भारत ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आतंकवाद को पनाह देने से मना किया है. ये सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) जैसे आतंकवादी संगठनों द्वारा न करने दिया जाए. इन संगठनों को अफगानिस्तान में अपनी गतिविधियां चलाने की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए.
भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी. हरीश ने बुधवार को सुरक्षा परिषद को बताया कि भारत अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहा है. हरीश ने इस बात पर जोर दिया कि वैश्विक समुदाय को एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ना होगा.
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अफगानिस्तान में आतंकी समूहों की मौजूदगी
संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि रोजा ओटुनबायेवा ने भी इस बात को माना कि अफगानिस्तान में चरमपंथी समूहों की मौजूदगी एक बड़ी समस्या है. भले ही बड़े पैमाने पर हिंसा में कमी आई हो. 2021 में तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था, लेकिन अभी तक संयुक्त राष्ट्र और ज्यादातर देशों ने उसे मान्यता नहीं दी है. हरीश ने कहा कि केवल कड़े उपायों पर फोकस करने से कोई फायदा नहीं होगा. हमें ऐसे कदम उठाने चाहिए जो सकारात्मक व्यवहार को भी बढ़ावा दें.
भारत का नजरिया
भारत ने हमेशा से अफगानिस्तान के लोगों की मदद करने पर जोर दिया है. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कई बार अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री से बात की है. भारत ने अफगानिस्तान को कई तरह की मानवीय सहायता भी भेजी है. ओटुनबायेवा ने कहा कि तालिबान के नेतृत्व में दो तरह की सोच है: एक जो अफगान लोगों की जरूरतों को पूरा करना चाहती है, और दूसरी जो केवल इस्लामी शासन स्थापित करने पर ध्यान देती है. दूसरी सोच ने महिलाओं और लड़कियों पर कई प्रतिबंध लगाए हैं, जैसे कि उनकी शिक्षा और काम करने पर रोक लगाना.
अफगानिस्तान में मौजूदा स्थिति अच्छी नहीं
ओटुनबायेवा ने कहा कि इस तरह के व्यवहार से अंतरराष्ट्रीय समुदाय यह सवाल पूछ रहा है कि क्या उन्हें ऐसे देश का समर्थन करना चाहिए जिसके नेता अपनी ही जनता को नुकसान पहुंचाते हैं. हरीश ने इस बात पर जोर दिया कि अफगानिस्तान में मौजूदा स्थिति अच्छी नहीं है और इसे बदलने की जरूरत है. भारत सभी संबंधित पक्षों के साथ बातचीत जारी रखेगा.