India China LAC: साढ़े चार साल पहले पूर्वी लद्दाख में भारतीय वायुसेना ने अपने ऑपरेशन से चीन को बैकफ़ुट पर डाल दिया था. वजह थी कम समय में तेज़ी से भारतीय सेना की तैनाती. भारतीय वायुसेना ने भारी भरकम सेना के साजो सामानों हथियारों के साथ LAC तक पहुंचा दिया. लद्दाख में LAC के पास अब यह काम और तेजी से होगा. LAC से महज 35 किलोमीटर दूर न्योमा का रनवे तैयार हो गया है. अब सबसे जरूरी निरिक्षण के काम को पूरा कर लिया है. सूत्रों के मुताबिक इसी महीनें वायुसेना की टीम ने इस रनवे का निरिक्षण किया. निरिक्षण के बाद एयर फोर्स ने रनवे को फिट घोषित किया. निरिक्षण करने वाली टीम में पायलट, एयर ट्रैफिक कंट्रोल और टैक्निकल स्टाफ ने हर एक पहलू पर जांच की. इस एयर बेस के बन जाने के बाद भारतीय वायुसेना की ताक़त में ज़बरदस्त इज़ाफ़ा हो जाएगा. न्योमा पहले एक एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड था जिसें एक्टिव एयर स्ट्रिप में तब्दील किया गया है. इस एयरफील्ड पर जल्द लैंडिंग भी होगी.
गेम चेंजर न्योमा एयर फील्ड
न्योमा के पूरा होने के बाद वायुसेना को अब लद्दाख से फाइटर ऑपरेशन के लिए तीसरा एयर बेस मिल जाएगा. 13700 फ़िट की उंचाई पर भारतीय वायुसेना के न्योमा एडवांस लैंडिंग ग्राउंड को अपग्रेड कर के नया फाइटर बेस तैयार किया जा रहा है. यह 2.7 किलोमीटर लंबा कंक्रीट का रनवे है. न्योमा एयरबेस पर लैंडिंग और टेकऑफ दोनों तरफ़ से हो सकती है, जो कि बहुत बड़ा एडवॉंटेज है. इस अपग्रेडेशन में 214 करोड़ रुपये से ज़्यादा का खर्च है. अपग्रेडेशन का काम पर्यावरण और अन्य तरह की मंजूरी के चलते थोड़ा लेट हुआ लेकिन अब काम तेज से जारी है. फाइटर के अलावा भारी भरकम मालवाहक विमान भी यहां आसानी से लैंड और टेकऑफ कर सकेंगे. टैक्टिकल ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट C13j सुपर हर्क्युलिस पहले दौलत बेग ओल्डी में लैंड कर चुका है अब न्योमा के नए स्ट्रिप पर लैंडिंग की तैयारी में है.
भारत की ताक़त से बढ़ेंगी चीन मुश्किलें
लद्दाख के एयर बेस से फाइटर ऑपरेशन सिर्फ़ लेह और थौएस ही चलाए जा सकते हैं. स्पेशल ऑपरेशन ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ़्ट और हैलिकॉप्टर ऑपरेशन के लिए 3 एडवांस लैंडिंग ग्राउंड न्योमा, दौलत बेग ओल्डी, फुक्चे शामिल है. 2020 में हुए विवाद के दौरान न्योमा ALG ने भारतीय सेना की ताक़त को LAC के पास बढ़ाने में कारगर साबित हुआ. लेह तक बड़े हैवि लिफ्ट ट्रांसपोर्ट एयरक्रफ्ट के जरिए सैनिको को पहुंचाया गया. हाइ ऑलटेट्यूड में तैनाती के लिए C-130 J, चिनूक हैलिकॉप्टर के ज़रिए न्योमा ALG का इस्तेमाल किया गया था. न्योमा ALG पहली बार 1962 में अस्तित्व में आया था. उसके बाद इसका कभी इस्तेमाल ही नहीं किया गया. भारत सरकार ने चीन की भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए चीन से लगने वाले इलाकों में स्थित सभी एडवांस लैंडिंग ग्राउंड को अपग्रेड करने के प्लान को एक्टिव किया. पिछले चार साल के दौरान को इस ALG से सैकड़ों बार हैलिकॉप्टर और एयर ऑपरेशन को अंजाम दिया गया है.
क्या होता है ALG?
एडवांस लैंडिंग ग्राउंड (ALG) देखने में किसी एयर स्ट्रिप जैसा तो बिलकुल दिखाई नहीं देता. पहाड़ों के बीच समतल सी दिखने वाली उबड खबड सी सतह होती है. यहां स्पेशल ऑप्रेशन ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ़्ट और हैलिकॉप्टर को आसानी से ऑप्रेट कराया जा सकता है. ALG को इमरजेंसी लैंडिंग स्ट्रिप के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है. भारत और चीन के बीच की LAC ऊंचे पहाड़ों से होकर गुजरती है. ऐसे में किसी भी स्थायी एयरबेस का निर्माण वहां मुश्किल होता है. LAC पर 1960 के दशक से ही कई ALG मौजूद है. एक दशक पहले ही भारत चीन सीमा पर पुराने खस्ताहाल पड़े एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड को फिर से एक्टिव करना शुरु कर दिया था. इसमें लद्दाख में दौलत बेग ओल्डी, न्योमा, फुकचे एडवांसड लैंडिंग ग्राउंड हैं. इस्टर्न सैक्टर में अरुणाचल में चीन से लगती LAC पर 7 ALG है. इनमें टूटिंग, वॉलांग, आलॉंग, पासीघाट, मेचुका, विजय नगर और Ziro ALG शामिल है. यह ALG सिर्फ सेना के ऑपरेशन लिए ही नहीं बल्कि दुर्गम इलाकों में रहने वालों के लिए किसी लाइफ लाइन से कम नही है.
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FIRST PUBLISHED :
December 23, 2024, 21:07 IST