भारत में मौत की सजा के लिए दोषी को फांसी पर लटकाए जाने का प्रावधान है. केंद्र सरकार अभी इसके विकल्प के तौर पर जहरीला इंजेक्शन देने, शूट करने, गैस चेंबर में डालने या बिजली के झटके के लिए तैयार नहीं है. एकमात्र तरीके के रूप में फांसी को हटाने की मांग वाली याचिका के जवाब में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि दोषियों को घातक इंजेक्शन का विकल्प देना बहुत व्यावहारिक नहीं हो सकता. हालांकि याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि जहरीला इंजेक्शन देना फांसी की तुलना में तुरंत, मानवीय और सभ्य है. फांसी क्रूर और बर्बर तरीका है जिसमें शरीर को 40 मिनट तक रस्सी से लटकाकर रखा जाता है. ऐसे में यह समझना जरूरी है कि आखिर जहरीला इंजेक्शन देने वाली प्रक्रिया में होता क्या है?
वरिष्ठ अधिवक्ता ऋषि मल्होत्रा ने 2017 में याचिका दायर कर तर्क रखा था कि दोषी कैदियों को फांसी और घातक इंजेक्शन के बीच विकल्प दिया जाना चाहिए. जस्टिस विक्रम नाम और संदीप मेहता की पीठ के समक्ष मल्होत्रा ने कहा कि मैं यह साबित कर सकता हूं कि सबसे अच्छा तरीका जहरीला इंजेक्शन ही है. वैसे भी अमेरिका के 49 राज्यों ने इस तरीके को ही अपनाया है. मल्होत्रा का कहना है कि फांसी की तुलना में दूसरे तरीके कम दर्दनाक हैं. जस्टिस मेहता ने सरकार की तरफ से पेश वकील से मल्होत्रा के प्रस्ताव पर सलाह लेने को कहा है. सरकार आगे अपना पक्ष रख सकती है.
एक, दो, तीन में क्या होता है
सुप्रीम कोर्ट में अमेरिका में lethal injection दिए जाने की चर्चा हुई है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि अमेरिका में जहरीला इंजेक्शन कैसे लगाया जाता है और उसके बाद क्या होता है. सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक सामान्य रूप से जहरीला इंजेक्शन लगाने की प्रक्रिया में तीन रसायन एक-एक बार में दोषी को लगाया जाता है. हां तीन सुई में समझ लीजिए. पहले में एक एनस्थेटिक दवा दी जाती है. इससे वह बेहोश हो जाता है. दूसरी सुई से अंदर पहुंचने वाला रसायन व्यक्ति को पैरालाइज कर देता है और आखिरी तीसरे स्टेप में दी जाने वाली दवा व्यक्ति की धड़कन को बंद कर देती है.
बंद कमरे में बेड से बांधकर इंजेक्शन की प्रक्रिया
1. अमेरिका में इस तरह से मौत देते समय एक कमरे में कैदी को पहुंचाया जाता है. कैमरे से मॉनिटरिंग की जाती है. उसकी तलाशी ली जाती है. कैदी के चेस्ट से इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफ अटैच किया जाता है. दूसरे कमरे से स्टाफ कैदी को देखते रहते हैं. कैदी को बेड से बांध दिया जाता है.
2. एक्जीक्यूशन चैंबर में एक अलग टीम आती है और कैदी की दो नसों में पहली दवा इंजेक्ट करती है. एक प्राइमरी और एक बैकअप. इस समय कुल नौ सिरिंज टीम के पास होती है. जेल का एक अधिकारी जोर से पहली दवा का नाम पढ़ता है. दो सिरिंज से midazolam दी जाती है और कैदी बेहोशी में चला जाता है. तीसरा ब्लैक लेबल होता है जिसमें सलाइन सॉल्यूशन होता है.
3. सिरिंज काफी बड़ी होती है- 60 एमएल. ऐसे में एक इंजेक्शन में 1 आ 2 मिनट लग सकते हैं. एक कैदी को दो सिरिंज से 500 एमजी दवा दी गई और इसके बाद 60ml सलाइन सॉल्यूशन दिया गया. गौर करने वाली बात यह है कि ऑपरेशन से पहले जब एनस्थीशिया किया जाता है तो केवल 5 mg दवा दी जाती है.
4. पांच मिनट बीतने पर टीम कैदी का बेहोशी लेवल चेक करती है और अब दूसरी दवा तीन सिरिंज से दी जाती है और पैरालिसिस अटैक होता है. यहां भी दवा 100 एमजी दी जाती है. इसमें भी एक सिरिंज से सलाइन दिया जाता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि इस स्थिति में व्यक्ति अपनी तकलीफ बता पाने की स्थिति में नहीं होता है.
5. एक या दो मिनट बाद डायरेक्टर स्टाफ को आगे बढ़ने के लिए कहता है. आखिरी तीन सिरिंज से दिल की धड़कन रोकने की प्रक्रिया शुरू होती है. यह काफी दर्दनाक होता है. अगर व्यक्ति बेहोशी में न हो तो काफी दर्द महसूस होगा. ज्यादा मात्रा में पोटैशियम पहुंचते ही कार्डिएक अरेस्ट होता है और 30 सेकेंड में ही कैदी का हार्ट मॉनिटर फ्लैट हो जाता है.
दवा की डोज काफी ज्यादा
यूरोपीय दवा कंपनियों ने 2009 में मौत की सजा देने में इसके इस्तेमाल को रोकने के लिए कुछ सप्लाई रोकी जिससे अमेरिकी प्रोड्यूसर को इसे बंद करना पड़ा. कुछ राज्यों ने मृत्युदंड की सजा पाए लोगों को मौत देने के लिए सिंगल-ड्रग प्रोटोकॉल का भी इस्तेमाल किया है. इसमें व्यक्ति को पेंटोबार्बिटल दी गई. कुछ राज्य ऐसे भी हैं जो तीन सुई वाले तरीके में एनस्थेटिक के लिए दूसरी दवा midazolam का इस्तेमाल किया गया. हालांकि इस दवा को लेकर विवाद भी हुआ कि इसे लगाने के बाद भी व्यक्ति को बाकी दो दवाओं का दर्द महसूस होता होगा.
एक्सपर्ट की मानें तो इंजेक्शन वाला तरीका भी कम दर्दनाक नहीं होता है. क्लिनिकल सेटिंग में मौत की सजा देने के लिए एनस्थेटिक और बाकियों में ज्यादा दवा दी जाती है. अमेरिका में तो संविधान के हवाले से यह भी कहा जाता है कि आठवां संशोधन किसी कैदी को दर्दरहित मौत की गारंटी नहीं देता है.