Last Updated:May 23, 2025, 18:22 IST
Pakistan vs India : भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव लगातार बढ़ता ही जा रहा है. आतंकी घटनाओं पर लगाम न कसने की वजह से पाकिस्तान से लगातार नाराजगी बढ़ रही और अब भारत ने एफएटीएफ में भी पाकिस्तान को घेरने की तैयार...और पढ़ें

एफएटीएफ की अगली बैठक जून महीने में होने वाली है.
हाइलाइट्स
भारत ने पाक को एफएटीएफ में घेरने की तैयारी की.एफएटीएफ की बैठक में पाक को निगरानी सूची में डालने की योजना.भारत ने पाक पर आतंकी वित्तपोषण के ठोस सबूत जुटाए.नई दिल्ली. भारत की तमाम कोशिशों के बावजूद अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने पाकिस्तान को 8.8 हजार करोड़ रुपये का कर्ज मंजूर कर लिया. लेकिन, भारत के पास एक बार फिर पाकिस्तान को घेरने का मौका आ रहा है और इस बार कोई चूक नहीं करने की पूरी तैयारी कर रहा है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जल्द ही फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की बैठक होने वाली है. भारत ने इस बैठक में पाकिस्तान को दोबारा निगरानी सूची में डाले जाने के लिए ठोस सबूतों के साथ अपना पक्ष रखने की तैयारी कर ली है.
सरकार के सूत्रों ने बताया है कि धनशोधन पर लगाम लगाने और आतंकवादियों का वित्तपोषण रोकने में पाकिस्तान की नाकामी को देखते हुए भारत यह कदम उठाने जा रहा है. एफएटीएफ की पूर्ण बैठक साल में तीन बार फरवरी, जून और अक्टूबर में होती है. पाकिस्तान को साल 2018 में एफएटीएफ की सूची में रखा गया था. बाद में उसने धनशोधन और आतंकवादियों के वित्तपोषण पर लगाम लगाने के लिए एक कार्ययोजना पेश की थी. इसके बाद साल 2022 में उसे एफएटीएफ की इस सूची से हटा दिया गया था.
क्या है भारत की तैयारी
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत, पाकिस्तान को दोबारा निगरानी सूची में डालने के लिए एफएटीएफ के समक्ष मामला रखेगा. सूत्र ने कहा, ‘हम इस मामले को एफएटीएफ के समक्ष मजबूती के साथ उठाएंगे. इस बार पुख्ता सबूत और मामलों से जुड़े दस्तावेज तैयार कर लिए गए हैं.’ गौरतलब है कि 22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है. उस हमले में 26 लोग मारे गए थे.
भारत ने लगाए गंभीर आरोप
भारत का मानना है कि पाकिस्तान अपने भू-भाग से संचालित होने वाली आतंकवादी गतिविधियों पर कार्रवाई करने में विफल रहा है और हथियार एवं गोला-बारूद खरीदने के लिए बहुपक्षीय एजेंसियों से मिले धन का दुरुपयोग कर रहा है. इस बात के ठोस सबूत और आंकड़े हैं कि पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और अन्य बहुपक्षीय संस्थानों से जो कर्ज मिलता है, उसका उपयोग हथियार खरीदने और आतंकवाद को बढ़ाना देने में किया जाता है. इसको ध्यान में रखते हुए एफएटीएफ की अगली बैठक में पाकिस्तान को एफएटीएफ की निगरानी सूची में रखने के लिए ठोस सबूत रखे जाएंगे.
आंकड़े देते हैं पाकिस्तान की गवाही
सूत्रों का कहना है कि सार्वजनिक आंकड़ों को देखा जाए तो पाकिस्तान अपने आम बजट का औसतन लगभग 18 फीसदी ‘रक्षा मामलों और सेवाओं’ पर खर्च करता है, जबकि संघर्ष-प्रभावित देश भी औसतन इससे कहीं कम (अपने आम बजट का 10-14 फीसदी) खर्च करते हैं. इतना ही नहीं, 1980 से 2023 तक पाकिस्तान के हथियारों के आयात में नाटकीय रूप से औसतन 20 फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई है. हथियारों के आयात में वृद्धि उन वर्षों में हुई जब उसे आईएमएफ से धन मिला है.
अन्य जगहों पर भी विरोध करेगा भारत
इससे पहले, भारत ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के समक्ष पाकिस्तान को वित्तीय सहायता दिये जाने का मुद्दा उठाया था. यही कारण है कि हाल में पाकिस्तान को वित्तीय सहायता की मंजूरी कुछ शर्तों के साथ दी गई है. सूत्र ने यह भी कहा कि विश्व बैंक एवं अन्य बहुपक्षीय संस्थानों में अगर पाकिस्तान को कर्ज देने का कोई प्रस्ताव आता है तो भारत उसका भी विरोध करेगा. एफएटीएफ एक स्वतंत्र अंतर-सरकारी निकाय है जो मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवादियों को वित्तपोषण और सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार के वित्तपोषण से निपटने के लिए वैश्विक मानक निर्धारित करता है.
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...
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