बिहार चुनाव के बीच तेजस्वी यादव ने राहुल गांधी को PM बनाने का ऐलान क्यों किया?

3 hours ago

Last Updated:August 20, 2025, 08:20 IST

Bihar Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच तेजस्वी यादव ने 'वोटर अधिकार यात्रा' में राहुल गांधी को 2029 का प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित कर सियासी हलचल मचा दी. एनडीए ने इसे रणनीतिक दांव करार देते ...और पढ़ें

बिहार चुनाव के बीच तेजस्वी यादव ने राहुल गांधी को PM बनाने का ऐलान क्यों किया?वोटर अधिकार यात्रा में तेजस्वी यादव ने राहुल गांधी को बड़ा भाई बताया.

पटना. बिहार के नवादा में ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के दौरान तेजस्वी यादव ने बड़ा ऐलान किया कि 2025 में महागठबंधन की सरकार बनेगी और 2029 में राहुल गांधी को देश का प्रधानमंत्री बनाया जाएगा. अपने संबोधन में तेजस्वी यादव ने यह खुला ऐलान किया कि आने वाले समय में महागठबंधन राहुल गांधी को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बनाएगा. इस पर विपक्षी एनडीए खेमे ने तेजस्वी यादव पर करारा कटाक्ष किया है कि बात अभी बिहार चुनाव की है, लेकिन तेजस्वी यादव राहुल गांधी को सब्जबाग दिखा रहे हैं. अब सवाल उठता है कि आखिर तेजस्वी यादव ने बिहार चुनाव की सियासी सरगर्मी के बीच यह बात क्यों कही. दरअसल, राजनीति के जानकार इसे राजद का रणनीतिक दांव मान रहे हैं. इस दांव को कुछ हद तक बीजेपी नेता संजय जायसवाल के बयानसे समझा भी जा सकता है. संजय जायसवाल ने तेजस्वी यादव की रणनीति को समझाते हुए कहा कि- ”यह वही बात है कि आप मेरी पीठ खुजाओ और मैं आपकी पीठ खुजाऊंगा!” वहीं, एनडीए के अन्य नेताओं ने भी सवाल उठाते हुए कहा कि बात बिहार चुनाव की है, लेकिन तेजस्वी यादव राहुल गांधी को लेकर इस तरह का ऐलान क्यों कर रहे हैं?

दरअसल, बिहार में महागठबंधन के भीतर नेतृत्व का मुद्दा लंबे समय से चर्चा में है. तेजस्वी यादव को भले ही आरजेडी कार्यकर्ता मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में देखते हों, लेकिन कांग्रेस ने इस पर कभी खुलकर समर्थन नहीं जताया. बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरु और प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने मीडिया के सवालों पर रणनीतिक चुप्पी साध रखी है. राजनीति के जानकार कहते हैं कि कांग्रेस ने अब तक बिहार में सीएम के मुद्दे पर चुपके रणनीतिक चुप्पी साथ रखी है. मीडिया के तमाम सवालों के बावजूद कांग्रेस ने अब तक तेजस्वी यादव के नाम पर कभी खुले तौर पर नहीं कहा कि वह (तेजस्वी यादव) महागठबंधन के सीएम पद के उम्मीदवार हैं. इसके समानांतर ही कांग्रेस ने बिहार में रणनीतिक दृष्टि से कई दांव भी चला है. चाहे वह रोजगार मेला लगाना हो, माई बहन योजना की तर्ज पर कांग्रेस की अलग घोषणा हो, कांग्रेस का दलित सम्मेलन हो. इसके उलट बिहार में कांग्रेस अपना अलग दांव लगाती दिख रही है. कवायद कांग्रेस को बिहार में फिर से खड़ा करने की बताई जा रही है. ऐसे में तेजस्वी यादव की राहुल गांधी को पीएम बनाने की घोषणा के दांव को लेकर बिहार में सियासी चर्चा गर्म हो गई है.

