Last Updated:April 16, 2025, 09:08 IST
Bullet Train News: मुंबई से अहमदाबाद के बीच चलने वाली इस बुलेट प्रोजेक्ट को लेकर एक बड़ा और अहम बदलाव सामने आया है. इस हाई स्पीड कॉरिडोर पर दौड़ने वाली ट्रेनें प्रोजेक्ट के पूरा होने से पहले ही रफ्तार पकड़ने को...और पढ़ें

मुंबई-अहमदाबाद के बीच चलने वाली बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए जापान एक बड़ा तोहफा देने जा रहा है.
हाइलाइट्स
जापान भारत को मुफ्त में E5 और E3 शिंकानसेन ट्रेनें देगा.ये ट्रेनें 2026 में आएंगी और ट्रैक निरीक्षण में उपयोग होंगी.E5 ट्रेन की स्पीड 320 किमी/घंटा, E3 की 275 किमी/घंटा होगी.भारत में बन रहे पहले बुलेट ट्रेन को लेकर बड़ी खबर है. मुंबई-अहमदाबाद के बीच चलने वाली इस बुलेट ट्रेन के लिए जापान एक बड़ा तोहफा देने जा रहा है. जापान ने भारत को ईस्ट जापान रेलवे (JR East) की E5 और E3 सीरीज़ की शिंकानसेन ट्रेनें देने का फैसला किया है. ये दोनों ट्रेनें अपनी तूफान जैसी रफ्तार के लिए जानी जाती है, जो 320 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से दौड़ती हैं. इसका मतलब यह हुआ कि दिल्ली से पटना के बीच की दूरी यह महज 3 घंटे में ही पूरी कर लेगी.
जापान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, जापान ये दोनों ट्रेनें मुफ्त में देगा यानी इसके लिए कोई किराया नहीं लेगा. इन ट्रेनों का इस्तेमाल यात्री सेवा के लिए नहीं, बल्कि इंस्पेक्शन व्हीकल्स के रूप में किया जाएगा, जिनके जरिये रेलवे ट्रैक तकनीकी जांच की जाएगी.
E5 सीरीज शिंकानसेन ट्रेन को ‘हयाबुसा’ के नाम से भी जाना जाता है. ये जापान की सबसे तेज़ और तकनीकी रूप से बेहद हाईटेक बुलेट ट्रेनों में से एक है. इसकी स्पीड 320 किमी/घंटा तक जाती है और इसमें खास एयरोडायनामिक डिज़ाइन, शोर और कंपन को न्यूनतम करने वाले फीचर, और बेहद हाईटेक सेफ्टी सिस्टम शामिल हैं. वहीं, E3 सीरीज़ ट्रेनों को विशेष रूप से संकरी पटरियों और क्षेत्रीय हाई-स्पीड संचालन के लिए डिजाइन किया गया है. यह हल्की, ऊर्जा कुशल और लागत में प्रभावी होती हैं.
इन दोनों ट्रेनों को 2026 की शुरुआत में भारत भेजा जाएगा, लेकिन भेजने से पहले इन्हें खास इंस्पेक्शन उपकरणों से लैस किया जाएगा. भारत में इनका इस्तेमाल मुंबई और अहमदाबाद के बीच बन रहे हाई-स्पीड कॉरिडोर में ट्रैक की स्थिति, उच्च तापमान, धूल और दूसरे पर्यावरणीय प्रभावों के डेटा कलेक्शन के लिए किया जाएगा. यह डेटा भविष्य में भारत में ही E10 सीरीज़ के कोचेज़ के निर्माण में उपयोग होगा.
E5 Series Shinkansen (Hayabusa) – बुलेट ट्रेन की सुपरस्टार
टॉप स्पीड: 320 किमी/घंटा
डिज़ाइन: 15 मीटर लंबी एयरोडायनामिक नोज़, जिससे हवा के प्रतिरोध में कमी आती है और स्पीड बेहतर होती है
स्मूथनेस: ‘अल्टीमेट कम्फर्ट’ – 1st क्लास (Gran Class) जैसी सुविधाएं, वाइब्रेशन और नॉइज़ न्यूनतम
स्मार्ट ब्रेकिंग सिस्टम: भूकंप या आपातकाल में तुरंत और सुरक्षित ब्रेकिंग
डिजिटल कंट्रोल सिस्टम: स्मार्ट डेटा मॉनिटरिंग और रनिंग कंडीशन एनालिसिस
E3 Series Shinkansen – छोटे ट्रैक के लिए बड़ी परफॉर्मेंस
टॉप स्पीड: 275 किमी/घंटा
कुशलता: संकरी पटरियों और मिक्स ऑपरेशन (साधारण रेल पटरियों पर भी चल सकती है) के लिए डिज़ाइन
शक्तिशाली मोटर्स: हाई एक्सेलेरेशन और एफिशिएंसी
कम लागत: मेंटेनेंस और ऑपरेशन कॉस्ट काफी कम
जापान और भारत की सरकारों की योजना है कि E10 सीरीज़ की अगली पीढ़ी की शिंकानसेन ट्रेनें 2030 के दशक की शुरुआत में इस रूट पर चलें. लेकिन चूंकि अगस्त 2027 तक रूट के आंशिक संचालन की योजना है, E10 ट्रेनें तब तक उपलब्ध नहीं होंगी. ऐसे में यह मुफ्त में दी गई E5 और E3 ट्रेनें अहम भूमिका निभाएंगी.
E5 ट्रेन को ही पैसेंजर ट्रेन बनाने का था प्लान
हालांकि, पहले E5 ट्रेन को ही पैसेंजर ट्रेन के तौर पर इस्तेमाल करने की योजना थी, लेकिन लागत में बढ़ोतरी और डिलीवरी में देरी के चलते भारत घरेलू स्तर पर बनी सेमी-हाई-स्पीड ट्रेनों को संशोधित कर अस्थायी रूप से इस्तेमाल करने की ओर झुकने लगा था. इसी गतिरोध को तोड़ने के लिए जापान ने 2023 के अंत में यह प्रस्ताव दिया कि वो E10 ट्रेनें भारत को देगा और साथ ही E5 व E3 ट्रेनें बिना किसी शुल्क के दे देगा. भारत ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है.
इस परियोजना का लगभग 80% खर्च जापान सरकार के कम ब्याज वाले येन ऋण से पूरा किया जाना है. शुरू में इस प्रोजेक्ट की लागत लगभग 1.8 ट्रिलियन येन आंकी गई थी, लेकिन अब इसके और बढ़ने की संभावना को देखते हुए दोनों सरकारें एक नए फाइनेंसिंग फ्रेमवर्क पर काम कर रही हैं, जिसकी घोषणा पीएम मोदी की जापान यात्रा के दौरान हो सकती है.
गौरतलब है कि जब ताइवान हाई स्पीड रेल का निर्माण हुआ था, तो जापान ने वहां भी 0 सीरीज़ की पहली पीढ़ी की शिंकानसेन ट्रेन मुफ्त में भेजी थी ताकि वहां की पटरियों और परिस्थितियों में तकनीक को जांचा जा सके. भारत को दी जा रही E5 और E3 ट्रेनें उसी परंपरा का हिस्सा हैं, लेकिन तकनीकी रूप से कहीं अधिक उन्नत और भविष्य के लिए अहम हैं.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
April 16, 2025, 08:19 IST