मंदिर में था एक पिलर, क्या है नहीं थी किसी को खबर, हैरान कर देगी सच्चाई

1 month ago

Last Updated:February 26, 2025, 11:19 IST

Chola-era Stone Inscription Found: आंध्र प्रदेश के नेल्लोर में 13वीं शताब्दी का चोल काल का शिलालेख मिला है, जिसमें भूमि दान का रिकॉर्ड है. यह शिलालेख चोल शासन की ऐतिहासिक तथ्यों के बारे में उजागर करता है.

मंदिर में था एक पिलर, क्या है नहीं थी किसी को खबर, हैरान कर देगी सच्चाई

चोल वंश दक्षिण भारत के सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले राजवंशों में से एक था. (सांकेतिक फोटो AI)

हाइलाइट्स

13वीं शताब्दी का चोल शिलालेख नेल्लोर में मिला.शिलालेख में भूमि दान का रिकॉर्ड है.शिलालेख चोल शासन की ऐतिहासिक अंतर्दृष्टि देता है.

Chola-era Stone Inscription Found: चोल शासन दक्षिण प्राचीन भारत का एक शक्तिशाली राजवंश था. दक्षिण भारत में और पास के अन्य देशों में तमिल चोल शासकों ने 9 वीं शताब्दी से 13 वीं शताब्दी के बीच एक अत्यंत शक्तिशाली हिन्दू साम्राज्य का निर्माण किया. चोल राजवंश को भारत के शक्तिशाली शासन में से एक माना जाता है. इस शासन के अंश आज भी दक्षिण राज्यों में कहीं ना कहीं मिलते रहते हैं. हाल ही में एक अंश आंध्र प्रदेश के नेल्लोर में मिला है.

न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार चोल काल का 13वीं शताब्दी का एक शिलालेख हाल ही में नेल्लोर जिले के कलिगिरि मंडल के सिद्दना कोंडुरु गांव में सिद्धेश्वर मंदिर में खोजा गया था. मैसूर ASI के निदेशक डॉ मुनिरत्नम रेड्डी ने तेलुगु शिलालेख का अध्ययन किया और इसके बारे में एक बड़ा खुलास किया.

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क्या है इस पिलर की खासियत
चोल शासन से जुड़ा जो अंश नेल्लोर में मिला है लह एक नंदी पिलर है. नंदी पिलर के चारों किनारों पर कुछ उकेड़ा हुआ है. यह शिलालेख शक 1212 (19 जून, 1290 ई.) का है. इसमें मंगिनायका और गोलापुंडी के केसम्मा के पुत्र, स्थानीय प्रमुख सिद्धप्पनायक द्वारा सिद्धेश्वर स्वामी मंदिर के लिए अंगममंतनति क्षेत्र में भूमि दान का रिकॉर्ड है.

भूमि दान के बारे में ASI के निदेशक ने बड़ा खुलासा किया. ASI के अनुसार यह दान महामंडलेश्वर विजयादित्य देव महाराजा के पुत्र, चोल राजा मनमगंदगोपाल की योग्यता के लिए दिया गया था. यह चोल प्रशासन के बारे में बहुमूल्य ऐतिहासिक अंतर्दृष्टि प्रदान करता है.

गौरतलब है कि चोल वंश दक्षिण भारत के सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले राजवंशों में से एक था. चोलों का शासन 9वीं शताब्दी में शुरू हुआ जब उन्होंने सत्ता में आने के लिये पल्लवों को हराया. उनका शासन 13वीं शताब्दी तक पांच से अधिक शताब्दियों तक चलता रहा. चोल वंश ने दक्षिण भारत में एक शक्तिशाली साम्राज्य स्थापित किया. चोल राजाओं ने कला, साहित्य और वास्तुकला को बढ़ावा दिया. चोल मंदिरों का निर्माण उनकी वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है. चोल राजाओं ने एक मजबूत नौसेना भी बनाई थी.

First Published :

February 26, 2025, 11:19 IST

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