कांग्रेस की चुप्पी और तेजस्वी का दांव

तेजस्वी यादव का राहुल गांधी को पीएम बनाने वाला बयान न केवल बिहार की सियासत में चर्चा का विषय बन गया, बल्कि एनडीए ने इसे तेजस्वी की रणनीति का हिस्सा बताकर तंज कसा. बीजेपी नेता सम्राट चौधरी ने तेजस्वी और राहुल पर “झूठ का कॉम्पिटिशन” चलने का आरोप लगाया.वहीं, राजनीति के जानकारों का मानना है कि तेजस्वी का राहुल गांधी को पीएम उम्मीदवार घोषित करना एक रणनीतिक कदम है, जिसका मकसद कांग्रेस को गठबंधन में मजबूती से बांधे रखना और सीट बंटवारे में अपनी स्थिति मजबूत करना है.

कांग्रेस की बढ़ती सक्रियता और अलग रणनीति

कांग्रेस बिहार में अपनी खोई जमीन तलाशने में जुटी है. राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ और अब ‘वोटर अधिकार यात्रा’ ने कांग्रेस को नई ऊर्जा दी है. इसके अलावा, कांग्रेस ने रोजगार मेला, दलित सम्मेलन और ‘माई बहन योजना’ की तर्ज पर अपनी योजनाएं लाकर स्वतंत्र पहचान बनाने की कोशिश की है. यह दिखाता है कि कांग्रेस बिहार में महागठबंधन के सहयोगी की भूमिका से आगे बढ़कर नेतृत्व की दावेदारी करना चाहती है. ऐसे में तेजस्वी का बयान कांग्रेस को यह भरोसा दिलाने की कोशिश है कि आरजेडी उनके राष्ट्रीय नेतृत्व का समर्थन कर रही है.

एनडीए का पलटवार और सियासी निहितार्थ

एनडीए ने तेजस्वी के बयान को “सब्जबाग दिखाने” की रणनीति करार दिया. बीजेपी नेता विजय सिन्हा ने कहा कि बिहार की जनता इस तरह के दावों से भ्रमित नहीं होगी. जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने इसे “हार की हताशा” बताया. एनडीए का मानना है कि तेजस्वी का यह बयान बिहार चुनाव से ध्यान भटकाने की कोशिश है, क्योंकि महागठबंधन में सीएम चेहरा और सीट बंटवारे पर सहमति की कमी साफ दिख रही है. वहीं, जानकार तेजस्वी यादव के इस दांव को महागठबंधन की एकजुटता और सीट बंटवारे में आरजेडी की स्थिति मजबूत करने की कोशिश मान रहे हैं.

वोटर अधिकार यात्रा और महागठबंधन की एकजुटता

‘वोटर अधिकार यात्रा’ बिहार में महागठबंधन की एकजुटता का प्रतीक बन रही है. राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने मिलकर वोट चोरी और चुनाव आयोग पर सवाल उठाए हैं. यह यात्रा 25 जिलों से होकर गुजरेगी और 1 सितंबर को पटना में समापन होगा. इस दौरान मुस्लिम-यादव के साथ-साथ ओबीसी-ईबीसी वोटरों को साधने की कोशिश हो रही है. तेजस्वी का बयान इस यात्रा को राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में लाने और कांग्रेस के साथ गठबंधन को मजबूत करने का प्रयास माना जा रहा है.

क्या है तेजस्वी यादव की रणनीति?

राजनीति के जानकारों का मानना है कि तेजस्वी का यह ऐलान महागठबंधन में नेतृत्व और सीट बंटवारे की चुनौतियों को संतुलित करने की कोशिश है. कांग्रेस की बढ़ती सक्रियता से आरजेडी को खतरा है कि सीट बंटवारे में उसे कम सीटें मिल सकती हैं. ऐसे में राहुल को पीएम उम्मीदवार घोषित कर तेजस्वी ने गठबंधन में अपनी स्थिति मजबूत करने और कांग्रेस को संदेश देने की कोशिश की है कि आरजेडी उनके राष्ट्रीय एजेंडे का समर्थन कर रही है. ऐसे में संभावना है कि तेजस्वी यादव का यह दांव बिहार चुनाव के साथ राष्ट्रीय राजनीति को भी प्रभावित कर सकता है.

Vijay jha

पत्रकारिता क्षेत्र में 22 वर्षों से कार्यरत. प्रिंट, इलेट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन. नेटवर्क 18, ईटीवी, मौर्य टीवी, फोकस टीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, हमार टीवी, ब्लूक्राफ्ट डिजिट...और पढ़ें

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First Published :

August 20, 2025, 08:20 IST

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