Last Updated:March 09, 2025, 08:16 IST
मणिपुर में हिंसा एक बार फिर से भड़क उठी है. आधी रात को कुकी प्रदर्शनकारियों ने बंद का एलान कर दिया, जिसके बाद फिर से हिंसा भड़क उठी. सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प की वजह से 40 से अधिक लोग घायल हो...और पढ़ें

मणिपुर में फिर भड़की हिंसा.
इंफाल: मणिपुर के कई हिस्से में फिर से हिंसा भड़क उठी. शनिवार की रात कांगपोकपी जिले के विभिन्न हिस्सों में कूकी प्रदर्शनकारियों ने बंद का ऐलान कर दिया. इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा बलों पर हमला बोल दिया. इस झड़पों में एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई और 40 से अधिक लोग, जिनमें महिलाएं और पुलिसकर्मी शामिल हैं, घायल हो गए. मृतक की पहचान लालगौथांग सिंगसिट के रूप में हुई है. 30 साल के सिंगसिट को केथेलमांबी में झड़पों के दौरान गोली लगी. पुलिस ने बताया अस्पताल ले जाते समय उसकी मौत हो गई.
मिली जाता जानकारी के अनुसार, कूकी-प्रभुत्व वाले जिले में तब झड़पें शुरू हुईं जब पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया. ये समुदाय केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के राज्य में मुक्त आवाजाही की अनुमति देने के निर्देश का विरोध कर रहे थे. जब प्रदर्शनकारियों ने प्राइवेट गाड़ियों में आग लगा दी, तब स्थिति तब और भी बेकाबू हो गई. इंफाल से सेनापति जिले जा रही राज्य परिवहन बस को रोकने की कोशिश की गई.
16 पुलिस वाले घायल
पुलिस ने बताया कि गमगिफाई, मोटबुंग और केथेलमांबी में सुरक्षा बलों के साथ झड़पों के दौरान कम से कम 16 प्रदर्शनकारी घायल हो गए, जिन्हें इलाज के लिए पास के सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है. हालांकि, अनौपचारिक आंकड़ों के अनुसार, नागरिकों के घायल होने की संख्या 23 से अधिक है. मणिपुर पुलिस ने एक बयान में कहा कि जिले में प्रदर्शनकारियों के साथ झड़पों के दौरान कम से कम 27 सुरक्षा कर्मी घायल हो गए और प्रदर्शनकारियों की ओर से गोलीबारी की घटनाएं भी हुईं, जिससे उन्हें जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी.
पुलिस को जवाबी कर्रवाई करनी पड़ी
सुरक्षा बलों ने उग्र और हिंसक भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश करते हुए अत्यधिक संयम दिखाया. असामाजिक तत्वों को नियंत्रित करने और जवाबी कार्रवाई करने के लिए कम से कम बल का इस्तेमाल किया, जिसमें प्रदर्शनकारियों में से सशस्त्र बदमाशों द्वारा गोलीबारी भी शामिल थी. झड़प के दौरान, 16 प्रदर्शनकारी घायल हो गए और एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई.
गाड़ी पर पत्थर मारने लगे प्रदर्शनकारी
पुलिस के अनुसार, यह सब तब शुरू हुआ जब मणिपुर राज्य परिवहन की एक बस इंफाल-कांगपोकपी-सेनापति मार्ग पर चल रही थी. एक भीड़ ने कांगपोकपी जिले के गमगिफाई में गाड़ी पर पत्थर फेंकना शुरू कर दिया, जिससे सुरक्षा बलों को भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस और न्यूनतम बल का इस्तेमाल करना पड़ा.
सड़कों को बंद कर दिया
पुलिस ने बताया कि विभिन्न अन्य स्थानों पर सड़क अवरोध लगाए गए थे, जिसमें बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी, जिनमें महिलाएं और बच्चे शामिल थे, बस और सुरक्षा बलों की आवाजाही को रोकने के लिए पेड़ गिरा रहे थे और सड़क पर पत्थर रख रहे थे. प्रदर्शनकारियों ने एनएच-2 (इंफाल-दीमापुर राजमार्ग) को भी बंद कर दिया था. सरकारी गाड़ियों गाड़ियों की आवाजाही को रोकने के लिए टायर जलाए.
बिना अनुमति के प्रदर्शन
पुलिस ने दावा किया कि उन्हें मार्च को रोकने के लिए कहा गया था क्योंकि उनके पास अनुमति नहीं थी. प्रदर्शन फेडरेशन ऑफ सिविल सोसाइटी (एफओसीएस), एक मैतेई संगठन, द्वारा आयोजित शांति मार्च के खिलाफ भी था. मार्च, जिसमें 10 से अधिक वाहन शामिल थे, को कांगपोकपी जिले तक पहुंचने से पहले सेक्माई में सुरक्षा बलों द्वारा रोक दिया गया. एक पुलिसकर्मी ने कहा “हम सिर्फ आदेशों का पालन कर रहे हैं. हमें मार्च को रोकने के लिए कहा गया है. अगर वे जाना चाहते हैं, तो वे सरकार द्वारा व्यवस्थित राज्य बसों में जा सकते हैं.”
First Published :
March 09, 2025, 08:16 IST