लोक में एक कहावत है- ढेला और पतई का साथ स्थाई हो ही नहीं सकता. ढेला मिट्टी का ऐसे टुकड़े को भी कहा जाता है जो समय के साथ सख्त हो चुका होता है. पत्ती के साथ मिल कर उसने कभी करार किया कि अगर तेज हवा आई तो वो पत्ती पर चढ़ कर उसे उड़ने से बचा लेगा. अगर बारिश हुई तो पत्ती ढेला को ढंक कर गलने से बचा देगी. लेकिन इस करार में इसका कोई जिक्र नहीं था कि अगर आंधी और बारिश एक साथ आ गए तो क्या होगा. खैर बिहार में ऐसी कोई आंधी पानी नहीं आई लेकिन हमेशा कांग्रेस की हिमायत करने वाले लालू प्रसाद यादव से उलट उनके बेटे तेजस्वी ने साफ कह दिया कि इंडिया गठबंधन खतम हो गया है.
लोकसभा चुनाव के लिए था इंडिया गठबंधन
तेजस्वी ने भी ये भी कहा कि इंडिया गठबंधन लोकसभा चुनाव के लिए ही था. वैसे ये तथ्य है कि राष्ट्रीय जनता दल अब से पहले हमेशा कांग्रेस के साथ शाना ब शाना होने के दावे करती रही. लेकिन ऐन विधान सभा चुनावों से पहले तेजस्वी का इस बयान के पीछे की एक बड़ी वजह उत्तर प्रदेश विधान सभा उपचुनावों के नतीजे भी रहे होंगे. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने यहां मिल कर बीजेपी को बड़ा झटका दिया था. उस दौर में कहा जाने लगा था कि इन दोनों की साझा ताकत बीजेपी क लिए चुनौती बनेगी.
यूपी में उप चुनावों के नतीजे से लिया सबक?
उत्तर प्रदेश विधान सभा उप चुनाव में साफ दिख गया कि इनके मिलने से ज्यादा ताकतवर संविधान संशोधन का नैरेटिव था. इस नैरेटिव ने मतदाताओं को जोड़ दिया.इसी का फायदा इंडिया गठबंधन को मिला. उप चुनावों के दौरान ऐसा कोई नैरेटिव नहीं था, लिहाजा ऐसी सीटें भी बीजेपी की झोली में चली गईं जिन पर मुस्लिम वोटरों की तादात ठीक ठाक थी. इधर हरियाणा चुनाव में सीटों की साझेदारी को लेकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी दोनों के दूसरे नेताओं के अलावा अखिलेश यादव ने भी कांग्रेस को सीधी चेतावनी तक दे डाली थी.
पश्चिम बंगाल और पंजाब में भी नहीं था गठजोड़
पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनावों के दौरान सभी ने देखा कि ममता ने वामपंथी दलों के साथ ही कैसे कांग्रेस से भी सीधा मोर्चा लिया. तकरीबन पूरे पश्चिम बंगाल में तीनों पार्टियां सीधी लड़ाई ले रही थी. महाराष्ट्र में खुदा खुदा करके गठबंधन कायम रहा, लेकिन राज्य में मिली करारी शिकस्त के बाद से विपक्षी दलों के गठजोड़ महाविकास अघाड़ी में अलग अलग आवाजें उठने लगीं. ये चर्चा रही कि शरद पवार ही चाणक्य के तौर पर अरविंद केजरीवाल को सलाह दे रहे हैं. केजरीवाल ने ममता बनर्जी को इंडिया गठबंधन की कमान देने की बात कही तो कुछ ही वक्त बाद कांग्रेस को गठबंधन से बाहर करने की बातें तक की जाने लगी.
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यहां ये भी खयाल रखने वाली बात है कि दिल्ली से कांग्रेस का सफाया अरविंद केजरीवाल की पार्टी आप के जरिए ही हुई. इसी पार्टी ने पंजाब में भी कांग्रेस को सत्ता से दूर किया. ऐसे में कांग्रेस के लिए खुद इंडिया गठबंधन को कायम रखना आसान नहीं रह गया है. बिहार की बात की जाय तो तेजस्वी को साफ दिख रहा था कि कांग्रेस और उनका अपना वोट बैंक बहुत अलग अलग नहीं है. ये मुमकिन है कि उसके बहुत से वोटर आरजेडी को तो वोट दे देंगे लेकिन वे कांग्रेस को अपना वोट नहीं देना चाहेंगे. दूसरी ओर कांग्रेस सीटों पर अपनी दावेदारी ठोकेगी ही. इस लिहाज से उन्हें लगने लगा होगा कि इंडिया गठबंधन के नाम पर कांग्रेस को साथ रखना वैसा ही होगा जैसे पतई और ढेले का साथ होता है.
Tags: Congress leader Rahul Gandhi, RJD leader Tejaswi Yadav
FIRST PUBLISHED :
January 8, 2025, 18:26 IST