नई दिल्ली. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया टकराव ‘कश्मीर में संघर्ष’ नहीं था और ऐसा कहना पहलगाम हमले को अंजाम देने वालों और पीड़ित को एक ही स्तर पर रखने जैसा होगा. उन्होंने कहा कि पहलगाम में ‘भयावह’ हमले का उद्देश्य ‘डर की भावना पैदा करना’, जम्मू-कश्मीर के पर्यटन क्षेत्र को नष्ट करना और ‘धार्मिक मतभेद पैदा करना’ था.
जयशंकर ने शुक्रवार देर शाम बर्लिन में ‘जर्मन काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस’ में एक संवाद सत्र के दौरान यह टिप्पणी की. विदेशमंत्री से “कश्मीर में संघर्ष के अंतरराष्ट्रीय निहितार्थ” के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने जवाब दिया, “सबसे पहले तो, यह कश्मीर में संघर्ष नहीं था, यह एक आतंकी हमला था.”
जयशंकर ने कहा, “एक आतंकी हमला, जो एक परिपाटी का हिस्सा है जिसने न केवल केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर को बल्कि भारत के अन्य हिस्सों को भी निशाना बनाया है.” उन्होंने कहा, “यह स्पष्ट करना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि जब आप इसे संघर्ष के रूप में पेश करते हैं, तो आप वास्तव में अपराधी और पीड़ित को, बिना किसी इरादे के, एक ही स्तर पर रख देते हैं.”
विदेश मंत्री ने कहा, “इसलिए यह एक भयावह, विशेष रूप से क्रूर आतंकवादी हमला था क्योंकि इसका मकसद डर की भावना पैदा करना और कश्मीर की पर्यटन अर्थव्यवस्था को नष्ट करना था.” वह नीदरलैंड, डेनमार्क और जर्मनी की अपनी तीन देशों की यात्रा के तीसरे और अंतिम चरण में बर्लिन में थे.
जयशंकर ने अपने संबोधन में कहा कि भारत ने पहलगाम हमले के जवाब में ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में “आतंकी ठिकानों” को निशाना बनाया. उन्होंने कहा, “हम आतंकवाद का जवाब दे रहे थे और जब हम इस तरह के हमले का जवाब देते हैं, तो मुझे लगता है कि इसमें बहुत सारी अंतरराष्ट्रीय समझ थी.”
जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा जारी एक बयान का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि जिन लोगों ने यह (आतंकी हमला) किया है, उन्हें न्याय के दायरे में लाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, “और 7 मई को हमने ठीक यही किया. इसलिए हमने आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया. और हमारा अभियान आतंकवाद के खिलाफ है.” उन्होंने कहा, “अब, इस मामले में आतंकवादी पड़ोसी देश में थे, क्योंकि पड़ोसी देश ने कई वर्षों से आतंकवाद को एक तरह के औजार के रूप में इस्तेमाल किया है.”
जयशंकर ने कहा, “जब आतंकवाद की बात आती है, तो मुझे लगता है कि आज वस्तुतः कोई भी देश ऐसा नहीं है जो यह कहे कि जो कुछ किया गया है, मैं उसका समर्थन करता हूं या कोई भी देश ऐसा नहीं है जो यह कहे कि जो कुछ किया गया है, मैं उसकी निंदा नहीं करता हूं.”
जयशंकर ने कहा कि जर्मनी भी आतंकवाद के खिलाफ भारत के बचाव के अधिकार को मान्यता देता है. उन्होंने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत और यूरोप के बीच अधिक सहयोग की भी वकालत की. उन्होंने कहा, “हिंद-प्रशांत क्षेत्र के अपने मुद्दे हैं, सुरक्षा उनमें से एक है. लेकिन मैं वास्तव में एक अलग अवधारणा की ओर इशारा करना चाहूंगा, वह यह है कि हम हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों को अधिक विकल्प कैसे प्रदान करें.”