फैसला सुनाते ही 3 बार बोले- खारिज, खारिज, खारिज; SC ने कहा- A B C मत करो...

1 month ago

Last Updated:September 19, 2025, 15:58 IST

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार के फैसले पर उठी आपत्तियों को खारिज कर दिया. बुकर पुरस्कार विजेता बानू मुश्ताक मैसूरु दशहरा का उद्घाटन करेंगी.

फैसला सुनाते ही 3 बार बोले- खारिज, खारिज, खारिज; SC ने कहा- A B C मत करो...सुप्रीम कोर्ट

मैसूरु का मशहूर दशहरा इस बार एक नए विवाद में फंस गया है. कर्नाटक सरकार ने इंटरनेशनल बुकर प्राइज विजेता बानू मुश्ताक को उद्घाटन के लिए न्योता दिया. कुछ लोगों को यह बात हजम नहीं हुई और मामला सीधा सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया. लेकिन कोर्ट ने साफ कहाये राज्य का आयोजन है, यहां किसी A, B, C में फर्क नहीं किया जा सकता.”

क्या था मामला
पिटीशनर ने दलील दी कि दशहरा का उद्घाटन मंदिर परिसर में होता है, जहां पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठान शामिल हैं. ऐसे में किसी गैर-हिंदू को बुलाना धार्मिक परंपराओं के खिलाफ है और यह उनके अनुच्छेद 25 (धार्मिक स्वतंत्रता) का उल्लंघन है.

वकील ने कहा कि उद्घाटन सिर्फ दीप जलाने या मंच साझा करने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें कुमकुम, हल्दी, फल और फूल देवी चामुंडेश्वरी को अर्पित किए जाते हैं. ये सब अगमिक परंपराओं के मुताबिक होते हैं, जिन्हें केवल हिंदू ही कर सकते हैं.

सुप्रीम कोर्ट का रुख
बेंच ने बार-बार पूछा कि जब 2017 में इसी मंच पर गैर-हिंदू शख्स मौजूद थे, तब क्यों आपत्ति नहीं की गई जवाब मिलातब भी दिक्कत थी, अब भी है.” लेकिन जजों ने साफ कह दिया ये राज्य का कार्यक्रम है, कोई निजी आयोजन नहीं. राज्य यह तय नहीं कर सकता कि किसे बुलाना है और किसे नहीं, और आखिर में तीन बार दोहराकर कहा याचिका खारिज.

दरअसल, बीजेपी समेत कुछ संगठनों ने बानू मुश्ताक को न्योता दिए जाने का विरोध किया था. उन पर आरोप है कि उन्होंने पहले ऐसे बयान दिए जो “हिंदू विरोधी” और “कन्नड़ विरोधी” माने जाते हैं. फिर भी मैसूरु प्रशासन ने 3 सितंबर को औपचारिक आमंत्रण भेज दिया. अब 22 सितंबर से दशहरे की शुरुआत होगी और 2 अक्टूबर को विजयदशमी के दिन इसका समापन.

परंपरा क्या कहती है?
मैसूरु दशहरा की परंपरा के मुताबिक, उद्घाटन में देवी चामुंडेश्वरी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि दी जाती है, वैदिक मंत्रोच्चार होता है और दीप प्रज्वलन किया जाता है. यही परंपरा हर साल निभाई जाती है.

लेकिन इस बार बहस इस बात पर अटकी कि क्या एक मुस्लिम महिला को इस धार्मिक हिस्से का हिस्सा बनाया जा सकता है या नहीं? कोर्ट का जवाब साफ रहाराज्य का आयोजन है, इसमें भेदभाव की गुंजाइश नहीं.”

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Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

September 19, 2025, 15:58 IST

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