Last Updated:February 27, 2025, 16:15 IST
Grain storage: महिसागर के बबलिया गाँव में आज भी पारंपरिक कोठी का उपयोग अनाज भंडारण के लिए किया जाता है. कड़ा अकाड़िया पौधे से बनी यह कोठी प्राकृतिक रूप से अनाज को सुरक्षित रखती है.

बबूल की कोठी
तकनीक और आधुनिकता के इस दौर में जहाँ पुरानी चीज़ें धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही हैं, वहीं महिसागर जिले के आदिवासी बहुल बबलिया गाँव में आज भी सदियों पुरानी परंपरा जीवंत है. यहाँ के लोग अब भी पारंपरिक तरीके से अनाज भंडारण के लिए बबूल की झोपड़ी जैसी कोठी का उपयोग कर रहे हैं. यह कोठी अपनी अनूठी बनावट और प्राकृतिक विशेषताओं के कारण अन्य आधुनिक भंडारण साधनों से अधिक बेहतर मानी जाती है.
मिट्टी और गोबर से बनी होती है यह खास कोठी
बबलिया गाँव के लोग अपने पूर्वजों से मिली इस परंपरा को आज भी सहेजे हुए हैं. इस कोठी को बनाने के लिए वे जंगलों से विशेष प्रकार के पौधों की शाखाएँ काटकर लाते हैं. इनमें प्रमुख रूप से ‘कड़ा अकाड़िया’ नामक पौधा शामिल है. जब इस पौधे की शाखाएँ कुछ दिन तक रखी जाती हैं तो वे नरम हो जाती हैं और फिर कुशल कारीगर उन्हें झोपड़ी का आकार दे देते हैं. इसके बाद इसे मिट्टी और गोबर से लीपकर मजबूत बनाया जाता है.
प्राकृतिक तरीके से अनाज को रखता है सुरक्षित
इस कोठी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें रखे गए अनाज में कीड़े नहीं लगते. इसकी वजह है ‘कड़ा अकाड़िया’ पौधे की प्राकृतिक कड़वाहट, जिससे कीट-पतंगे दूर रहते हैं. यह कोठी अनाज को लंबे समय तक सुरक्षित रखती है और इससे अनाज का स्वाद भी बना रहता है. आज जब प्लास्टिक और स्टील के कंटेनर अधिक इस्तेमाल किए जा रहे हैं, तब भी यह प्राकृतिक कोठी लोगों को आकर्षित कर रही है.
पीढ़ी दर पीढ़ी सहेजी गई यह कला
बबलिया गाँव के चंदूभाई खातुमभाई माछर का परिवार इस कोठी को बनाने की कला में माहिर है. उन्हें यह विरासत में अपने पिता से मिली थी और अब उनके बेटे भी इसे आगे बढ़ा रहे हैं. जब भी आसपास के किसी गाँव में किसी को ऐसी कोठी की जरूरत होती है, तो वे उन्हें बुलाते हैं और कुछ ही दिनों में यह कोठी बनकर तैयार हो जाती है.
आयुर्वेद में भी महत्वपूर्ण है यह पौधा
‘कड़ा अकाड़िया’ केवल कोठी बनाने के लिए ही नहीं, बल्कि आयुर्वेद में भी इसका विशेष महत्व है. इसे संस्कृत में ‘इन्द्रजवा’ और हिंदी में ‘कूड़ा’ कहा जाता है, जबकि इसका वैज्ञानिक नाम ‘राइटिया टोमेंटोसा’ है. इसके पत्ते, फूल, जड़ और बीज विभिन्न बीमारियों के इलाज में उपयोग किए जाते हैं. इस पौधे में मौजूद प्राकृतिक तत्व इसे औषधीय गुणों से भरपूर बनाते हैं.
First Published :
February 27, 2025, 16:15 IST