Last Updated:May 29, 2025, 09:05 IST
Digital Advertisement : विज्ञापनों पर नजर रखने वाले संगठन ने सरकार को जानकारी दी है कि भ्रम फैलाने वाले सबसे ज्यादा विज्ञापन डिजिटल मंच पर आ रहे हैं. संगठन ने बाकायदा लिस्ट बनाकर भेजी है, जिन कंपनियों ने विज्...और पढ़ें

डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सबसे ज्यादा भ्रामक विज्ञापन परोसे जाते हैं.
हाइलाइट्स
डिजिटल विज्ञापनों में 95% भ्रामक विज्ञापन पाए गए.फेसबुक पर 79% विज्ञापनों में समस्याएं थीं.एएससीआई ने 7,199 विज्ञापनों की जांच की.नई दिल्ली. विज्ञापनों में भ्रामक खबरें देना कोई नई बात नहीं है, लेकिन डिजिटल प्लेटफॉर्म इस मामले में कुछ ही बवाल काटे हुए हैं. यह दावा किया है स्व-नियामक संगठन भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) ने. परिषद की ओर से जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तवर्ष 2024-25 में समस्या पैदा करने वाले सबसे ज्यादा विज्ञापन डिजिटल मंच पर रहे. परिषद ने इस दौरान नियमों के उल्लंघन की आशंका वाले 7,199 विज्ञापनों की जांच की और उनमें से लगभग 95 फीसदी डिजिटल मंचों पर थे. विज्ञापनों के जरिये भ्रम फैलाने वाली कंपनियों में ऐप और एचयूएल जैसी कंपनियां भी शामिल हैं.
इसमें कहा गया है कि डिजिटल मंच पर नियमों के उल्लंघन की आशंका वाले विज्ञापनों में से दो-तिहाई से अधिक सोशल मीडिया मंच पर प्रायोजित विज्ञापन थे. इसके अलावा 32 फीसदी डिजिटल विज्ञापन कंपनियों की अपनी वेबसाइट और सोशल मीडिया खातों पर दावों से संबंधित थे. रिपोर्ट में कहा गया है कि एएससीआई ने कुल 9,599 शिकायतों पर गौर किया. इनमें से 7,199 की जांच की गई. कुल जांचे गए विज्ञापनों में 98 फीसदी में बदलाव की जरूरत बताई गई है.
फेसबुक पर सबसे ज्यादा भ्रम
रिपोर्ट के अनुसार, डिजिटल मंचों पर मेटा में सबसे अधिक 79 फीसदी विज्ञापन ऐसे थे, जिसमें समस्याएं थी. परिषद की मुख्य कार्यपालक अधिकारी और महासचिव मनीषा कपूर ने कहा कि स्व-नियामक संगठन (एसआरओ) के लिए डिजिटल मीडिया सबसे बड़ी चुनौती है. उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए सभी पक्षों को मिलकर काम करने की जरूरत है. टीवी, प्रिंट समेत अन्य माध्यमों पर आने वाले विज्ञापनों का प्रसारण एक समान होता है. लेकिन डिजिटल मंचों की एल्गोरिदम-संचालित दुनिया यह सुनिश्चित करती है कि विभिन्न उपयोगकर्ताओं को अपनी स्क्रीन पर अलग-अलग विज्ञापन देखने को मिलें, जिससे निगरानी का काम बहुत मुश्किल हो जाता है.
डिजिटल विज्ञापन पर नजर रखेगी फ्रांसीसी कंपनी
कपूर ने कहा कि एएससीआई अपने प्रौद्योगिकी निवेश को बढ़ा रहा है और डिजिटल जगत में विज्ञापनों पर नजर रखने को उपकरणों की मदद के लिए एक फ्रांसीसी इकाई के साथ समझौता किया है. अन्य देशों में भी डिजिटल विज्ञापनों के साथ इसी तरह की चुनौतियां हैं. क्षेत्रीय दृष्टिकोण से, जिन 7,078 विज्ञापनों में संशोधन की आवश्यकता थी, उनमें से अधिकांश 43.52 फीसदी विदेशी सट्टेबाजी से संबंधित थे, जबकि लगभग 25 फीसदी रियल एस्टेट क्षेत्र से थे.
3,347 विज्ञापनों पर होगी कार्रवाई
स्व-नियामक संगठनों ने सरकारी रेगुलेटरी एजेंसियों को उचित कार्रवाई के लिए 3,347 विज्ञापनों की सूचना दी है. इन विज्ञापनों में सबसे ज्यादा सट्टेबाजी/जुआ, जादुई स्वास्थ्य उपचार का दावा करने वाली दवाओं, शराब और तंबाकू जैसे हानिकारक उत्पादों के विज्ञापन को प्रतिबंधित करने वाले कानूनों से संबंधित हैं. हैरान करने वाली बात ये है कि सट्टेबाजी कंपनियों के अलावा, ऐपल, हिंदुस्तान यूनिलीवर और लोरियल जैसी कंपनियों ने भी नियमों के उल्लंघन वाले विज्ञापन दिए हैं.
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...
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