Last Updated:February 26, 2025, 11:46 IST
पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव के लिए तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच मुकाबला है. माकपा ने मोहम्मद सलीम के नेतृत्व में वापसी की तैयारी की है. पार्टी बूथ स्तर पर संगठन मजबूत कर रही है.

सलीम को फिर से माकपा की जिम्मेदारी दी गई है.
हाइलाइट्स
पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होंगे.माकपा ने मोहम्मद सलीम के नेतृत्व में वापसी की तैयारी की है.माकपा बूथ स्तर पर संगठन मजबूत कर रही है.पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव है. ऐसे में यहां अभी से चुनावी तैयारियां शुरू हो चुकी है. मौजूदा वक्त में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के इर्दगिर्द पूरे राज्य की राजनीति केंद्रीत है. पूरे देश में इस वक्त भाजपा का व्यापक प्रभाव है. पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पार्टी सफलता के सबसे ऊपरी पायदान पर है. मगर, पश्चिम बंगाल एक ऐसा राज्य है जहां भाजपा तमाम कोशिश के बावजूद अपेक्षित सफलता हासिल नहीं कर सकी है. वह बीते दो चुनावों में लगातार विफल साबित हुई है. ऐसे में अब इस राज्य में एक तीसरी ताकत अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा और हैसियत हासिल करने की जुगत में है. वह पार्टी है माकपा. माकपा ने मंगलवार को आगामी विधानसभा चुनावों तक राज्य में अपने तेज तर्रार नेता मोहम्मद सलीम के नेतृत्व को जारी रखने का फैसला किया. पार्टी ने वापसी के लिए एक नया संगठनात्मक खाका तैयार किया है. माकपा वही पार्टी है जो 1977 से 2011 तक लगातार 34 वर्षों तक राज्य में शासन कर चुकी है.
बीते दिनों पार्टी की एक बैठक में कई अहम फैसले लिए गए. इसमें राज्य और जिला स्तर पर विशेष समितियां बनाने और एक केंद्रीय शोध टीम बनाने की बात कही गई. इसी बैठक में सलीम को राज्य का नेतृत्व सौंपा गया है.
बूथ स्तर पर मजबूत होगी पार्टी
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक माकपा राज्य में वापसी के लिए बूथ स्तर पर पार्टी को मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रही है. इसके लिए पार्टी ने खुद अपने स्तर पर एक सर्वेक्षण करवाया है. दरअसल, 2011 के बाद कोई आधिकारिक जनगणना रिपोर्ट नहीं है, क्योंकि केंद्र सरकार ने जनगणना नहीं करवाई. इसलिए पार्टी ने खुद अपने सर्वेक्षण के माध्यम से राज्य के हर गांव, पंचायत और क्षेत्र में लोगों के बारे में विस्तृत आंकड़े जुटाए हैं. इससे पार्टी को यह समझने में मदद मिलेगी कि किस क्षेत्र में किस समुदाय की संख्या ज्यादा है, जैसे एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक. इस डेटा के आधार पर पार्टी अपनी चुनावी रणनीति तैयार करेगी और राज्य भर में पार्टी को मजबूत बनाने के लिए कदम उठाएगी.
सलीम का नेतृत्व
पार्टी ने सलीम को फिर से राज्य सचिव बनाने का निर्णय लिया है, क्योंकि उन्होंने पार्टी में युवा नेतृत्व को बढ़ावा दिया है. सलीम के नेतृत्व में पार्टी में नए चेहरे सामने आए हैं, जो युवा संगठन और छात्र संगठनों में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं. हालांकि, 2021 विधानसभा चुनावों में पार्टी को कोई सफलता नहीं मिली और सलीम को भी मुर्शिदाबाद से लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. फिर भी उन्होंने पार्टी के भीतर युवा नेताओं को आगे लाने की दिशा में काम किया है.
पार्टी के एक सदस्य ने कहा कि हालांकि सलीम के कार्यकाल में हमें चुनावी सफलता नहीं मिली, लेकिन उनके नेतृत्व में पार्टी ने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए और युवा नेताओं को बढ़ावा दिया. यह प्रक्रिया जारी रहेगी और पार्टी का संगठन मजबूत होगा.
First Published :
February 26, 2025, 11:46 IST