Last Updated:July 30, 2025, 07:54 IST
ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस मिसाइल ने पाकिस्तान में कोहराम मचाया था. अब चीन ने 1000 किमी रेंज वाली बीवीआर मिसाइल बनाई है जो एफ-35, एफ-22 रैप्टर जैसे फाइटर जेट्स को नष्ट कर सकती है. इससे पूरी दुनिया में कंपकंपी छ...और पढ़ें

हाइलाइट्स
दुनिया के पास अभी 350 से 400 किमी रेंज की बीवीआर मिसाइल है.रूस और अमेरिका के पास केवल अभी 400 किमी की रेंज मौजूद.भारत बीवीआर तकनीक वाली अस्त्र मिसाइल पर काम कर रहा है.ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम की ताकत पूरी दुनिया ने देखी. यह अपने आप में अद्भुत मिसाइल सिस्टम है. इसने पाकिस्तान में जो कोहराम मचाया था उसकी मार से वह अब तक उबरा नहीं है. लेकिन, हमें यह समझना होगा कि दुनिया केवल ब्रह्मोस तक ही नहीं सिमट जाती है. यह अच्छी बात है कि हमारे पास ब्रह्मोस जैसी मिसाइल सिस्टम है. यह दुनिया के चुनिंदा बेहतरीन मिसाइल सिस्टमों में से एक है न कि यही पूरी दुनिया है. इसी कारण आपको हम आज एक ऐसे मिसाइल सिस्टम की बात कर रहे हैं जिसके सामने ब्रह्मोस बिल्कुल बच्चा है. हम जिस सिस्टम की बात कर रहे हैं वह पूरी दुनिया में हथियारों और सैन्य संतुलन को बुरी तरह बिगाड़ सकता है.
जी हां, हम बात कर रहे हैं अपने पड़ोसी देश चीन की. वहां के वैज्ञानिकों ने एक बेहद खतरनाक मिसाइल बनाई है. अगर इसके बारे में किए जा रहे दावे को सच माना जाए तो निश्चित तौर पर यह दुनिया की तस्वीर बदलने वाली मिसाइल सिस्टम है. इस बारे में साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने एक डिटेल रिपोर्ट छापी है. रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने बियोंड विजुअल रेंज (BVR) मिसाइल का परीक्षण किया है. इस मिसाइल की रेंज 1000 किमी है. यह एक एयर टु एयर मिसाइल सिस्टम है.
6000 किमी की स्पीड वाली मिसाइल
अब आप कह रहे होंगे कि इसमें कौन सी बड़ी बात है. कई देशों के पास बीवीआर मिसाइल सिस्टम है. इस मिसाइस की स्पीड 5 मैक की है. यानी इसकी स्पीड करीब 6112 किमी प्रति घंटे की है. इस मिसाइल सिस्टम की सबसे बड़ी बात यह है कि यह दुनिया के सबसे आधुनिक फाइटर जेट्स एफ-35, एफ-22 रैप्टर, बी-21 रैडर जैसों को 1000 किमी दूर से मारने की क्षमता रखता है. यानी यह पांचवीं पीढ़ी या 5+ पीढ़ी के फाइटर जेट्स को 1000 किमी दूर ही नष्ट कर सकता है. ऐसे में आप कल्पना कर रहे सकते हैं कि राफेल, सुखोई जैसे चौथी या 4.5 पीढ़ी के फाइटर जेट्स के खिलाफ यह कितना प्रभावी होगा.
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन की योजना इस हथियार को संभावित संघर्ष वाले क्षेत्रों जैसे ताइवाइ स्ट्रेट और साउथ चाइन सी में तैनाती की है. यह मौजूदा वक्त में दुनिया के सबसे उन्नत हथियारों में गिना जा रहा है.
क्यों इतना अहम है ये मिसाइल
बीवीआर तकनीक कोई नई तकनीक नहीं है. लेकिन, इस तकनीक पर इतनी लंबी दूरी की मिसाइल सिस्टम बनाना दुनिया के वैज्ञानिकों और सैन्य इंजीनियरों के लिए आज भी एक बड़ी चुनौती है. जहां तक इस तकनीक पर आधारित मिसाइल सिस्टम की बात है तो रूस और अमेरिका के पास ऐसी मिसाइलें हैं. भारत ने भी ऐसी मिसाइल विकसित की है. रूस के पास R-37M और अमेरिका के पास AIM-174B बीवीआर मिसाइस सिस्टम है. इन मिसाइलों की रेंज मात्र 350 से 400 किमी है.
