Last Updated:April 25, 2025, 22:43 IST
India-Pakistan War News: भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच क्या चीन पाकिस्तान का समर्थन करेगा? भूटान भारत का समर्थन करेगा या रहेगा तटस्थ? बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और मालदीव का स्टैंड क्या रहेगा? क्या अफगानिस्तान अप...और पढ़ें

भारत-पाकिस्तान में जंग होने पर पड़ोसी देशों का रुख क्या होगा?
हाइलाइट्स
चीन पाकिस्तान का समर्थन करेगा, भारत का नहीं.भूटान भारत का समर्थन करेगा, नेपाल तटस्थ रहेगा.बांग्लादेश और मालदीव भारत का समर्थन नहीं करेंगे.नई दिल्ली: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान आमने-सामने आ गए हैं. दोनों देशों में जंग शुरू होने के सभी संकेत दिख रहे हैं. ऐसे में बड़ा सवाल है कि भारत के पड़ोसी देशों का रुख क्या रहेगा? क्या ये देश भारत का समर्थन करेंगे या पाकिस्तान का? या फिर ये देश तटस्थ रहेंगे. भारत के साथ पाकिस्तान सहित करीब 7-8 देशों की सीमाएं लगती हैं. भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर में चीन और नेपाल, उत्तर-पूर्व में भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यांमार, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पश्चिम में मालदीव की सीमाएं लगती हैं. अगर जम्मू-कश्मीर की पाक अधिकृत कश्मीर सीमा को भी जोड़ दें तो अफगानिस्तान का भी कुछ भाग भारत की सीमा से लगता है. हालांकि, अफगानिस्तान की ये सीमा विवादित क्षेत्र है. इस लिहाज से देखें तो भारत-पाकिस्तान में युद्ध होने से इन देशों का रुख क्या होगा?
सामरिक विशेषज्ञों की मानें तो भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु हथियार संपन्न देश हैं. ऐसे में पड़ोसी देशों का रुख उनकी रणनीतिक प्राथमिकताओं, ऐतिहासिक संबंधों और मौजूदा हालात के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय गठजोड़ पर निर्भर करेगा. यह तय है कि चीन कभी भी भारत का साथ नहीं देगा. बांग्लादेश के मौजूदा हालात भी कुछ अलग स्थिति बयां कर रहे हैं. ऐसे में श्रीलंका, नेपाल, भूटान, अफगानिस्तान और मालदीव जैसे देशों का संभावित रुख कई कारणों पर निर्भर करेगा.
चीन
चीन और पाकिस्तान के बीच गहरे रणनीतिक संबंध हैं, विशेष रूप से चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) दोनों देशों के संबंध को मजबूत करता है. युद्ध की स्थिति में चीन पाकिस्तान को कूटनीतिक और सामरिक समर्थन देगा, जिसमें हथियारों की आपूर्ति और आर्थिक सहायता शामिल हो सकती है. हालांकि, भारत के साथ व्यापार और सीमा विवादों को संतुलित करने के लिए चीन प्रत्यक्ष सैन्य हस्तक्षेप से बच सकता है. भारत के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण होगी, क्योंकि चीन का समर्थन पाकिस्तान की सैन्य क्षमता को बढ़ा सकता है.
बांग्लादेश
1971 के युद्ध में भारत की निर्णायक भूमिका के कारण बांग्लादेश भारत के प्रति कृतज्ञ रहा है. लेकिन पिछले साल शेख हसीना सरकार के जाने के बाद बांग्लादेश की यूनुस सरकार की भूमिका संदेह के घेरे में रहेगी. युद्ध की स्थिति में बांग्लादेश शायद भारत का समर्थन नहीं करेगा, क्योंकि पहलगाम हमले के बाद बांग्लादेश ने इस घटना पर संवेदना नहीं प्रकट की है. ऐसे में बांग्लादेश पूर्वी मोर्चे पर भारत के लिए चिंता का कारण बन सकता है.
श्रीलंका और मालदीव
श्रीलंका और मालदीव भारत के साथ मजबूत आर्थिक और रक्षा संबंध रखते हैं. श्रीलंका, जो चीन के प्रभाव से भी जूझ रहा है, शायद तटस्थ रहेगा, क्योंकि वह दोनों पक्षों के साथ संतुलन बनाए रखना चाहेगा. मालदीव, जो भारत की ‘पड़ोसी पहले’ नीति से लाभान्वित होता है, वह भी पिछले साल के घटनाक्रमों के बाद भारत का समर्थन नहीं करेगा.
नेपाल और भूटान
नेपाल भारत के साथ ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों के बावजूद, चीन के बढ़ते प्रभाव के कारण तटस्थ रहने की संभावना है. भूटान, जो भारत पर रक्षा और विदेश नीति के लिए निर्भर है, भारत का मजबूत समर्थन करेगा. भूटान की सामरिक स्थिति भारत को हिमालयी क्षेत्र में लाभ दे सकती है. भारत के पड़ोसी देशों में भूटान ही एक ऐसा देश है, जो भारत का खुलकर समर्थन करेगा.
अफगानिस्तान
अफगानिस्तान के विकास में भारत लगातार सहायता कर रहा है. अफगानिस्तान भी पाकिस्तान समर्थित तालिबान से तनावग्रस्त है, इसलिए वह भारत का समर्थन कर सकता है. हाल के दिनों में पाकिस्तान और अफगानिस्तान में भी जंग के हालात हैं. ऐसे में अफगानिस्तान अप्रत्यक्ष तौर पर भारत की मदद कर सकता है.
कुल मिलाकर भारत को बांग्लादेश, भूटान, अफगानिस्तान का रणनीतिक नजरिए से समर्थन मिल सकता है. मालदीव और बांग्लादेश मुस्लिम देश होने के नाते भारत का समर्थन नहीं करेंगे. लेकिन इससे भारत को कोई फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि भारत की मजबूत सैन्य क्षमता और वैश्विक गठजोड़ जैसे क्वाड इसे रणनीतिक लाभ देंगे. हालांकि, परमाणु खतरा और क्षेत्रीय अस्थिरता युद्ध को लंबा खींच सकते हैं.
First Published :
April 25, 2025, 22:43 IST