. नकली नशीली दवाओं के ओवरडोज से होने वाली मौतों के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं. अवैध ड्रग्स का कारोबार एक गंभीर समस्या है जो न केवल आर्थिर हानि का कारण बनता है, बल्कि समाज के स्वास्थ्य के लिए भी एक बड़ा खतरा है.
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