पिता के त्याग और समर्पण की कहानी! हरियाणा की छोरी प्रिया सिवाच बनेंगी IAS अफसर

8 hours ago

Last Updated:April 24, 2025, 09:35 IST

UPSC Results: 2025 गोहाना के गांव गढ़वाल की प्रिया सिवाच ने UPSC में 219 वां रैंक हासिल कर परिवार का नाम रोशन किया उनकी इस उपलब्धि को लेकर ग्रामीण काफी खुश दिल्ली से अपने गांव पहुंचने पर ग्रामीणों ने प्रिया सि...और पढ़ें

पिता के त्याग और समर्पण की कहानी! हरियाणा की छोरी प्रिया सिवाच बनेंगी IAS अफसर

गोहाना के गढ़वाल गांव की प्रिया सिवाच ने यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) के एग्जाम में 219 वां रैंक हासिल किया है.

गोहाना (सोनीपत). बेटी के सपनों को पूरा करने के लिए एक पिता ने वो सब कुछ किया, जिससे वो काबिल और सफल हो सके. बेटी ने भी पिता को निराश नहीं किया और अब आईएएस अफसर बननें जा रही हैं. कहानी हरियाणा के सोनीपत के गोहाना के गढ़वाल गांव की प्रिया सिवाच की है, जिन्होंने यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) के एग्जाम में 219 वां रैंक हासिल किया है. प्रिया की उपलब्धि को लेकर परिवार और ग्रामीण काफी खुश हैं और दिल्ली से अपने गांव पहुंचने पर उनका भव्य स्वागत किया गया.

पिता संजय ने बताया कि छोटी सी उम्र से ही अपनी बेटी को बड़ा अफसर बनने की ठानी थी और इसी जद्दोंजेहद के चलते उसने कभी पीछे पलट कर नहीं देखा और दिन रात अपनी बेटी को लक्ष्य तक पहुँचाने के लिए न केवल खेती बाड़ी अपने परिवार का गुजारा किया, बल्कि बचे हुए टाइम में टैक्सी चला बेटी को अधिकारी बनाने तक की लड़ाई कई जगह लड़ी है. प्रिया के पिता संजय सिवाच ने कहा कि जिस सपने को संजोया था, आज उनकी बेटी ने पूरा कर दिखाया है. सामाजिक  ताने-बानों से ऊपर उठकर बेटी ने भी अपने पिता का सर गौरव से ऊंचा कर दिया है.

वहीं, प्रिया सिवाच कहतीं है कि पिता से किए हुए वादे के मुताबिक उसने भी कभी पिता को नीचे झुकने के लिए मजबूर नहीं किया. जिस विश्वास के साथ उसके पिता ने उसे गांव की गली से दिल्ली तक पहुंचाया. इस पिता के आशीर्वाद और सहयोग के कारण  यूपीएससी को क्लीयर किया है. प्रिया ने यूपीएससी क्लीयर करके साबित कर दिया कि विश्वास की जीत हमेशा बड़ी होती है और एक पिता ने अपनी बेटी पर ऐसा विश्वास किया था तो आज उसकी बेटी ने परचम लहराया है.

गोहाना से की थी पढ़ाई

प्रिया की अपनी शुरुआती शिक्षा गोहाना में ही हुई है, जबकि उच्च शिक्षा उन्होंने दिल्ली से हासिल की है. प्रिया का मकसद आईएएस अफसर बनकर महिलाओं के उत्थान के साथ ही देश की तरक्की के लिए काम करना है. प्रिया का कहना है कि यह उनका चौथा प्रयास था और उसने 219 वां रैंक हासिल किया है. उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने  अपने परिवार और अपने मामा -मामी को दिया है. वब कहती हैं कि कहा है कि एग्जाम देने वाला प्रत्येक कैंडिडेट मेहनत करता है. उन्होंने कहा है कि अगर आप मेहनत करने के लिए तैयार हो और आपकी फैमिली आपके साथ है तो निश्चित तौर पर सफलता मिलेगी.

प्रिया ने बताया कि उनके पिताजी का सबसे ज्यादा सपोर्ट रहा है और टैक्सी से इतनी ज्यादा इनकम भी नहीं होती थी, लेकिन फिर भी उसके पिता ने उसे यूपीएससी तक पहुंचा दिया. प्रिया ने बताया कि उनके पिताजी ने उनके लिए समाज से भी लड़ाई लड़ी है और समाज के लोग अक्सर ताने मारते थे कि बेटी को घर से बाहर इतनी दूर भेजना ठीक नहीं है और ऐसे में उनके पिताजी का एक ही जवाब होता था कि मुझे अपनी बेटी पर विश्वास है और मेरी बेटी एक दिन अफसर बनकर घर लौटेगी.

प्रिया की अपनी शुरुआती शिक्षा गोहाना में ही हुई है.

दिल्ली पढ़ने भेजा यही बड़ी बातःप्रिया

उन्होंने कहा है कि मुझे दिल्ली पढ़ने के लिए भेजा यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी. प्रिया का कहना है कि एक सपने को पूरा करने के लिए सब की मेहनत लगती है और सभी ने मिलकर इस सपने को पूरा किया है. प्रिया का कहना है कि उन्हें उम्मीद थी कि अच्छा रिजल्ट आए और और अच्छा रिजल्ट आया है तो इसके लिए शुक्रगुजार भी हूं. प्रिया की बहन स्वाति का कहना है कि वे सभी बहुत ज्यादा खुश है. उन्हें अपनी बहन पर गर्व हो रहा है. उनकी बहन ने बताया कि वह पूरा दिन पढ़ाई में लगी रहती थी.

बहन ने बताया कि वह पूरा दिन पढ़ाई में लगी रहती थी.

प्रिया की दोस्त सृष्टि डबास ने भी उनका स्वागत किया. सृष्टि डबास का पिछले साल ऑल इंडिया छठा रैंक था.  प्रिया और सृष्टि डबास कॉलेज बैचमेट रहे हैं. पिछली बार प्रिया यूपीएससी क्लियर नहीं कर पाई थी. गांव पहुंचने पर उसकी दोस्ती सृष्टि ने कहा कि आज उनका भी स्वागत हो रहा है, बहुत ज्यादा खुशी हो रही है. उन्होंने कहा है कि सब लोगों का स्ट्रगल अलग-अलग होता है. सृष्टि का कहना है कि प्रिया को यहां तक पहुंचने में समय थोड़ा ज्यादा लग गया, लेकिन जो होता है. वह अच्छे के लिए होता है.

प्रिया की दोस्त सृष्टि डबास ने भी उनका स्वागत किया.

अंकल बलजीत और ग्रामीण रमेश का कहना है कि उसके पिताजी बहुत छोटे किसान हैं और पूरे गोहाना और गांव का नाम रोशन उनकी बेटी ने किया है. उनके पिताजी भी पहले पहलवान रहे हैं. आर्थिक रूप से ज्यादा मजबूत नहीं थे लेकिन फिर भी उन्होंने काफी मेहनत करके अपनी बेटी को लक्ष्य तक पहुंचा है. उन्होंने यह भी कहा है कि उनकी छोटी बेटी भी काफी इंटेलिजेंट है.

Location :

Gohana,Sonipat,Haryana

First Published :

April 24, 2025, 09:35 IST

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