Last Updated:August 15, 2025, 12:24 IST
बेंगलुरु का ट्रैफिक जाम अब इतना गंभीर हो गया है कि डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के अपने बच्चे भी उनसे रोज शिकायत करते हैं. उन्होंने माना कि सड़क चौड़ी करना नामुमकिन है और अब शहर को डबल-डेकर फ्लाईओवर और एलिवेटेड कॉ...और पढ़ें

Bengaluru Traffic: बेंगलुरु का ट्रैफिक जाम अब सिर्फ आम नागरिकों के लिए ही नहीं, बल्कि नेताओं और अफसरों के लिए भी एक बड़ा सिरदर्द बन चुका है. राज्य के डिप्टी सीएम डी.के. शिवकुमार ने खुद स्वीकार किया कि शहर की बिगड़ती ट्रैफिक व्यवस्था और जाम की वजह से उनके अपने बच्चे रोज़ाना उनसे नाराज होते हैं.
विधान परिषद में ट्रैफिक मुद्दे पर बोलते हुए डीके शिवकुमार ने कहा कि उनके बच्चे रोज उनसे शिकायत करते हैं कि शहर में किसी भी हिस्से तक पहुंचने में घंटों लग जाते हैं. उन्होंने बताया कि कई बार 10–15 किलोमीटर की दूरी तय करने में 6 से 7 घंटे तक का समय लग जाता है. उन्होंने यह भी बताया कि हाईकोर्ट के जज भी ट्रैफिक की वजह से परेशान हैं. खासकर हेब्बाल से कोर्ट तक आने में उन्हें करीब 45 मिनट लग जाते हैं.
बेंगलुरु की आबादी और गाड़ियों की संख्या
शिवकुमार ने कहा कि आज बेंगलुरु की आबादी दोगुनी होकर 70 लाख से बढ़कर लगभग 1.4 करोड़ हो चुकी है. इनमें से करीब 25 लाख टेक प्रोफेशनल्स काम कर रहे हैं, जो संख्या के मामले में कैलिफोर्निया की सिलिकॉन वैली से लगभग दोगुनी है. वहीं, बेंगलुरु में फिलहाल 1.2 करोड़ रजिस्टर्ड गाड़ियां हैं और इसके अलावा रोजाना करीब 40 लाख अतिरिक्त वाहन आसपास के जिलों से शहर में प्रवेश करते हैं.
“दिल्ली जैसी प्लानिंग नहीं हुई”
डीके शिवकुमार ने स्वीकार किया कि बेंगलुरु की सड़कों का विस्तार और योजना नई दिल्ली जैसी नहीं हुई. उन्होंने कहा कि सड़कों की चौड़ाई वही है जो शहर के संस्थापक केम्पेगौड़ा के समय थी, लेकिन गाड़ियों की संख्या कई गुना बढ़ चुकी है. उन्होंने यह भी बताया कि लोग साल भर में औसतन 117 घंटे सिर्फ ट्रैफिक जाम में फंसे रहते हैं.
क्यों रोड़ नहीं हो सकती चौड़ी?
शिवकुमार ने स्पष्ट किया कि अब शहर में सड़कें चौड़ी करना लगभग नामुमकिन है. इसकी बड़ी वजह है जमीन की कीमतें, जो शहर के कई इलाकों में 10,000 रुपये प्रति वर्ग फुट से भी ज्यादा हैं. ऐसे में प्रॉपर्टी अधिग्रहण करना सरकार के लिए बेहद कठिन है.
क्या है इस समस्या का समाधान?
शिवकुमार ने कहा कि अब समाधान केवल डबल-डेकर फ्लाईओवर और एलिवेटेड कॉरिडोर ही हैं. उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने पुणे का दौरा करने के बाद रागिगुड़ा से सिल्क बोर्ड तक एक फ्लाईओवर बनाया था, जो काफी सफल रहा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हाल ही में इस कॉन्सेप्ट की सराहना की और इसे बड़े स्तर पर लागू करने की सलाह दी. पीएम ने यहां तक सुझाव दिया कि इन फ्लाईओवर पर सोलर पैनल कवर भी लगाए जाएं ताकि शहर को हरित ऊर्जा का लाभ मिले.
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Location :
Bengaluru,Bengaluru,Karnataka
First Published :
August 15, 2025, 12:24 IST