नक्‍सली कांपते हैं थर-थर, अपने ही SP को भेजा था जेल, पढ़ें महिला IPS की कहानी

1 month ago

Last Updated:March 07, 2025, 13:48 IST

Women’s Day: दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस कॉलेज से पढ़ाई करने वाली शिखा गोयल का चयन पहले भारतीय वन सेवा के लिया हुआ था. आईपीएस में चयन के बाद उनको जम्‍मू और कश्‍मीर काडर मिला था. कुछ वर्षो...और पढ़ें

नक्‍सली कांपते हैं थर-थर, अपने ही SP को भेजा था जेल, पढ़ें महिला IPS की कहानी

हाइलाइट्स

तेलंगाना काडर की आईपीएस अधिकारी हैं शिखा गोयल.वर्तमान समय में डीजीपी सीआईडी के पद पर हैं तैनात.केंद्रीय प्रतिनियुक्ति में भी निभा चुका है महत्‍वपूर्ण भूमिका.

Women’s Day: अंधेरी रात का साया, घने बादलों से ढकी आसमान की चादर, और एक दीपक की लौ, जो हर तूफान के बावजूद जलती रही… यह कहानी है उस लौ की, जिसने हर कठिनाई को चुनौती दी, हर अन्याय के खिलाफ खड़ी हुई, और एक मिसाल बन गई – यह कहानी है सीनियर आईपीएस अधिकारी शिखा गोयल की, जो फिलहाल तेलंगाना सीआईडी की डीजीपी हैं.

इस कहानी की शुरूआत होती है उत्‍तर प्रदेश के मेरठ शहर से. मेरठ की गलियों में एक लड़की थी, जो आम बच्चों की तरह सपनों की दुनिया में खोई रहती थी. लेकिन उसके कदमों में जोश और आंखों में एक अनजाना जुनून था. जब बाकी बच्चे खिलौनों से खेलते, वह खुद को खोजने में लगी रहती. दिल्ली के इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट में कार्यरत उनके पिता के साए में उनकी शिक्षा की मजबूत नींव रखी गई. पर क्या यह सफर इतना आसान था? बिलकुल नहीं!

नौवीं कक्षा तक किताबें उसके लिए सिर्फ एक औपचारिकता थीं. लेकिन जब दसवीं की बोर्ड परीक्षा का साया मंडराया, तो पहली बार उसने पढ़ाई का स्वाद चखा. और जब परिणाम आया, तो वह न केवल खुद, बल्कि पूरा परिवार चकित रह गया. उसने खुद से एक वादा किया – ‘अब कुछ बड़ा करना है!’ और यही वह मोड़ था, जहां से उसकी कहानी एक नए अध्याय की ओर बढ़ी.

तेलंगाना में ‘वीमेन ऑन व्हील्स’, ‘भरोसा’ और ‘शी’ जैसी योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू कर महिला सुरक्षा को एक नए स्तर पर पहुंचाया.

संघर्ष की वे रातें और सपनों की रोशनी
दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस कॉलेज में बॉटनी ऑनर्स की पढ़ाई के दौरान, जब दोस्त घूमने-फिरने की योजनाएं बनाते, तब शिखा अपने भविष्य की नींव तैयार कर रही थी. एम.फिल तक की शिक्षा पूरी करने के बाद, जब उसने यूपीएससी की परीक्षा का निर्णय लिया, तब यह कोई आसान सफर नहीं था. पर उसने तय कर लिया था – ‘या तो टॉप करना है, या कुछ भी नहीं!’

पहली परीक्षा में सफलता की सीढ़ी चढ़ते हुए, वह भारतीय वन सेवा में चयनित हो गई. पर क्या यही उसका सपना था? नहीं! उसकी असली मंज़िल तो कुछ और थी. जब आईपीएस का परिणाम आया और उसका नाम चुने गए अभ्यर्थियों में था, तो यह सिर्फ एक जीत नहीं थी, यह उस संघर्ष की जीत थी, जो उसने खुद से लड़ा था.

