प्लास्टिक चबा रहे बच्चे, सेहत पर खतरा! ये लकड़ी का खिलौना बना पैरेंट्स की पसंद

1 month ago

Last Updated:February 27, 2025, 16:58 IST

Neem Wood Toys: नीम की लकड़ी के खिलौने बच्चों के स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित माने जाते हैं. सूरत के राहुल पटेल आदिवासी लोगों से नीम के टीथर बनवा रहे हैं, जिनकी मांग तेजी से बढ़ रही है.

प्लास्टिक चबा रहे बच्चे, सेहत पर खतरा! ये लकड़ी का खिलौना बना पैरेंट्स की पसंद

नीम की लकड़ी के खिलौने

हाइलाइट्स

नीम की लकड़ी के खिलौनों की मांग बढ़ी.नीम के टीथर बच्चों के स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित.राहुल पटेल आदिवासी लोगों से टीथर बनवा रहे हैं.

सूरत: पुराने जमाने में हमारे बुजुर्ग लकड़ी से बनी चीजों का ही इस्तेमाल करते थे क्योंकि उस समय सिलिकॉन या प्लास्टिक जैसे मटीरियल नहीं थे. 21वीं सदी में कई क्षेत्रों में वर्षों पहले इस्तेमाल की जाने वाली चीज़ों का ट्रेंड अब फिर से देखने को मिल रहा है. इनमें लकड़ी के खिलौनों का ट्रेंड भी शामिल है. खासकर छोटे बच्चों के लिए टीथर से लेकर अन्य खिलौने अब लकड़ी से बनाए जा रहे हैं.

बता दें कि छोटे बच्चों में इतनी समझ नहीं होती कि वे जो चीज मुंह में डाल रहे हैं, उससे उन्हें लंबे समय में फायदा होगा या नुकसान. वे अपने आसपास दिखने वाली हर चीज़ को मुंह में डालने की कोशिश करते हैं और कई बार कोई दुर्घटना भी हो जाती है. ऐसे समय में अगर नीम की लकड़ी से बने टीथर या अन्य खिलौनों का इस्तेमाल किया जाए, तो बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर परेशानी के चांस बहुत कम हो जाते हैं. क्योंकि नीम का पेड़ आयुर्वेद की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होता है और इसके पत्ते, डालियां और फल भी बहुत हेल्दी माने जाते हैं.

स्टॉक बहुत जल्दी खत्म हो जाता है
सूरत के बिजनेसमैन राहुल पटेल फिलहाल आदिवासी लोगों से खास अलग-अलग डिज़ाइन में नीम की लकड़ी के टीथर बनवा रहे हैं. जिससे उन्हें भी रोजगार मिल सके और बच्चों के स्वास्थ्य को भी नुकसान न हो. वे हाथी, चिड़िया, तोता, ऊंट जैसी जानवरों की डिज़ाइन के लिए अलग-अलग प्रकार के टीथर तैयार करवा रहे हैं. इनकी मांग इतनी है कि स्टॉक बहुत जल्दी खत्म हो जाता है.

इस बारे में मूल रूप से सौराष्ट्र के और पिछले दस साल से सूरत में रह रहे राहुल पटेल ने बताया, “हमारे पूर्वज हमेशा कहते थे कि कम खाओ लेकिन अच्छा खाओ.” इसी तरह नीम की लकड़ी से बने ये टीथर थोड़े महंगे होते हैं लेकिन बच्चों के स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छे होते हैं. हमारे बुजुर्ग उस समय ब्रश की जगह दातून का इस्तेमाल करते थे और यह दातून कुछ और नहीं बल्कि नीम की डाली होती थी. इसलिए हमने छोटे बच्चों के लिए मुहिम शुरू की और नीम की लकड़ी के टीथर बनाना शुरू किया.

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उन्होंने आगे बताया, “पहले मैंने डायमंड और टेक्सटाइल दोनों उद्योगों में नौकरी की है. लेकिन बाद में सोचा कि कुछ अलग शुरू करें. हमने विभिन्न प्रकार के शोपीस बनाए हैं, लेकिन इस बार खास छोटे बच्चों के लिए यूनिक टीथर लेकर आए हैं. इसका कारण यह है कि बच्चे हर प्रकार के खिलौने मुंह में डालते हैं, इसलिए हमने प्लास्टिक या अन्य मटीरियल के खिलौनों की जगह नीम की लकड़ी के टीथर बनाए हैं. ये टीथर डांग क्षेत्र के आदिवासी लोगों से तैयार करवाते हैं ताकि उन्हें भी रोज़गार मिल सके.”

50 रुपये से लेकर 300 रुपये तक की चीज़ें मिलती हैं
उन्होंने अपने बिक्री के बारे में जानकारी देते हुए बताया, “फिलहाल माता-पिता बहुत जागरूक हो गए हैं और वे अपने बच्चों के लिए टीथर से लेकर खिलौने नीम की लकड़ी से बने हुए ही मांग रहे हैं. इस वजह से हम उनकी मांग को पूरा नहीं कर पा रहे हैं. जितना स्टॉक तैयार होता है, वह बहुत जल्दी खत्म हो जाता है. 50 रुपये से लेकर 300 रुपये तक की चीज़ें मिलती हैं.”

First Published :

February 27, 2025, 16:58 IST

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