Last Updated:April 25, 2025, 17:38 IST
Waqf Amendment Act Supreme Court: कपिल सिब्बल से लेकर अभिषेक मनु सिंघवी जैसे कई याचिकाकर्ताओं ने वक्फ कानून पर रोक लगाने की मांग की थी. इस पर सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई ने सभी पक्षों को अपना लिखित जवाब दाखिल करने ...और पढ़ें

वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने जवाब दाखिल किया.
हाइलाइट्स
इस कानून पर पूरी तरह रोक नहीं लगाई जा सकती: सरकारसरकार ने 1332 पन्नों के प्रारंभिक जवाबी हलफनामे में कानून का बचाव किया.संपत्तियों पर अतिक्रमण करने से पहले के प्रावधानों के 'दुरुपयोग' का आरोप लगाया.नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कई वक्फ संपत्तियां केवल मुसलमानों तक सीमित नहीं हैं, क्योंकि इनमें अन्य समुदायों के अधिकार और दावे भी शामिल हैं. उन्होंने यह भी कहा कि इन संपत्तियों को नियंत्रित करना सार्वजनिक व्यवस्था का पहलू हो सकता है, क्योंकि ऐसे विवादों के व्यापक प्रभाव हो सकते हैं. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध करते हुए कहा कि इस कानून पर पूरी तरह रोक नहीं लगाई जा सकती, क्योंकि ‘संवैधानिकता की धारणा’ इसके पक्ष में है.
सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने 1332 पन्नों के प्रारंभिक जवाबी हलफनामे में विवादास्पद कानून का बचाव करते हुए कहा कि ‘चौंकाने वाली बात’ है कि 2013 के बाद वक्फ भूमि में 20,92,072.536 हेक्टेयर (20 लाख हेक्टेयर से ज्यादा) की वृद्धि हुई. हलफनामे में कहा गया है कि ‘मुगल काल से पहले, स्वतंत्रता से पूर्व और स्वतंत्रता के बाद के दौर में भारत में कुल 18,29,163.896 एकड़ भूमि वक्फ की गई. हलफनामे में प्राइवेट और सरकारी संपत्तियों पर अतिक्रमण करने के लिए पहले के प्रावधानों के ‘दुरुपयोग’ का आरोप लगाया गया.
सरकार ने क्या-क्या कहा…
यह तब आया जब केंद्र सरकार ने संशोधित वक्फ अधिनियम पर सुनवाई के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया है, जिसमें अधिनियम के किसी भी प्रावधान जिसमें ‘वक्फ-बाय-यूजर’ शामिल है पर रोक का विरोध किया गया. केंद्र सरकार ने कहा कि वक्फ अधिनियम में संशोधन धार्मिक प्रथाओं को बनाए रखता है और न्यायिक जवाबदेही लाता है. उन्होंने आगे कहा कि संशोधन संविधान को बनाए रखते हैं और आस्था और पूजा के मामले को अछूता छोड़ते हैं.
किसने सुप्रीम कोर्ट में दिया जवाब…
यह हलफनामा अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव शेरशा सी शेख मोहिद्दीन ने दायर किया. हलफनामे मे कहा गया है कि कानून में यह स्थापित स्थिति है कि संवैधानिक अदालतें किसी वैधानिक प्रावधान पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोक नहीं लगाएंगी. संसद द्वारा बनाए गए कानूनों पर संवैधानिकता की धारणा लागू होती है. संवैधानिकता की धारणा एक कानूनी सिद्धांत है, जिसके अनुसार अगर किसी कानून को अदालत में चुनौती दी जाती है, तो अदालत सामान्यतः यह मानकर चलती है कि वह संवैधानिक है और केवल तभी उसे असंवैधानिक ठहराया जाता है, जब वह स्पष्ट रूप से संविधान का उल्लंघन करता हो.
याचिकाओं में दी गई झूठी दलीलें
केंद्र सरकार ने कहा कि कोर्ट याचिकाओं की सुनवाई के दौरान इन पहलुओं की समीक्षा करे, लेकिन आदेश के प्रतिकूल परिणामों के बारे में जाने बिना पूरी तरह से रोक (या आंशिक रोक) लगाना अनुचित होगा. हलफनामे में कहा गया है कि अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाएं इस झूठी दलील के आधार पर दायर की गई हैं कि कानून में संशोधन धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार को छीन लेते हैं.
सुप्रीम कोर्ट कब कर सकता है कानून की समीक्षा
केंद्र सरकार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट तभी कानून की समीक्षा कर सकता है, जब विधायी अधिकार क्षेत्र और अनुच्छेद 32 में निहित मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ हो. सरकार ने कहा कि प्रमुख राजनीतिक दलों के सदस्यों वाली संसदीय समिति के बहुत व्यापक, गहन और विश्लेषणात्मक अध्ययन करने के बाद ये संशोधन किए गए हैं. हलफनामे में कहा गया है कि संसद ने अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत कार्य करते हुए यह सुनिश्चित किया है कि वक्फ जैसी धार्मिक संस्थाओं का प्रबंधन इस प्रकार से किया जाए कि उनमें आस्था रखने वालों का और समाज का विश्वास कायम रहे तथा धार्मिक स्वायत्तता का हनन न हो.
केंद्र सरकार ने कहा कि यह कानून वैध है और विधायी शक्ति का जायज तरीके से इस्तेमाल करके बनाया गया है. हलफनामे में कहा गया है कि विधायिका द्वारा की गई विधायी व्यवस्था को बदलना अस्वीकार्य है. केंद्र सरकार ने 17 अप्रैल को, शीर्ष अदालत को आश्वासन दिया था कि वह 5 मई तक “वक्फ बाय यूजर” संपत्ति समेत वक्फ संपत्तियों को गैर-अधिसूचित नहीं करेगी और न ही केंद्रीय वक्फ परिषद और बोर्ड में कोई नियुक्ति करेगी प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ अंतरिम आदेश पारित करने के मामले पर पांच मई को सुनवाई करेगी.
Location :
Delhi,Delhi,Delhi
First Published :
April 25, 2025, 17:38 IST