Last Updated:August 15, 2025, 23:52 IST
KBC Special Episode: 'ऑपरेशन सिंदूर' के समय जब कर्नल सोफिया कुरैशी को ड्यूटी पर बुलाया गया, तब वह अपनी मां से कहकर घर से निकली थीं कि 'कुछ भी हो सकता है.'

नई दिल्ली: कर्नल सोफिया कुरैशी का नाम भारतीय सेना की शौर्य गाथाओं में दर्ज है. वह शुक्रवार को ‘कौन बनेगा करोड़पति‘ के स्वतंत्रता दिवस महा उत्सव स्पेशल एपिसोड में नजर आईं. उन्होंने अपने जीवन का ऐसा किस्सा सुनाया जिसने हर किसी को भावुक कर दिया. सोफिया ने बताया कि साल 2006 में वह संयुक्त राष्ट्र मिशन के तहत कॉन्गो में तैनात थीं. अचानक हालात बिगड़ गए. गोलियां चलने लगीं. मिलिशिया कब्रिस्तान में छिप गए. महिलाओं सहित कई लोग फंसे थे. टीम बनाने का समय आया तो सबसे पहले भारतीय अधिकारियों का नाम लिया गया. कर्नल ने बताया, उस दिन उन्हें एहसास हुआ कि शायद वह वापस न लौटें. उन्होंने छोटे फोन में अपनी मां के लिए संदेश रिकॉर्ड किया, ‘जिंदा आऊंगी या तिरंगे में लिपटी.’ मिशन सफल रहा. उन्होंने सीखा कि इंडियन आर्मी दुनिया में सबसे बेहतरीन है.
‘वो दिन आज भी याद है…’
कर्नल कुरैशी ने बताया, ‘इंडियन आर्मी के सोल्जर्स और ऑफिसर्स ट्रेन्ड हैं. हमें ऐसे कई मौके मिलते हैं जहां हम ऐसी सिचुएशन को फेस करते हैं. मैं आपको एक उदाहरण देना चाहती हूं. इंडियन आर्मी जो है, वो पीसकीपिंग फोर्सेज में भी है, हमारा बहुत बड़ा योगदान है. 2006 में मैं एक मिलिट्री ऑब्जर्वर के रूप में तैनात थीं, कॉन्गो में. कभी-कभी क्राइसिस हो जाते हैं तो उस समय बहुत हाई अलर्ट हो गया. सब जगह बंदूकें चल रही थीं. सिचुएशन बहुत खराब थी. कुछ मिलिशिया कब्रिस्तान में छिपे हुए थे. कुछ महिलाएं भी थीं. तो उन्होंने कहा कि हमें टीम बनानी है. गर्व की बात है कि किसी ने कहा कि इंडियन ऑफिसर्स को देखिए.’
कर्नल कुरैशी ने आगे बताया, ‘मुझे (मिशन का) वह दिन याद है… मुझे अचानक याद आ गई कि अगर मैं आज जा रही हूं, इसका हिस्सा हूं तो हो सकता है मैं वापस न आऊं. तो उस समय छोटे फोन होते थे, मैंने उसमें रिकॉर्ड किया अपनी मां के लिए, अपनी फैमिली के लिए… कि हो सके मैं वापस न आऊं, लेकिन मैं ये तिरंगा लेकर जा रही हूं… जिंदा आऊंगी या इसमें लिपटकर आऊंगी.’ कर्नल ने आगे बताया कि ‘ऑपरेशन बहुत सक्सेसफुल रहा. इन सबसे एक ही सीख मिली कि इंडियन आर्मी इज द बेस्ट!’
KBC में सुनाई ऑपरेशन सिंदूर की कहानी
कर्नल कुरैशी की तीन पीढ़ियों ने सेना में सेवा दी है. उनके पूर्वजों ने रानी लक्ष्मीबाई के साथ युद्ध लड़ा था. बचपन से ही वह वीर गाथाएं सुनते हुए बड़ी हुईं. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान दशकों से उकसावे करता आया है. 22 अप्रैल के पहलगाम अटैक जैसे कई उदाहरण हैं. जवाब देना जरूरी था. ऑपरेशन सिंदूर इसी सोच का नतीजा था. यह रिटैलिएशन नहीं था. यह संदेश था कि नया भारत अपनी सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा.
शो में उनके साथ वायुसेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह और नौसेना की कमांडर प्रेरणा देवस्थली भी थीं. तीनों ने अपने-अपने क्षेत्र में भारत की ताकत का परचम लहराया. अमिताभ बच्चन के सामने बैठना उनके लिए गर्व का क्षण था. लेकिन असली गर्व उन्होंने तब महसूस किया जब पूरे देश ने उनकी वीरता पर तालियां बजाईं.
Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...और पढ़ें
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Location :
Mumbai,Maharashtra
First Published :
August 15, 2025, 23:50 IST
तिरंगे में लिपटी लौटूंगी! मिशन पर जाने से पहले मां से कह गई थीं कर्नल सोफिया