मोगा: पंजाब के मोगा के कोटिसेखा में एक डॉक्टर द्वारा बनवाया गया ऐसा घर है, जिसका नाम ‘होम साइंस सेंटर’ रखा गया है. इसमें आधुनिक उपकरण तो नहीं हैं, लेकिन यह पंजाबी विरसे को दर्शाता एक ऐसा होम साइंस सेंटर है जो आपको बेहद आकर्षित करेगा और मन को शांति और सुकून देगा. इस होम सेंटर की दीवारों से पंजाब की मिट्टी की खुशबू आती है, और अंदर जाकर मन तरोताजा हो जाता है.
पुरातन घर की सुंदरता
यह होम साइंस सेंटर के अंदर जाते ही आपको पुराने पंजाब का दशकों पहले का मिट्टी का आधुनिक घर नजर आता है. यह सेंटर आधुनिक तरीके से बना है, लेकिन इसकी दीवारों की ईंटें किसी भट्टे से नहीं आईं, बल्कि इन्हें गाय के गोबर, चूने, आदि से बनाया गया है. इन ईंटों को न तो आग में पकाया गया है, न ही इनमें पानी का इस्तेमाल हुआ है.
जल संरक्षण और प्राकृतिक निर्माण
बता दें कि इस सेंटर को पुरातन तरीके से बनाया गया है और जो भी इसके पास से गुजरता है, वो इसे देखे बिना नहीं रह सकता. इस सेंटर में पानी की टंकी को कुएं के रूप में बनाया गया है और उसमें भी सीमेंट का इस्तेमाल नहीं हुआ. कहते हैं कि उसमें तीन साल तक पानी स्टोर किया जाए, तो वह खराब नहीं होता. इस सेंटर में छह कमरे बनाए गए हैं, जिनमें से तीन बेसमेंट में हैं. ऊपर की ओर रसोई है, जो पुरातन तरीके से बनाई गई है, जिसमें देसी मिट्टी का चूल्हा और मिट्टी की चिमनी है.
डॉक्टर वरिंदर सिंह भुल्लर की बात
इस होम साइंस सेंटर के बारे में लोकल 18 से बात करते हुए डॉक्टर वरिंदर सिंह भुल्लर ने कहा कि इन दीवारों में सांस लेने की क्षमता है, भूकंप का भी असर नहीं पड़ता. वे यह भी कहते हैं कि इस सेंटर में कोई मक्खी, मच्छर या छिपकली नहीं आती और यहां रहने से उम्र 100 साल तक बढ़ सकती है. यह धरती को केमिकल और रेडिएशन के जाल से मुक्त करने की एक पहल है.
नेचुरल साइंस का महत्व
वरिंदर सिंह भुल्लर का कहना है कि वेबलिंग हेल्थ संस्था के तहत, उनका एक कदम है धरती को केमिकल और रेडिएशन से मुक्त करना. इसके तहत कई मरीज और विद्यार्थी उनके साथ जुड़े हैं, जो लंबी बीमारी से पीड़ित थे. वे समझाते हैं कि आपके पास दो रास्ते हैं: या तो हमेशा डॉक्टर को पैसे दें या फिर खुद अपने परिवार को इन बीमारियों से दूर रखने के लिए नेचुरल साइंस का सहारा लें.
हवा की शुद्धता और स्वास्थ्य
बता दें कि डॉक्टर भुल्लर ने यह भी कहा कि नेचुरल साइंस अकेले खाने से नहीं जुड़ा. यदि हम कई दिनों तक सही खाना खाएं तो भी हम जीवित रह सकते हैं, लेकिन हवा में शुद्धता न हो तो हम दो मिनट भी जीवित नहीं रह सकते. इसके समाधान के लिए उन्होंने डॉक्टर शिवदर्शन मालिक से मिलकर एक ओक्सीजन चेम्बर का निर्माण किया है, जो बायोमास से बनी ईंटों से तैयार है.
ऑक्सीजन चेम्बर और कार्बन मुक्त घर
बता दें कि इस घर को बनाने में कोई भी कार्बन उत्सर्जन नहीं हुआ. ईंटें, जो गाय के गोबर, लाइम और मिट्टी से बनी हैं, केमिकल फ्री हैं. इस घर के निर्माण में कोई मशीन का उपयोग नहीं किया गया और सभी सामग्री हाथ से तैयार की गई. इसका उद्देश्य धरती को थोड़ा सा कार्बन मुक्त करना है. इस घर में मीठे पानी का कुआं भी है, जिसे बनाने में कोई सीमेंट नहीं, बल्कि गुड़, लाइम और मेथी का इस्तेमाल किया गया है.
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घर की विशेषताएं और जीवनशैली
बता दें कि इस घर में न तो एसी की जरूरत है और न ही हीटर की. रसोई में जो देसी मिट्टी के चूल्हे पर खाना बनता है, उसका मजा ही कुछ और है. चूल्हा शरीर के लीवर की तरह काम करता है. अगर हम बिना पके हुए खाना खाते हैं, तो हमारी सेहत पर बुरा असर पड़ता है. देसी मिट्टी के चूल्हे पर बनी रोटी और सब्जी खाने से हम कई बीमारियों से बच सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED :
December 26, 2024, 11:15 IST