जहां तक भारत की बात है तो हम अस्त्र एमके-3 बीवीआर सिस्टम बना रहे हैं. हमारी योजना है कि इसकी रेंज भी 350 से 400 किमी का हो जाए. अगर चीन की इस बीवीआर मिसाइल के बारे में किए गए दावे सही हैं तो यह पूरी दुनिया की तस्वीर बदलने वाली है. यह पूरे इलाके में शक्ति संतुलन बिगाड़ सकती है.
कितना खतरनाक है यह मिसाइल सिस्टम
जहां तक इस मिसाइल सिस्टम की क्षमता की बात है तो यह मौजूदा वक्त की सबसे एडवांस डिफेंस सिस्टम 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स को पूरी तरह बेकार साबित कर देगी. यह अवाक्स और एईडब्ल्यू एंड सी विमानों की भी सार्थकता खत्म कर देगी. ये सभी सिस्टम दुश्मन पर वार करने से पहले ही इस मिसाइल सिस्टम से मार गिराए जा सकते हैं.
भारत ने बीवीआर तकनीक पर आधारित अस्त्र एमके मिसाइल बनाई है.
भारत के लिए कितना खतरा
चीन द्वारा विकसित इस सिस्टम से सबसे ज्यादा खतना भारत, जापान, ताइवान और अमेरिका को है. इन देशों की पूरी एयर डिफेंस स्ट्रेटजी और कंबैट एयर पैट्रोल रेंज बुरी तरह प्रभावित हो सकती है. ऐसे में भारत के सामने नई चुनौती खड़ा हो गई कि वह अपनी बीवीआर मिसाइल क्षमता को बढ़ाए. भारत ने इस तकनीक पर आधारित अस्त्र एमके-1 और एमके-2 मिसाइल बनाने में सफलता हासिल की है. लेकिन, हाइपरसोनिक स्पीड वाली एमके-3 पर अब भी काम जारी है. इस पर डीआरडीओ और इसरो मिलकर काम रहे हैं. वर्ष 2000 में अस्त्र सीरीज के इस मिसाइल सिस्टम पर काम शुरू हुआ. लेकिन, इस दिशा में प्रगति काफी धीमी है. हमारे पास अभी केवल एमके-1 बीवीआर मिसाइल है और इसकी रेंज मात्र 80 से 110 किमी है. सैन्य विशेषज्ञ इसमें कई तरह की खामियां बता रहे हैं. हालांकि 2022 में रक्षा मंत्रालय ने करीब 3000 करोड़ रुपये से एयरफोर्स के लिए इन मिसाइलों को खरीदने की मंजूरी दी थी. इन्हें कुछ सुखोई-30 एमकेआई जेट्स में लगाया गया है. एके-2 सीरीज करीब-करीब पूरा होने के कगार पर है. इसमें कमियों को दूर करने की कोशिश की गई है.
क्या है बीवीआर तकनीक
बीवीआर मौजूदा वक्त की सबसे एडवांस तकनीक है. इस तकनीक में देखने की सीमा से परे जाकर वार करने की क्षमता मिलती है. इसी कारण इसे बियोंड विजुअल रेंज कहा जाता है. एक एयरफोर्स पायलट की आंखों से देखने की क्षमता करीब 37 किमी की होती है. वह इतने दूर से दुश्मन के विमानों और लक्ष्यों को निशाना बना सकता है. लेकिन, बीवीआर तकनीक बेहद एडवांस रडार, सेंसर और उन्नत नेविगेशन सिस्टम से लैस होती है. ये दिखाई नहीं देने वाले लंबी दूरी के लक्ष्यों को नष्ट करते हैं. भारत की अस्त्र मिसाइल इस सिस्टम पर आधारित है. यह खुद ही लक्ष्यों को खोजती है और पायलट के कंट्रोल से बाहर जाकर खुद हमला करती है. ये मिसाइलें फायर एंड फॉर्गेट क्षमता से लैस होती हैं.
न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...और पढ़ें
न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...
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