बिहार सियासत की 'वो शर्त' जिसने 'आग और धुआं' पर फेरा 'पानी', अंदरखाने की कहानी

17 hours ago

हाइलाइट्स

बिहार की राजनीति के 'मिस्टर कम्पलसरी' यानी अनिवार्य व्यक्ति कहे जाते हैं नीतीश कुमार. लालू प्रसाद यादव के ऑफर के बाद मची हलचल से गरमाई बिहार सियासत कैसे ठंडी पड़ी?18 जनवरी को RJD की बड़ी बैठक पर टिकी निगाहें, क्या फिर होने वाली है सियासी हलचल?

पटना. राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को फिर से साथ आने के दिये गए ऑफर की खबरों के बाद बिहार की राजनीति में हलचल मच गई थी. बीते 15 दिनों में जिस कदर सियासी सरगर्मी रही इसने प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश के लोगों का ध्यान भी अपनी ओर खींचा. कयास लगाए जाने लगे कि बिहार पॉलिटिक्स में कभी भी टर्न और ट्विस्ट हो सकता है. अगर ऐसा हुआ तो इसका असर न केवल प्रदेश की सरकार पर बल्कि केंद्रीय स्तर की राजनीति पर भी देखा जा सकेगा. खास बात यह रही कि लालू यादव के ऑफर के पहले आरजेडी प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव और विधायक भाई वीरेंद्र सियासत के पलटने की बातें फैला चुके थे. इसके बाद जब लालू प्रसाद यादव के ऑफर की खबरें आ गईं तो पॉलिटिक्स का पहिया बड़ी तेजी से घूमने लगा.

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर नरम रुख, राजद के प्रवक्ता भाई वीरेंद्र और शक्ति सिंह यादव के मीडिया में आने वाले बयान, फिर लालू प्रसाद यादव की बेटी और राज्यसभा सांसद मीसा भारती के सीएम नीतीश कुमार और लालू यादव की दोस्ती की बात कहने के साथ ही बिहार की राजनीति को नये मोड़ की ओर जाती दिखने लगी. लेकिन, बीते 15 दिनों की हलचल पर बीते तीन दिनों में तीन बार नीतीश कुमार ने स्वयं पानी फेर दिया. गोपालगंज, मुजफ्फरपुर और वैशाली में अपनी प्रगति के यात्रा के क्रम में नीतीश कुमार ने तीन बार यह कहा कि एनडीए में हैं और इसी हिस्सा बने रहेंगे, वह कहीं नहीं जाने वाले. जाहिर है सीएम नीतीशके इस बयान के बाद फिर बिहार की राजनीति में फिर सबकुछ स्थिर होता हुआ दिखा. हालांकि, राजनीति के जानकार कहते हैं कि सियासत में कई बार बाहर-बाहर जो आप देखते हैं, या फिर देखना चाहते हैं, वैसा ही बिल्कुल नहीं होता. कई बार अंदरखाने की हलचल कुछ और ही होती है.

शायद पेंच यहीं फंस गया…
बिहार की राजनीति के जानकार सूत्र बताते हैं कि सियासत में अंदर ही अंदर हमेशा कुछ न कुछ चलता रहता है, सिर्फ सही समय का इंतजार रहता है और बाजी पलट हो जाती है. इस बीच बिहार की राजनीति को लेकर अंदरखाने के सूत्र बताते हैं कि दरअसल, आग लगी होगी तभी तो धुआं उठा…हालांकि, फिलहाल पूरी राजनीति पर नीतीश कुमार ने पानी फेर दिया है, लेकिन आग और धुआं उठने और उस पर पानी फिर जाने को लेकर अंदरखाने की क्या कहानी है? जानकार कहते हैं कि दरअसल, नीतीश कुमार पिछले 18 वर्षों से बिहार के मुख्यमंत्री हैं और उनके लिए जेडीयू ने एक बार फिर खुला ऐलान कर दिया है कि 2025 से 2030 …फिर से नीतीश… जाहिर है जेडीयू के अनुसार, मुख्यमंत्री पद पर कोई समझौता नहीं हो सकता. राजनीति के जानकार बताते हैं कि शायद पेंच यहीं फंस गया.

दोस्त और दुश्मन बनते देर नहीं!
जानकार कहते हैं कि, जेडीयू इस मामले में पूरी तरह स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री तो नीतीश कुमार ही होंगे…वहीं, आरजेडी के सूत्र बताते हैं कि पार्टी हर हाल में अब तेजस्वी यादव को बिहार के अगले मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाहती है. आरजेडी के सूत्र बताते हैं कि यह बात तो स्वयं नीतीश कुमार ने 2022 में आरजेडी और जेडीयू के साथ आने के बाद कही थी. इस कारण अब तेजस्वी यादव को ही आरजेडी प्रोजेक्ट करने की लगातार कवायद कर रही है. सूत्र बताते हैं कि यह ऐसी शर्त है जिसमें बिहार की राजनीति को अभी ‘होल्ड’ पर ला दिया है क्योंकि न तो जेडीयू को यह शर्त मंजूर होगा और न ही आरजेडी इस बार पीछे हटने के लिए तैयार होगी. हालांकि, यह भी सत्य है कि राजनीति में संभावनाएं कभी खत्म नहीं होतीं, और दुश्म को दोस्त और दोस्त को दुश्मन बनते भी देर नहीं लगती.

ये अड़चन और संभावना खारिज…
राजनीति के जानकार बताते हैं कि पॉलिटिक्स में कभी भी कुछ सकता है. आज जो कहते हैं वह कल पलट नहीं जाएंगे, इसकी कोई गारंटी नहीं, इसमें कुछ नया भी नहीं. आप इसको ऐसे भी समझिए कि अभी 18 जनवरी को राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने पार्टी की बड़ी बैठक बुलाई है. इसमें किसी बड़े मसले पर चर्चा होनी है जसको लेकर कयासबाजियों का दौर जारी है. हालांकि, इससे पहले राजद और जदयू फिर से एक दूसरे पर हमलावर हो गए हैं. वहीं, भारतीय जनता पार्टी भी इत्मीनान दिख रही है. इसके साथ यह भी है कि एक शर्त…जिसपर कभी भी जेडीयू समझौता नहीं करेगी वह है मुख्यमंत्री का पद. इतना तय है कि जब तक बिहार की राजनीति के केंद्र में नीतीश कुमार हैं, प्रदेश में मुख्यमंत्री भी वही रहेंगे. बीजेपी नीतीश के नाम पर पहले ही सहमत है और  यही वो बड़ी अड़चन है जो कि आने वाले समय में राजद-जदयू के एक साथ आने की किसी भी संभावना को खारिज करते हैं. बहरहाल, सियासत है इसमें तो टर्न और ट्विस्ट होते ही हैं और होंगे भी.

Tags: Bihar politics, CM Nitish Kumar, Lalu Prasad Yadav, RJD leader Tejaswi Yadav

FIRST PUBLISHED :

January 7, 2025, 16:06 IST

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