वर्दी की जिम्मेदारी और अन्याय के खिलाफ जंग
आईपीएस बनने के बाद, उसका पहला काडर था – जम्मू और कश्मीर. एक ऐसा स्थान, जहां जाने से पहले ही लोगों के मन में डर घर कर लेता है. लेकिन शिखा को कौन रोक सकता था? उसने अपने पद की गरिमा को साबित करते हुए न केवल कानून का सम्मान बढ़ाया, बल्कि एक ऐसे पुलिस अधिकारी को गिरफ्तार किया, जो वर्षों से कानून की धज्जियां उड़ा रहा था.

सेवक सिंह नामक इस एसपी के खिलाफ सख्त विवेचना कर, कोर्ट से उसे उम्रकैद की सजा दिलवाई. यह सिर्फ एक केस नहीं था, यह संदेश था उन सभी के लिए, जो अपनी कुर्सी की आड़ में अन्याय करते थे – ‘अगर कानून तुम्हारा है, तो न्याय मेरा!’

हैदराबाद में एडिशनल कमिश्नर ऑफ पुलिस (क्राइम एंड एसआईटी) के रूप में कार्यरत रहते उन्होंने महिला पुलिस कर्मियों को इंवेस्टीगेशन, पेट्रोलिंग और कोर पुलिसिंग की ज़िम्मेदारियों से जोड़ा.

महिलाओं की शक्ति और नक्सलियों के गढ़ में प्रहार
केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के दौरान, जब उन्हें सीआईएसएफ की महिला कॉन्स्टेबल्स को प्रशिक्षण देने का अवसर मिला, तो उन्होंने पिकेती तिर्सिया काली नामक मार्शल आर्ट से उन्हें सशक्त किया. यह केवल आत्मरक्षा का प्रशिक्षण नहीं था, यह उन महिलाओं के लिए उम्मीद की एक किरण थी, जो समाज की बेड़ियों में जकड़ी हुई थीं.

तेलंगाना में ‘वीमेन ऑन व्हील्स’, ‘भरोसा’ और ‘शी’ जैसी योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू कर, उन्होंने महिला सुरक्षा को एक नए स्तर पर पहुंचाया. उनके प्रयासों ने साबित कर दिया कि यदि महिलाएं ठान लें, तो वे न केवल खुद की रक्षा कर सकती हैं, बल्कि पूरे समाज को बदल सकती हैं.

जब आंध्र प्रदेश में तैनाती हुई, तो उन्होंने सबसे अधिक नक्सलियों के आत्मसमर्पण कराए. यह सिर्फ प्रशासनिक सफलता नहीं थी, यह उस विश्वास की जीत थी, जो उन्होंने उन लोगों में जगाया, जो बरसों से हिंसा के रास्ते पर थे.

केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के दौरान आईपीएस अधिकारी शिखा गोयल ने सीआईएसएफ की महिला कॉन्स्टेबल्स को पिकेती तिर्सिया काली नामक मार्शल आर्ट से सशक्त किया.

पुलिसिंग की परिभाषा को किया पुनर्परिभाषित
हैदराबाद में एडिशनल कमिश्नर ऑफ पुलिस (क्राइम एंड एसआईटी) के रूप में कार्यरत रहते हुए, उन्होंने महिला पुलिस कर्मियों को केवल बंदोबस्त तक सीमित न रखते हुए उन्हें इंवेस्टीगेशन, पेट्रोलिंग और कोर पुलिसिंग की ज़िम्मेदारियों से जोड़ा. आज, हैदराबाद की महिला पुलिस देशभर के लिए एक मिसाल बन चुकी है, और इसका श्रेय जाता है उस महिला को, जिसने अपनी सीमाओं को कभी सीमित नहीं किया.

एक प्रेरणा, जो बच्चियों को देगी नई दिशा
शिखा गोयल केवल एक नाम नहीं है, वह एक विचार है. एक निडरता की कहानी है, एक शक्ति का प्रतीक है. वह उन लड़कियों के लिए एक प्रेरणा है, जो सोचती हैं कि वे दुनिया से लड़ नहीं सकतीं. वह उन मां-बाप के लिए आशा की किरण है, जो अपनी बेटियों को आगे बढ़ते देखना चाहते हैं. आज, जब हम अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मना रहे हैं, तब शिखा गोयल की कहानी हमें यह सिखाती है – अगर हौसले बुलंद हों, तो कोई भी बाधा आपको रोक नहीं सकती.

First Published :

March 07, 2025, 13:48 IST

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