Last Updated:October 07, 2025, 11:07 IST
सुप्रीम कोर्ट में वकील राकेश किशोर ने सीजेआई जस्टिस बीआर गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की. इसके बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने उनका लाइसेंस निलंबित कर दिया है. इसके बाद भी वकील को पछतावा नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट के अंदर सीजेआई जस्टिस बीआर गवई पर जूता फेंकने की कोशिश करने वाले वकील राकेश किशोर को कोई अफसोस नहीं है. 71 साल के वकील राकेश किशोर ने मंगलवार को अपने जूता फेंकने वाले कांड का बचाव किया. उन्होंने कहा कि वह एक धार्मिक मामले से संबंधित पिछली सुनवाई के दौरान सीजेआई की टिप्पणी से ‘बहुत आहत’ हुए हैं. उन्होंने सीजेआई बीआर गवई के मॉरीशस में बुल्डोजर एक्शन वाले बयान और नुपूर शर्मा मामला का जिक्र किया. बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने किशोर का लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है.
समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए वकील किशोर ने कहा, ‘चीफ जस्टिस को यह सोचना चाहिए कि जब वह इतने उच्च संवैधानिक पद पर बैठे हैं, तो उन्हें ‘माईलॉर्ड’ शब्द का अर्थ समझना चाहिए और इसकी गरिमा बनाए रखनी चाहिए. आप मॉरीशस जाकर कहते हैं कि देश बुलडोजर से नहीं चलेगा. मैं मुख्य न्यायाधीश और मेरा विरोध करने वालों से पूछता हूं: क्या योगी (आदित्यनाथ) जी द्वारा सरकारी संपत्ति पर अतिक्रमण करने वालों पर बुलडोजर चलाना गलत है? मैं आहत हूं और आगे भी रहूंगा.’
किशोर ने अपने कृत्य को उचित ठहराते हुए दावा किया कि यह 16 सितंबर को दायर एक पीआईएल का ‘मजाक’ कहे जाने की प्रतिक्रिया थी. किशोर ने कहा, ‘मैं बहुत आहत हुआ. 16 सितंबर को मुख्य न्यायाधीश की अदालत में एक व्यक्ति द्वारा एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई थी. सीजेआई गवई ने इसका पूरी तरह से मजाक उड़ाया. मजाक इस अर्थ में कि उन्होंने कहा, ‘जाओ मूर्ति की पूजा करो, मूर्ति से अपना सिर वापस लाने के लिए कहो.’
उन्होंने आरोप लगाया कि न्यायपालिका अन्य समुदायों से जुड़े मामलों में अलग तरह से काम करती है. उन्होंने कहा, ‘हम देखते हैं कि जब कोई मामला दूसरे समुदायों के खिलाफ आता है, तो वही मुख्य न्यायाधीश बड़े कदम उठाते हैं… मैं एक उदाहरण देता हूं: हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर एक खास समुदाय ने अतिक्रमण कर रखा है. जब अतिक्रमण हटाने की कोशिश की गई, तो सुप्रीम कोर्ट ने तीन साल पहले उस पर रोक लगा दी, जो आज भी लागू है. इसी तरह, जब नूपुर शर्मा का मामला आया, तो कोर्ट ने कहा, ‘आपने माहौल बिगाड़ दिया है.’ वे ये सब करते हैं. यह बिल्कुल ठीक है.’
किशोर ने जल्लीकट्टू और दही हांडी जैसे उदाहरणों का हवाला देते हुए कहा कि सनातन धर्म से जुड़े मुद्दों पर कोर्ट के रवैये से उन्हें निराशा हुई है. उन्होंने कहा, ‘जब भी हमारे सनातन धर्म से जुड़ा कोई मुद्दा आता है, तो यह सुप्रीम कोर्ट उस पर कोई न कोई आदेश जारी कर देता है. मुझे बहुत दुख है कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए.’ वकील ने दावा किया कि उनके ये कदम नशे या आवेग में आकर नहीं, बल्कि भावनात्मक संकट के कारण उठाए गए थे. उन्होंने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि मैं नशे में था, या मैंने कोई दवा ली थी, और फिर आकर कुछ कर दिया. ऐसा कुछ नहीं हुआ. उन्होंने कार्रवाई की. यह मेरी प्रतिक्रिया थी.’ उन्होंने कहा कि जो हुआ उससे उन्हें न तो डर है और न ही कोई पछतावा है.
Shankar Pandit has more than 10 years of experience in journalism. Before News18 (Network18 Group), he had worked with Hindustan times (Live Hindustan), NDTV, India News Aand Scoop Whoop. Currently he handle ho...और पढ़ें
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First Published :
October 07, 2025, 10:51 IST