Last Updated:July 31, 2025, 12:06 IST
Gujrat No Network Village: अमरेली ज़िले का नाल गाँव आज भी मोबाइल नेटवर्क से वंचित है. लोग पहाड़ी और खंभों पर चढ़कर सिग्नल ढूंढते हैं. पढ़ाई, खेती और सरकारी योजनाओं में बाधा आ रही है, लोग मजबूरी में गाँव छोड़ रह...और पढ़ें

हाइलाइट्स
ग्रामीण मोबाइल नेटवर्क के लिए खंभों और पहाड़ियों पर चढ़ने को मजबूर हैं.छात्रों और किसानों को नेटवर्क के लिए दूर गाँवों में भटकना पड़ता है.सरकार और कंपनियों की अनदेखी से गाँव आज भी पिछड़ेपन में फंसा है.गुजरात के अमरेली ज़िले के सावरकुंडला तालुका में नाल नाम का एक छोटा-सा गांव है. ये गाँव चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ है. जितना ये गाँव खूबसूरत नज़रों से भरा है, उतनी ही मुश्किलों से भी. सबसे बड़ी दिक्कत है – मोबाइल नेटवर्क की. यहाँ आज भी लोग मोबाइल पर बात करने के लिए कभी पहाड़ पर चढ़ते हैं तो कभी बिजली के खंभों पर.
गांव के एक निवासी बागदा प्रकाशभाई बताते हैं, “अगर किसी से फोन पर बात करनी हो तो पहले नेटवर्क ढूंढो. कभी मोबाइल उठाकर पहाड़ी पर चढ़ते हैं, कभी बिजली के खंभे का सहारा लेना पड़ता है. कई बार तो जान तक जोखिम में आ जाती है.”
बच्चों की पढ़ाई और किसानों का काम सब अधर में
आज के ज़माने में जब बच्चे ऑनलाइन क्लास कर रहे हैं, नौकरी की तैयारी कर रहे हैं, किसान मोबाइल से सब्सिडी और सरकारी योजनाओं का फ़ायदा उठा रहे हैं -नाल गाँव के लोग इसके लिए 5 किलोमीटर दूर किसी दूसरे गाँव जाना पड़ता है. कुछ काम तो ऐसे हैं जिनके लिए उन्हें 25 किलोमीटर दूर सावरकुंडला तक जाना होता है.
सोचिए, जहाँ शहरों में मिनटों में काम होता है, वहाँ ये लोग सिर्फ नेटवर्क के लिए घंटों सफर करते हैं. बच्चों की पढ़ाई अधूरी रह जाती है, किसानों की ऑनलाइन आवेदन की तारीख़ निकल जाती है.
डिजिटल इंडिया का सपना और नाल गांव की सच्चाई
सरकारें ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘स्मार्ट विलेज’ जैसे बड़े-बड़े वादे करती हैं, लेकिन नाल गाँव जैसे सैकड़ों गाँव आज भी बुनियादी सुविधा, नेटवर्क से भी वंचित हैं. यहाँ बैंक से लेकर स्कूल तक, अस्पताल से लेकर खेत तक- हर चीज़ के लिए इंटरनेट की ज़रूरत होती है. लेकिन नेटवर्क नहीं होने के कारण लोग सरकारी योजनाओं का फायदा नहीं उठा पा रहे. किसानों को 7/12 जमीन की नकल चाहिए तो पास के किसी साइबर कैफे जाना पड़ता है.
युवा छोड़ रहे हैं गांव, सपनों के लिए नहीं -सर्वाइवल के लिए
गाँव के नौजवान पढ़ना चाहते हैं, कुछ बनना चाहते हैं. लेकिन जब मोबाइल में ही इंटरनेट नहीं चलेगा, तो ऑनलाइन क्लास कौन करेगा? सरकारी नौकरी की तैयारी कौन करेगा?
कुछ युवाओं ने मजबूरी में गाँव छोड़ दिया है. कोई शहर जाकर पढ़ रहा है, तो कोई काम की तलाश में निकल गया है. ये लोग अपने गाँव को छोड़ना नहीं चाहते थे, लेकिन सिस्टम ने उन्हें मजबूर कर दिया.
लोग उम्मीद में हैं, लेकिन वक़्त बीतता जा रहा है
गाँव के लोगों ने कई बार प्रशासन और मोबाइल कंपनियों से संपर्क किया है. पंचायत के लोग भी लगातार गुहार लगा रहे हैं कि गाँव में टावर लगवाया जाए. लेकिन अभी तक सिर्फ आश्वासन ही मिला है, काम शुरू नहीं हुआ. लोगों को उम्मीद है कि सरकार उनकी तकलीफ़ को समझेगी और उनके गाँव को भी बाकी दुनिया से जोड़ेगी.